Zomato, Bluestone, Urban Co. समेत इन IPO ने बनाया अरबपति, 600 करोड़ बने 56000 करोड़; दिग्गज अब भी कर रहे होल्ड

भारत के शेयर बाजार में पिछले कुछ महीनों ने निवेशकों को नई कहानियां दी हैं. कभी नामचीन कंपनियां पीछे रह गईं, तो कभी अनदेखे खिलाड़ियों ने सभी को चौका दिया. स्टार्टअप्स की लिस्टिंग ने अचानक ऐसा माहौल बना दिया है, जिसमें हर निवेशक यह सोच रहा है. आखिर किसने सबसे ज्यादा फायदा उठाया?

स्टार्टअप IPO से 10 लाख करोड़ की वैल्यू अनलॉक Image Credit: Money9 Live

भारत के शेयर बाजार में हाल के महीनों में स्टार्टअप कंपनियों ने जिस तेजी से दस्तक दी है, उसने निवेशकों और मार्केट दोनों को चौंका दिया है. पहले यह धारणा थी कि वेंचर कैपिटल या टेक स्टार्टअप्स का खेल केवल प्राइवेट इंवेस्टमेंट तक सीमित है, लेकिन अब तस्वीर बदल चुकी है. Urban Company जैसी कंपनियों ने लिस्टिंग के पहले ही हफ्ते में 80 फीसदी की तेजी दर्ज कराई और देखते ही देखते 26000 करोड़ रुपये का मार्केट कैप बना डाला. इसी तरह Bluestone और इंडीक्यूब ने भी निवेशकों का ध्यान खींचा. महज 50 दिनों में करीब 40,000 करोड़ रुपये का नया बाजार मूल्य जुड़ गया. यह संकेत है कि इंडियन इक्विटी मार्केट में स्टार्टअप्स अब हाशिए पर नहीं, बल्कि मेनस्ट्रीम का हिस्सा बन चुके हैं.

भारतीय स्टार्टअप्स में तेजी

आज की तारीख में भारतीय बाजार में लिस्टेड 30 से ज्यादा स्टार्टअप्स का टोटल मार्केट कैप 9.5 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है. यह आंकड़ा दिखाता है कि भारत के स्टार्टअप्स अब केवल यूनिकॉर्न या वैल्यूएशन की कहानियों तक सीमित नहीं रहे, बल्कि वे आम निवेशकों के पोर्टफोलियो में भी जगह बनाने लगे हैं. Zomato जैसी कंपनियां तो अब बेंचमार्क इंडेक्स तक पहुंच गई हैं. इस दौर ने निवेशकों को नए मजबूत खिलाड़ी और पिछड़ते खिलाड़ी भी दिखाए हैं. आइए समझते हैं किसने इस लहर से सबसे ज्यादा मुनाफा कमाया.

Info Edge की सबसे बड़ी बाजी

नौकरी डॉट कॉम बनाने वाले संजीव भिखचंदानी का यह फैसला कि उन्होंने जोमैटो और पॉलिसीबाजार में शुरुआती दौर में निवेश किया, मौजूदा वक्त में यह सबसे शानदार निवेश साबित हुआ. 2011 से 2015 के बीच इंफो एज ने करीब 600 करोड़ रुपये लगाए, जो आज 56,000 करोड़ रुपये हो चुका है. यानी करीब 93 गुना रिटर्न.

खास बात यह रही कि इंफो एज ने समय से पहले हिस्सेदारी बेचने की जल्दी नहीं दिखाई और लंबे समय तक शेयर होल्ड किया. नतीजा यह हुआ कि भारत में यह कंपनी सबसे सफल कॉरपोरेट वेंचर इन्वेस्टर बनकर उभरी.

सॉफ्टबैंक विजन फंड का बड़ा दांव

जापानी निवेशक मासायोशी सोन की रणनीति हमेशा से ‘बड़ा खेलो या लौट जाओ’ वाली रही है. भारत में निवेश करते वक्त सॉफ्टबैंक ने यही रास्ता अख्तियार किया. 2021 के बाद जितने यूनिकॉर्न पब्लिक हुए, उनमें से आधे सॉफ्टबैंक के पोर्टफोलियो में थे.

कंपनी इन कंपनियों से पहले ही 3 अरब डॉलर का मुनाफा निकाल चुकी है और अब भी 2.5 अरब डॉलर की हिस्सेदारी इक्विटी मार्केट में रखती है. फ्लिपकार्ट में वॉलमार्ट को बेचकर 4 अरब डॉलर कैपिटल के साथ एग्जिट भी किया. पे-टीएम में नुकसान के बावजूद, सॉफ्टबैंक ने भारत से अपनी शुरुआती पूंजी लगभग पूरी निकाल ली है और आने वाले समय में मीशो, लेंसकार्ट, ओयो और ऑफबिजनेस के IPO से नई कमाई की उम्मीद कर रहा है.

Alibaba की फीकी कहानी

जहां सॉफ्टबैंक की कहानी शानदार रही, वहीं चीन की दिग्गज कंपनी अलीबाबा का सफर निराशाजनक साबित हुआ. पे-टीएम में 3 अरब डॉलर का घाटा हुआ और ई-कॉमर्स में किए गए दांव (स्नैपडील, पे-टीएम मॉल, बिग बास्केट) भी कामयाब नहीं हो सके. हालांकि, जोमैटो से करीब 6 गुना मुनाफा जरूर मिला, लेकिन भारत का पूरा इंवेस्टमेंट चैप्टर अलीबाबा के लिए एक मुश्किल सफर रहा. सीमा विवाद और भू-राजनीतिक हालात ने भी इस निवेश को चोट पहुंचाई.

