₹25000 करोड़ प्लान से पोर्ट शेयरों में असली खेल शुरू, इन 4 कंपनियों में कहीं 7 गुना EV/EBITDA तो कहीं 44 गुना वैल्यूएशन
जैसे-जैसे व्यापार बढ़ता है, उसका असर सबसे पहले बंदरगाहों पर दिखता है. भारत के समुद्री व्यापार में बड़े बदलाव की तैयारी है और इसका असर शेयर बाजार तक दिखने लगा है. कुछ चुनिंदा पोर्ट और टर्मिनल कंपनियां इस बदलाव के केंद्र में हैं. उनके वैल्यूएशन और रिटर्न निवेशकों के लिए अहम संकेत दे रहे हैं.
भारत की अर्थव्यवस्था में जब भी व्यापार और निर्यात की बात होती है, तो बंदरगाहों की भूमिका अपने-आप केंद्र में आ जाती है. सड़क और रेल के साथ-साथ समुद्री रास्ते आज भी बड़े पैमाने पर सामान ढोने का सबसे सस्ता और भरोसेमंद माध्यम हैं. जैसे-जैसे भारत ग्लोबल सप्लाई चेन में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने की कोशिश कर रहा है, वैसे-वैसे बंदरगाहों पर दबाव भी बढ़ रहा है. यहीं से पोर्ट और टर्मिनल ऑपरेटर कंपनियों की अहमियत समझ में आती है. हालिया बजट घोषणाओं और कारोबारी आंकड़ों को देखें, तो साफ है कि आने वाले वर्षों में यह सेक्टर निवेश और विस्तार के एक नए दौर में प्रवेश कर रहा है.
दुनिया का ज्यादातर अंतरराष्ट्रीय व्यापार आज भी समुद्र के रास्ते होता है. भले ही कंपनियां सप्लाई चेन को विविध बनाने की कोशिश कर रही हों, लेकिन भारी और बड़े वॉल्यूम वाले माल के लिए शिपिंग का कोई विकल्प नहीं है. जैसे-जैसे व्यापार बढ़ता है, उसका असर सबसे पहले बंदरगाहों पर दिखता है. यहां कंजेशन, टर्नअराउंड टाइम और हैंडलिंग कैपेसिटी बड़ी चुनौती बन जाती है. ऐसे में पोर्ट का विस्तार कोई विकल्प नहीं, बल्कि मजबूरी बन जाता है. भारत भी इसी चरण में है.
₹25,000 करोड़ का मैरीटाइम डेवलपमेंट फंड
वित्त वर्ष 2025–26 के बजट में सरकार ने ₹25,000 करोड़ के मैरीटाइम डेवलपमेंट फंड की घोषणा की है. इसका मकसद पोर्ट और शिपिंग सेक्टर को लंबी अवधि की फाइनेंसिंग देना है, ताकि प्राइवेट निवेश को भी आकर्षित किया जा सके. अनुमान है कि इस पहल के जरिए दशक के अंत तक करीब ₹1.5 लाख करोड़ का निवेश समुद्री इकोसिस्टम में आ सकता है.
पोर्ट ऑपरेटर कंपनियों के लिए यह सिर्फ कागजों पर कैपेसिटी बढ़ाने की बात नहीं है. इससे एसेट यूटिलाइजेशन सुधरता है, खाली समय कम होता है और बिना ज्यादा लागत बढ़ाए ज्यादा कार्गो हैंडल किया जा सकता है. लंबे समय में यही ऑपरेटिंग लीवरेज बेहतर कैश फ्लो और रिटर्न में बदलता है.
किन कंपनियों पर सबसे पहले असर
इस रिपोर्ट में उन कंपनियों पर फोकस किया गया है, जिनका सीधा जुड़ाव पोर्ट-लिंक्ड एसेट्स से है, जैसे कंटेनर टर्मिनल, सीएफएस, आईसीडी और लिक्विड कार्गो टर्मिनल. ऐसी कंपनियां पोर्ट विस्तार का फायदा सबसे पहले उठाती हैं, क्योंकि ज्यादा कार्गो का सीधा असर उनके रेवेन्यू पर पड़ता है. हालांकि, हालिया वित्तीय उतार-चढ़ाव के कारण केसर टर्मिनल एंड इंफ्रास्ट्रक्चर को यहां शामिल नहीं किया गया है.
