Zerodha वाले नितिन कामथ ने बताया टैक्स सेविंग का हैक, हड़बड़ी में स्टॉक्स नहीं बेचने की दी सलाह
Zerodha के नितिन कामथ ने स्टॉक्स ट्रेडिंग और इन्वेस्टिंग करने वालों को एक गजब का टैक्स सेविंग हैक बताया है. इसके साथ ही सलाह दी है कि स्टॉक्स को कभी हड़बड़ी में नहीं बेचना चाहिए. कामथ ने एक्स पर एक पोस्ट में अपनी आजमाई इस रणनीति के बारे में क्या कुछ और बताया जानिए.

Zerodha के को-फाउंडर और CEO नितिन कामथ ने हाल ही में अपने निवेश अनुभव से जुड़ा एक सरल और प्रभावी तरीका सोशल मीडिया पर साझा किया. उन्होंने बताया कि कैसे डबल डीमैट अकाउंट का इस्तेमाल करके न सिर्फ अनुशासित निवेश किया जा सकता है, बल्कि टैक्स बचाने और हडबड़ी में सेलिंग से भी बचा जा सकता है.
क्या है डबल डीमैट का फंडा?
कामथ ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा, “Zerodha शुरू करने से पहले, जब मैं एक्टिव ट्रेडिंग कर रहा था, तब मेरे पास एक ऑफलाइन डिमैट अकाउंट था, जिसमें मैं अपने लॉन्ग-टर्म निवेश रखता था और दूसरा ऑनलाइन अकाउंट था ट्रेडिंग के लिए. यह तरीका इसलिए अपनाया, ताकि अपने निवेश को बार-बार “ट्रेड” करने की इच्छा से बच सकूं. अगर मुझे अपने किसी निवेश को बेचना होता था, तो इसमें मेहनत करनी पड़ती थी. मुझे डिलीवरी इंस्ट्रक्शन स्लिप भरनी होती थी और उसे ब्रोकर को भेजना पड़ता था, ताकि होल्डिंग्स को मेरे प्राइमरी डीमैट में ट्रांसफर कर सकूं और फिर बेच सकूं.”
कौनसे शेयर से मिला अच्छा रिटर्न?
कामथ ने बताया, “सबसे अच्छा रिटर्न उन शेयरों पर मिला, जिन्हें मैंने सेकेंडरी डिमैट में सबसे ज्यादा समय तक होल्ड किया.”
यह बताता है कि धैर्य और अनुशासन से किया गया निवेश समय के साथ अच्छा रिटर्न देता है. थोड़ी असुविधा भी निवेश में बेहतर निर्णय लेने में मदद कर सकती है.”
टैक्स बचाने का बड़ा फायदा
कामथ ने बताया कि इस रणनीति का एक और बड़ा फायदा टैक्स प्लानिंग से जुड़ा है. भारत में यदि शॉर्ट-टर्म और लॉन्ग-टर्म होल्डिंग्स एक ही डीमैट में रखी जाती हैं, तो FIFO (First In, First Out) नियम लागू होता है. इससे होल्डिंग पीरियड और टैक्स की गणना प्रभावित हो सकती है. कामथ ने समझाया कि अलग-अलग डीमैट में होल्डिंग्स रखने से FIFO अलग-अलग लागू होता है और टैक्स फाइलिंग को स्मार्ट तरीके से मैनेज किया जा सकता है.
Zerodha ने शुरू किया सेकेंडरी डीमैट का ऑप्शन
इस रणनीति को आसान बनाने के लिए Zerodha ने सेकेंडरी डिमैट अकाउंट का विकल्प भी शुरू कर दिया है. कामथ ने कहा, “आप अब नया डीमैट खोल सकते हैं और उसमें अपने लॉन्ग टर्म और शॉर्ट टर्म होल्डिंग्स को अलग करके टैक्स इम्पैक्ट को बेहतर तरीके से मैनेज कर सकते हैं.”
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