Prosus का भरोसा

डच-साउथ अफ्रीकी निवेशक प्रोसेस ने भारत में करीब 3 अरब डॉलर लगाए. स्विगी के IPO से ही उसने 500 मिलियन डॉलर निकाल लिए और अब भी 3 अरब डॉलर से ज्यादा की होल्डिंग रखता है. Meesho और कैप्टन फ्रेश लिस्टिंग की कतार में हैं और Elastic Run और Eruditus भी पाइपलाइन में हैं. प्रोसेस का मल्टी-स्टेज निवेश मॉडल और भारत पर भरोसा दिखाता है कि आने वाले सालों में यह कंपनी और बड़ा रोल निभाएगी.

Elevation कैपिटल की Paytm बाजी

सॉफ्टबैंक और अलीबाबा जहां पे-टीएम से नुकसान उठाकर निकले, वहीं सबसे बड़ा फायदा एलीवेशन कैपिटल ने कमाया. पहले इसे सैफ पार्टनर्स के नाम से जाना जाता था. एलीवेशन को पे-टीएम से 25 गुना का फायदा हुआ और सालों पहले सेकेंडरी मार्केट में हिस्सेदारी बेचकर 625 मिलियन डॉलर का कैश-आउट भी किया. स्विगी, अर्बन कंपनी और इक्सिगो जैसे अन्य निवेशों से भी इसे अच्छा रिटर्न मिला.

Peak XV और ग्लोबल खेल

Peak XV ने भारत समेत कई देशों में लिस्टेड कंपनियों से बड़ा मुनाफा कमाया. सिर्फ भारत में ही इसने 1.3 अरब डॉलर का एग्जिट किया और अब भी आधे अरब डॉलर की होल्डिंग रखता है. अमेरिका में फ्रेशवर्क्स, इंडोनेशिया में गो-टू और स्वीडन में ट्रूकॉलर की लिस्टिंग ने इसके पोर्टफोलियो को और मजबूत किया. भारत में मीशो और ग्रो में इसकी बड़ी हिस्सेदारी है.

Accel की सफलता और Tencent की स्टेबिलिटी

Accel का बड़ा दांव फ्लिपकार्ट और फ्रेशवर्क्स रहे. फ्लिपकार्ट से 25-30 गुना और फ्रेशवर्क्स से 27 गुना रिटर्न हासिल कर एक्सेल ने वैश्विक स्तर पर भी नाम कमाया. भारत में इन्फ्रा. मार्केट और जेटवर्क जैसी कंपनियों की लिस्टिंग आगे इसके पोर्टफोलियो में और इजाफा कर सकती है.

चीन की दूसरी दिग्गज टेनसेंट ने भारत में 12,000 करोड़ रुपये लगाए और अभी भी फ्लिपकार्ट, ओला कंज्यूमर और Cars24 जैसी कंपनियों में हिस्सेदारी रखती है. इसका कुल नकद रिटर्न और मौजूदा होल्डिंग 8000 करोड़ रुपये तक आ चुका है, जो अलीबाबा की तुलना में बेहतर स्थिति दिखाता है.

Hero MotoCorp का EV दांव और Tiger Global

कॉरपोरेट निवेशकों में हीरो मोटोकॉर्प का अतरंगी दांव सबसे ज्यादा चर्चित रहा. इलेक्ट्रिक स्कूटर कंपनी एथर एनर्जी में लगाया गया पैसा दस गुना ज्यादा होकर अब 7,000 करोड़ रुपये की वैल्यू तक पहुंच चुका है. IPO के बाद महज पांच महीने में ही एथर के शेयर दोगुने हो गए. इस सफलता से उत्साहित होकर हीरो ने ई-ट्रक कंपनी यूलेर में भी निवेश कर दिया.

कभी भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम का सबसे आक्रामक निवेशक माने जाने वाले टाइगर ग्लोबल का पहला दांव फ्लिपकार्ट में शानदार रहा. लेकिन 2019-21 के बीच किए गए ग्रोथ-स्टेज निवेश उतने सफल नहीं हो सके. नतीजतन, कंपनी ने अपनी आक्रामकता कम कर दी और अब सहायक भूमिका में दिखाई देती है.

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किसने मारी बाजी, किसे हुआ घाटा

इस पूरी IPO लहर से यह साफ है कि भारत का स्टार्टअप इकोसिस्टम अब नई दिशा में बढ़ रहा है. इंफो एज और सॉफ्टबैंक जैसे निवेशक सबसे बड़े विजेता बनकर उभरे, जबकि अलीबाबा जैसी कंपनियों को नुकसान उठाकर पीछे हटना पड़ा. वहीं एलीवेशन और पीक XV जैसे वेंचर कैपिटल फर्म्स ने अपनी शुरुआती निवेश और धैर्य से बड़ा रिटर्न कमाए.

डिस्क्लेमर: Money9live किसी स्टॉक, म्यूचुअल फंड, आईपीओ में निवेश की सलाह नहीं देता है. यहां पर केवल जानकारी दी गई है. निवेश से पहले अपने वित्तीय सलाहकार की राय जरूर लें.

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