डिफॉल्टर Karvy के निवेशकों को दावा दायर करने के लिए फिर मिला मौका, सेबी ने इस तारीख तक बढ़ाई समय सीमा

SEBI ने डिफॉल्टर ब्रोकर Karvy Stock Broking Ltd (KSBL) के निवेशकों के लिए अपने दावे दायर करने की समय सीमा बढ़ाकर 31 दिसंबर 2025 कर दी है. अब इस नई तारीख के सामने आने से निवेशकों को राहत मिलेगी क्योंकि जिन्होंने किसी कारणों के चलते अब तक दावा दायर नहीं किया था उन्हें नया मौका मिला है. दरअसल दावा दायर करने की आखिरी डेट जून 2025 में बीत चुकी है और नई समय सीमा से आना राहत की खबर मानी जा रही है.

सेबी Image Credit: Canva

मार्केट रेगुलेटर सेबी (SEBI) ने डिफॉल्टर ब्रोकर Karvy Stock Broking Ltd (KSBL) के निवेशकों के लिए अपने दावे दायर करने की समय सीमा दिसंबर तक बढ़ा दी है. अब, निवेशक 31 दिसंबर 2025 तक दावा दायर कर सकते हैं. केएसबीएल को 23 नवंबर 2020 को नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) द्वारा डिफॉल्टर घोषित किया गया था. इसके बाद, निवेशकों को ब्रोकर के खिलाफ दावे दायर करने के लिए आमंत्रित किया गया था जिसकी अंतिम तारीख 2 जून, 2025 निर्धारित की गई थी. अब, सेबी ने इस समय सीमा को 31 दिसंबर 2025 तक बढ़ाने का फैसला किया है.

सेबी ने अपने बयान में कहा कि निवेशकों को समय सीमा का ध्यान रखने का सुझाव दिया गया है और उनसे आग्रह किया गया है कि यदि उन्होंने पहले से दावा दायर नहीं किया है तो वे समय सीमा से पहले अपना दावा दायर कर दें.

निवेशक सहायता के लिए यहां संपर्क कर सकते हैं

सहायता के लिए, निवेशक एनएसई से उसके टोल-फ्री नंबर 1800 266 0050 पर कॉल करके या defaultisc@nse.co.in पर ईमेल करके संपर्क कर सकते हैं.

KSBL और उसके CMD पर लगा है 7 साल का बैन

अप्रैल 2023 में सेबी ने KSBL और उसके सीएमडी सी पार्थसारथी को प्रतिभूति बाजार से सात साल के लिए प्रतिबंधित कर दिया था और ब्रोकर को दिए गए पावर ऑफ अटॉर्नी का दुरुपयोग करके ग्राहकों के धन की हेराफेरी करने के आरोप में उन पर 21 करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगाया था.

यह कार्रवाई KSBL द्वारा बड़े पैमाने पर संपत्ति जुटाने के अभियान से प्रेरित थी, जिसमें उसने वित्तीय संस्थानों से भारी मात्रा में फंड जुटाया था. ब्रोकर ने ऐसा ग्राहकों की प्रतिभूतियों को गिरवी रखकर किया था जो ब्याज का भुगतान करने के वादे के साथ KSBL को दिए गए पावर ऑफ अटॉर्नी के माध्यम से सुरक्षित थीं.

ब्रोकर ने इन प्रतिबद्धताओं को पूरा करने की जगह उनके फंड का दुरुपयोग किया गया और फंड को KSBL से जुड़ी संस्थाओं को डाइवर्ट कर दिया गया. इसके परिणामस्वरूप नियामक मानदंडों का उल्लंघन हुआ व ग्राहकों की प्रतिभूतियों और धन के निपटान में चूक हुई।