- Container Corporation of India
कंटेनर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया यानी CONCOR देश में कंटेनराइज्ड कार्गो ट्रांसपोर्ट का बड़ा नाम है. यह रेल के जरिए इनलैंड कंटेनर ट्रांसपोर्ट, पोर्ट मैनेजमेंट, एयर कार्गो कॉम्प्लेक्स और कोल्ड चेन जैसी सेवाएं देता है. Q2 FY26 में कंपनी ने मजबूत ऑपरेटिंग प्रदर्शन दिखाया. तिमाही में रिकॉर्ड 14 लाख टीईयू का थ्रोपुट रहा, जबकि पहली छमाही में यह आंकड़ा 27 लाख टीईयू तक पहुंच गया, जो सालाना आधार पर 11 फीसदी ज्यादा है. कुल आय ₹2,447 करोड़ रही और मुनाफा ₹377 करोड़ के करीब पहुंचा.
मार्जिन में सुधार की बड़ी वजह बेहतर एसेट यूटिलाइजेशन और कम खाली रन रहे. आने वाले समय में वेस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर का जेएनपीटी से जुड़ना कंपनी के लिए बड़ा ट्रिगर माना जा रहा है. हालांकि, शेयर ने बीते एक साल में करीब 22 फीसदी की गिरावट भी देखी है.
- Gateway Distriparks
गेटवे डिस्ट्रिपार्क्स एक इंटीग्रेटेड लॉजिस्टिक्स सर्विस प्रोवाइडर है, जो वेयरहाउसिंग, रेल-रोड ट्रांसपोर्ट और कंटेनर हैंडलिंग जैसी सेवाएं देता है. Q2 FY26 में कंपनी का थ्रोपुट 5.9 फीसदी बढ़कर 1.9 लाख टीईयू रहा. तिमाही आय में 44 फीसदी से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई और मुनाफा ₹66 करोड़ के करीब पहुंचा. वेस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर से बेहतर कनेक्टिविटी कंपनी के लिए बड़ा अवसर मानी जा रही है. हालांकि, पिछले एक साल में शेयर करीब 29 फीसदी टूटा है, जिससे निवेशक अभी सतर्क नजर आ रहे हैं.
- Navkar Corporation
नवकार कॉरपोरेशन अब जेएसडब्ल्यू इंफ्रास्ट्रक्चर ग्रुप का हिस्सा है और कंटेनर फ्रेट स्टेशन व आईसीडी जैसे एसेट्स संचालित करती है. Q2 FY26 में कार्गो वॉल्यूम में सुधार दिखा, लेकिन मुनाफे के मोर्चे पर तस्वीर अभी साफ नहीं है. बीते वर्षों में मार्जिन 40 फीसदी से गिरकर सिंगल डिजिट तक आ गए हैं और कंपनी को नुकसान भी झेलना पड़ा है. हालांकि, पोर्ट-लिंक्ड एसेट्स के कारण वॉल्यूम रिकवरी का फायदा मिल सकता है, लेकिन निवेशकों को यहां धैर्य रखना पड़ सकता है. शेयर एक साल में करीब 42 फीसदी गिर चुका है.
- Brace Port Logistics
ब्रैस पोर्ट लॉजिस्टिक्स 2020 में शुरू हुई एक छोटी कंपनी है, जो फ्रेट फॉरवर्डिंग और मल्टीमॉडल ट्रांसपोर्ट में काम करती है. FY25 में कंपनी का रेवेन्यू ₹85.6 करोड़ रहा और मुनाफा ₹6.9 करोड़ के आसपास रहा. कंपनी ने घरेलू नेटवर्क के साथ-साथ दुबई सब्सिडियरी के जरिए विदेशों में भी कदम बढ़ाए हैं. हालांकि, यह स्मॉल-कैप है और तिमाही नतीजे उपलब्ध नहीं होते, इसलिए निवेशकों के लिए जोखिम और अवसर दोनों मौजूद हैं.
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वैल्यूएशन क्या कहता है?
EV/EBITDA के आधार पर देखें तो इस सेक्टर में वैल्यूएशन एक-समान नहीं है. CONCOR प्रीमियम पर ट्रेड कर रहा है, क्योंकि इसका नेटवर्क बड़ा और कैश फ्लो स्थिर है. गेटवे डिस्ट्रिपार्क्स सेक्टर मीडियन से नीचे है, जो सतर्कता दिखाता है. नवकार ऊंचे मल्टीपल पर है, लेकिन मुनाफा कमजोर है. ब्रैस पोर्ट मीडियन के आसपास है, लेकिन इसका बेस छोटा है.
भारत में पोर्ट और टर्मिनल ऑपरेटर कंपनियों का वैल्यूएशन:
| क्रम संख्या | कंपनी का नाम | EV/EBITDA | ROCE (%) | 1 साल का रिटर्न (%) |
|---|---|---|---|---|
| 1 | Container Corporation Of India | 15.0 | 11.7 | 13.9% |
| 2 | Gateway Distriparks | 7.8 | — | 10.6% |
| 3 | Navkar Corporation | 44.7 | — | -1.8% |
| 4 | Brace Port Logistics | 9.2 | — | 35.2% |
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