वित्त मंत्रालय ने कर दिया साफ, 2000 रुपये से ज्यादा के UPI ट्रांजैक्शन नहीं लगेगा GST
सरकार ने 2,000 रुपये से ज्यादा के UPI ट्रांजैक्शन पर GST लगाने की खबरों को बेबुनियाद बताया है. मंत्रालय ने कहा कि P2M ट्रांजैक्शन पर न तो मर्चेंट डिस्काउंट रेट (MDR) लिया जाता है और न ही GST लागू होता है. सरकार की UPI इंसेंटिव स्कीम छोटे व्यापारियों को लाभ देती है. 2023 में दुनियाभर के 49 फीसदी रियल-टाइम ट्रांजैक्शन भारत में हुए.
वित्त मंत्रालय ने साफ कर दिया कि 2,000 रुपये से ज्यादा की UPI ट्रांजैक्शन पर GST लगाने की कोई योजना नहीं है. मंत्रालय ने ऐसी खबरों को पूरी तरह गलत, भ्रामक और बेबुनियाद बताया है. सरकार ने दोहराया कि वह डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है और UPI ट्रांजैक्शन पर किसी तरह का टैक्स नहीं लगाया जाएगा. सरकार की ओर से जारी एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि इस समय सरकार के पास ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है. इस बयान से उन यूजर्स और व्यापारियों की चिंताओं पर विराम लग गया है जो बड़े अमाउंट की डिजिटल पेमेंट पर अतिरिक्त चार्ज लगने को लेकर परेशान थे.
सरकार ने स्पष्ट किया है कि कुछ पेमेंट तरीकों पर लगने वाले सर्विस चार्ज जैसे मर्चेंट डिस्काउंट रेट (MDR) पर तो जीएसटी लागू हो सकता है, लेकिन पर्सन-टू-मर्चेंट (P2M) UPI ट्रांजैक्शन पर कोई MDR नहीं लिया जाता. इसके साथ ही बताया गया कि यह छूट जनवरी 2020 से लागू है, जो 30 दिसंबर 2019 को सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज़ (CBDT) की गजट नोटिफिकेशन के बाद लागू हुई थी. इसलिए इन ट्रांजैक्शनों पर कोई जीएसटी नहीं लिया जाता.
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डिजिटल पेमेंट को अपनाना आसान
कैशलेस इकोनॉमी को बढ़ावा देने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराते हुए सरकार ने UPI इंसेंटिव स्कीम की सफलता को उजागर किया है, जो वित्त वर्ष 2021-22 से चल रही है. इस स्कीम के तहत कम राशि वाले UPI पर्सन-टू-मर्चेंट (P2M) ट्रांजैक्शनों को बढ़ावा देने के लिए वित्तीय मदद दी जाती है. इसका सीधा फायदा छोटे कारोबारियों को मिलता है, क्योंकि इससे उनके लेनदेन पर कोई अतिरिक्त खर्च नहीं आता और डिजिटल पेमेंट को अपनाना आसान होता है.
भारत डिजिटल पेमेंट्स में दुनिया में सबसे आगे
ACI वर्ल्डवाइड रिपोर्ट 2024 के मुताबिक, 2023 में दुनियाभर में जितने भी रियल-टाइम ट्रांजैक्शन हुए, उनमें से 49 फीसदी अकेले भारत में हुए. इससे भारत की डिजिटल पेमेंट इनोवेशन में लीडरशिप साबित होती है. यूपीआई के जरिए ट्रांजैक्शनों की संख्या और वैल्यू में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है. जहां 2019-20 में कुल यूपीआई ट्रांजैक्शन 21.3 लाख करोड़ रुपये के थे, वहीं मार्च 2025 तक ये बढ़कर 260.56 लाख करोड़ रुपये पहुंच गए हैं.
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