1.5 लाख करोड़ का साम्राज्य… फिर भी न मोबाइल, न लग्जरी! रतन टाटा जैसी सादगी, कर्मचारियों के नाम कर दी हिस्सेदारी

Ramamurthy Thyagarajan करीब 1.5 लाख करोड़ रुपये के ग्रुप के संस्थापक होने के बावजूद वे एक साधारण घर में रहते हैं और लगभग छह लाख रुपये की कार चलाते हैं. उनके लिए दौलत दिखाने की चीज नहीं, बल्कि समाज के काम आने का साधन है. यही सोच उनकी पूरी कारोबारी यात्रा में साफ दिखाई देती है.

1.5 लाख करोड़ का साम्राज्य Image Credit: Money 9 Live

Ramamurthy Thyagarajan: जब अमीरी को बड़े बंगले, महंगी कारें और लग्जरी लाइफस्टाइल से जोड़ा जाता है, तब Ramamurthy Thyagarajan की कहानी बिल्कुल अलग नजर आती है. शोर-शराबे से दूर रहने वाले Thyagarajan सादगी और अनुशासन जीवन में विश्वास रखते हैं. उनकी जीवनशैली कई मायनों में दिवंगत Ratan Tata की याद दिलाती है. देश के सबसे बड़े फाइनेंशियल समूहों में से एक Shriram Group की नींव रखने वाले त्यागराजन न तो मोबाइल फोन रखते हैं, न ही दिखावे वाली जिंदगी जीते हैं.

Ramamurthy Thyagarajan करीब 1.5 लाख करोड़ रुपये के ग्रुप के संस्थापक होने के बावजूद वे एक साधारण घर में रहते हैं और लगभग छह लाख रुपये की कार चलाते हैं. उनके लिए दौलत दिखाने की चीज नहीं, बल्कि समाज के काम आने का साधन है. यही सोच उनकी पूरी कारोबारी यात्रा में साफ दिखाई देती है.

आज तक मोबाइल फोन नहीं रखा

राममूर्ति त्यागराजन का मानना है कि ज्यादा सुविधाएं इंसान का ध्यान भटका देती हैं. इसी वजह से उन्होंने आज तक मोबाइल फोन नहीं रखा. वे मानते हैं कि शांति और फोकस के लिए सादगी जरूरी है. उनका रहन-सहन आज भी बिल्कुल आम लोगों जैसा है. त्यागराजन का जन्म तमिलनाडु के एक संपन्न किसान परिवार में हुआ. पढ़ाई में वे शुरू से तेज थे. उन्होंने चेन्नई से गणित में ग्रेजुएशन और पोस्ट-ग्रेजुएशन किया. इसके बाद उन्होंने कोलकाता स्थित इंडियन स्टैटिस्टिकल इंस्टीट्यूट में तीन साल बिताए. यहीं से उनकी सोच को एक मजबूत दिशा मिली, जिसने आगे चलकर उनके बिजनेस फैसलों को अलग बनाया.

नौकरी से बिजनेसमैन बनने तक का सफर

उनका करियर साल 1961 में न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी से शुरू हुआ. इसके बाद उन्होंने Vyasa Bank और जेबी बोड़ा जैसी संस्थाओं में काम किया. इन वर्षों में उन्होंने भारत की वित्तीय व्यवस्था को बहुत करीब से समझा. इसी दौरान उन्हें एहसास हुआ कि छोटे कारोबारियों और ट्रक चालकों को बैंक आसानी से कर्ज नहीं देते. चेन्नई में रहते हुए लोग अक्सर उनसे ट्रक खरीदने के लिए मदद मांगते थे. उन्होंने अपनी जमा पूंजी से उधार देना शुरू किया. यहीं से एक बड़े विचार ने जन्म लिया. 37 साल की उम्र में उन्होंने दोस्तों और परिवार के साथ मिलकर ‘Shriram चिट्स’ की शुरुआत की. मकसद था उन लोगों को कर्ज देना जिन्हें बैंक नजरअंदाज कर देते हैं.

कर्मचारियों के नाम कर दी अपनी पूरी हिस्सेदारी

समय के साथ Shriram सिर्फ चिट फंड तक सीमित नहीं रहा. आज यह लोन, इंश्योरेंस, स्टॉक ब्रोकिंग जैसे कई क्षेत्रों में काम करता है. समूह में 30 से ज्यादा कंपनियां हैं और 1 लाख से ज्यादा कर्मचारी जुड़े हैं. इसकी प्रमुख कंपनी Shriram Finance Limited देश की बड़ी फाइनेंस कंपनियों में गिनी जाती है.

साल 2006 में त्यागराजन ने एक ऐतिहासिक कदम उठाया. उन्होंने Shriram Group की अपनी पूरी हिस्सेदारी कर्मचारियों के नाम ट्रस्ट के जरिए ट्रांसफर कर दी. यह फैसला भारत की कॉरपोरेट दुनिया में मिसाल माना जाता है. उनका मानना है कि कंपनी का असली हकदार वही होता है जो उसे रोज चलाता है.

भरोसे पर आधारित बिजनेस मॉडल

Shriram में कर्ज देने का तरीका भी अलग है. यहां सिर्फ क्रेडिट स्कोर नहीं देखा जाता, बल्कि इंसान की साख और भरोसे को अहमियत दी जाती है. त्यागराजन का मानना है कि ज्यादा सैलरी और तुलना की संस्कृति से असंतोष बढ़ता है. आज Shriram Group लाखों लोगों के लिए वित्तीय सहारा है. इसके पीछे एक ऐसा संस्थापक है, जिसने साबित किया कि अरबों का साम्राज्य खड़ा करने के लिए दिखावा नहीं, बल्कि ईमानदारी, अनुशासन और इंसानियत चाहिए.

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