Crypto Explained: समझ लें Cryptocurrency और NFT का सिस्टम, कैसे करता है काम, क्या है अंतर?
Cryptocurrencies और NFT डिजिटल टोकन होते हैं. ये दोनों ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी पर आधारित हैं. क्रिप्टोकरेंसी, जहां लोगों को किसी भी डिजिटल करेंसी की तरह लेदेन की सुविधा देती है. वहीं, NFT यानी नॉन फंजिबल टोकन डिजिटल आर्ट, कंटेट और मीडिया को यूनिक पहचान देते हैं. जानते हैं दुनियादारी के लिहाज से ये कैसे काम करते हैं और इनमें क्या अंतर है?

करेंसी यानी यानी मुद्रा ऐसी खोज है, जिसने इंसानों को एडवांस इकोनॉमी बनाने में मदद की है. अतीत को देखें, तो कौड़ियों से लेकर स्वर्ण मुद्राएं करेंसी रह चुकी हैं. फिलहाल, अलग-अलग देशों के केंद्रीय बैंकों की तरफ से जारी नोट मेनस्ट्रीम करेंसी हैं. लेकिन, इसके साथ ही डिजिटल स्पेस में क्रिप्टोकरेंसी का अवतरण हो चुका है, जिसे भविष्य की मुद्रा कहा जा रहा है. बहरहाल, जानते हैं क्रिप्टोकरेंसी क्या है, यह कैसे काम करती है और NFT से यह कैसे अलग है?
क्या है crypto का मतलब?
Merriam-Webster शब्दकोष के मुताबिक “Crypto” शब्द प्राचीन ग्रीक शब्द “kryptos” से बना है. इसका मतलब होता है, छिपा हुआ या गोपनीय. उस दौरा में यह शब्द गोपनीय बातचीत के लिए शब्दों के नए संयोजन के साथ कोड लैंग्वेज के तौर पर इस्तेमाल होता था.
क्या है क्रिप्टोकरेंसी?
रिजर्व बैंक ऑफ ऑस्ट्रेलिया के मुताबिक, क्रिप्टोकरेंसी “एक प्रकार की डिजिटल मुद्रा है, जो लोगों को ऑनलाइन सिस्टम के जरिये एक-दूसरे को सीधे भुगतान करने की सुविधा देती है. क्रिप्टोकरेंसी का कोई कानूनी या आंतरिक मूल्य नहीं है; वे केवल उतने ही मूल्य के हैं जितने लोग बाजार में उनके लिए भुगतान करने को तैयार हैं. यह राष्ट्रीय मुद्राओं के विपरीत है, जिन्हें कानूनी तौर पर अपनाए जाने से उनके मूल्य का एक हिस्सा मिलता है. वहीं, साइबर सिक्योरिटी फर्म kaspersky के मुताबिक क्रिप्टोकरेंसी एक डिजिटल भुगतान व्यवस्था है, जिसमें लेन-देन को वैरिफाई करने के लिए बैंकों पर निर्भरता नहीं है. यह एक पीयर-टू-पीयर सिस्टम है, जो वास्तविक दुनिया में फिजिकल करेंसी को यूनिक डिजिटल टोकन से रिप्लेस करता है.
क्रिप्टोकरेंसी और NFT में अंतर
जब भी क्रिप्टोकरेंसी की बात होती है, तो इसके साथ ही NFT यानी नॉन फंजिबल टोकन की भी बात होती है. असल में तकनीकी आधार पर दोनों ही ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी पर आधारित बने टोकन हैं. लेकिन, NFT और क्रिप्टोकरेंसी टोकन में सबसे बड़ा फर्क यह होता है कि क्रिप्टोकरेंसी टोकन एक सामन होते हैं, जबकि NFT टोकन एक सामन नहीं होते हैं. आसान भाषा में समझें, तो एक बिटकॉइन को दूसरे बिटकॉइन से रिप्लेस किया जा सकता है, क्योंकि दोनों आइडेंटिकल यानी एक समान हैं. जबकि, NFT आइडेंटिकल नहीं होते हैं. ऐसे में एक NFT को दूसरे से रिप्लेस नहीं किया जा सकता है. मिसाल के तौर पर दो लोग आपस एक-एक बिटकॉइन का लेनदेन कर ट्रांजेक्शन स्क्वायर ऑफ सकते हैं, लेकिन एक NFT का ट्रांजेक्शन किसी दूसरे NFT से स्क्वायर ऑफ नहीं किया जा सकता है.
कैसे काम करता है क्रिप्टो ट्रांजेक्शन?
क्रिप्टोकरंसी ट्रांजेक्शन असल में इलेक्ट्रॉनिक मैसेज के जरिये होता है. इस मैसेज में लेनदेन के बारे में पूरी जानकारी पूरे ब्लॉकचेन नेटवर्क को भेजी जाती है. मैसेज में लेनदेन में शामिल पक्षों के इलेक्ट्रॉनिक एड्रेस, लेनदेन का आकार और टाइम स्टांप शामिल होते हैं. ग्रीक शब्द क्रिप्टो के विपरीत इसमें लेनदेन छिपाए जाने के बजाय पूरे नेटवर्क को बताया जाता है.
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