जेन स्ट्रीट बैन पर बोले जेरोधा के नितिन कामथ- सेबी का फैसला दमदार, एक्सचेंज और ब्रोकर्स के लिए बुरी खबर

जेरोधा के को-फाउंडर नितिन कामथ ने सेबी की तरफ से जेन स्ट्रीट पर प्रतिबंध लगाने के फैसले की सराहना की है. हालांकि, इसके साथ ही उन्होंने जेन स्ट्रीट जैसे बड़े खिलाड़ी के बाजार से बाहर होने पर लिक्विडिटी से जुड़ी चिंताओं को भी उजागर किया है.

जीरोधा के को-फाउंडर नितिन कामथ. Image Credit: TV9 Bharatvarsh

भारतीय शेयर बाजार के नियामक SEBI ने अमेरिकी ट्रेडिंग कंपनी जेन स्ट्रीट कैपिटल पर प्रतिबंध लगा दिया है. जेन स्ट्रीट पर गलत हथकंडे अपनाकर 4800 करोड़ रुपये से ज्यादा का मुनाफा कमाने का आरोप है. सेबी के इस फैसले ने डेरिवेटिव बाजार में हलचल मचा दी है. ज्यादातर ट्रेडर्स और मार्केट पार्टिसिपेंट्स अभी इस फैसले के नतीजों का अंदाजा लगा रहे हैं. वहीं, इस बीच जेरोधा के को फाउंडर नितिन कामत ने इस मामले पर डाटा बेस्ड राय रखते हुए एक तरफ नियामकीय फैसले की तारीफ की है. वहीं, दूसरी तरफ चिंता जताई है कि इस फैसले के बाद भारतीय शेयर बाजार में डेरिवेटिव्ज में लिक्विडिटी की भारी कमी आ सकती है. कामत का कहना है कि इसका असर एक्सचेंज और ब्रोकर्स पर पड़ सकता है.

क्या बोले कामत?

कामथ ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में इस मसले पर अपनी राय रखते हुए कहा कि इस मजबूत फैसला का श्रेय सेबी को दिया जाना चाहिए. लेकिन, अब बाजार को जेन स्ट्रीट जैसे प्रोपराइटरी ट्रेडर्स पर गहरी निर्भरता को लेकर हकीकत का सामना करना पड़ सकता है.

सेबी को मिलना चाहिए श्रेय

कामथ ने जेन स्ट्रीट और इसकी भारतीय शाखा, जेएसआई इन्वेस्टमेंट पर सेबी की कार्रवाई को लेकर कहा, जेन स्ट्रीट की घपलेबाजी को उजागर करने का सेबी को श्रेय दिया जाना चाहिए. क्योंकि, अगर आरोप सही हैं, तो यह स्पष्ट रूप से बाजार में हेरफेर का मामला है.

जेन स्ट्रीट पर क्या है आरोप?

सेबी के आदेश में बताया गया है कि जेन स्ट्रीट ने F&O की वीकली एक्सपायरी-डे के दिन हाई-फ्रिक्वेंसी ट्रेड के जरिये प्राइसिंग को मनमुताबिक तोड़-मरोड़कर कैश, फ्यूचर और ऑप्शन के जरिये 4,840 करोड़ का लाभ अर्जित किया, जिन्हें जब्त कर लिया गया है.

दुस्साहस पर हैरान हुए कामत

कामत ने हैरानी जताते हुए कहा कि यह जेन स्ट्रीट का दुस्साहस ही था कि एक्सचेंज की तरफ से चेतावनी मिलने के बाद भी जेन स्ट्रीट ने गलत तरीकों से ट्रेडिंग करना जारी रखा. कामत ने इसे लेकर कहा, ऐसा इसलिए हुआ होगा, क्योंकि जेन स्ट्रीट एक अमेरिकी कंपनी है और उसे अमेरिकी रेगुलेटर के सुस्त रवैरे की आदत है.

अमेरिकी मार्केट में भी ऐसे लूपहोल

कामत ने कहा कि जेन स्ट्रीट के लिए भारत में यह करना इस वजह से आसान लगा, क्योंकि अमेरिकी बाजार में ऐसे तमाम लूपहोल हैं, जिनके जरिये प्रोप्राइटरी ट्रेडर्स डार्क पूल, ऑर्डर फ्लो के लिए पेमेंट और दूसरी खामियों के जरिये रिटेलर्स से अरबों डॉलर कमाने की अनुमति देते हैं. लेकिन, शुक्र है कि सेबी ने भारत में इस प्रथा को चलन में आने से रोक दिया है.

एक्सचेंज और ब्रोकर्स पर होगा असर

कामत अपने पोस्ट में बताते हैं कि सेबी की इस कार्रवाई का एक दूसरा पहलू भी है. जेन स्ट्रीट जैसी प्रॉप ट्रेडिंग फर्म ऑप्शन ट्रेडिंग वॉल्यूम का लगभग 50 फीसदी हिस्सा शेयर करती हैं. अगर ये पीछे हटती हैं, तो संभव है F&O की रिटेल गतिविधि पर भी असर पड़ सकता है. इस तरह लिक्विडिटी कम होना एक्सचेंज और ब्रोकर्स दोनों के लिए बुरी खबर है.

आने वाले दिनों में होगा हकीकत का सामना

कामत ने अपने पोस्ट में आखिर में लिखा कि आने वाले एक-दो सत्रों में लिक्विडिटी से जुड़ी हकीकत का सामना करना पड़ सकता है. क्योंकि, जेन स्ट्रीट जैसे बड़े खिलाड़ी के बाजार से बाहर होने पर अचानक F&O में लिक्विडिटी बहुत कम हो सकती है. इसके साथ ही कामत ने लिखा कि वे इस मसले में आगे और डाटा के साथ अपना पक्ष रखेंगे.