IB-CBI के कॉल पर रहें सतर्क, दिव्यांग बेटे की चिंता में डिजिटल अरेस्ट हुए पिता ने गवाएं 56 लाख, अब दवाई के भी पैसे नहीं
साइबर अपराधियों ने खुद को सीबीआई अधिकारी बताकर एक बुजुर्ग को डिजिटल हाउस अरेस्ट का डर दिखाया और उसकी जीवनभर की कमाई 56 लाख रुपये ठग ली. पीड़ित ने अपने दिव्यांग बेटे की चिंता में पैसे दे दिए. जानिए ऐसी ठगी से कैसे.
Digital arrest: आज डिजिटल युग में इंटरनेट और सोशल मीडिया ने हमारी अभिव्यक्ति को नई आजादी दी है, लेकिन साथ ही डिजिटल अरेस्ट के खतरे भी बढ़ रहे हैं. डिजिटल अरेस्ट करने वाले साइबर अपराधी सरकारी अधिकारी बनकर लोगों को ठगते हैं. हालिया घटना ऐसा है कि जिसमें ना सिर्फ चोर ने पैसे ठगे, बल्कि वो कहानी सुनकर आपके भी आंख छलक जाएंगे. ठगी में उन्होंने अपने जीवन भर की पूरी कमाई गवा दिया है. हालात ये हो गए हैं कि बेटे की दवाई के लिए भी उनके पास पैसे नहीं बचे हैं.
बेटे की चिंता में पिता ने ठगों को दिए 56 लाख
दैनिक भास्कर की एक रिपोर्ट के अनुसार, साइबर ठगों की धमकी से डरे-सहमे 70 वर्षीय एक बुजुर्ग पिता ने अपने रिटायरमेंट में मिले अपने 56 लाख रुपये की एफडी तोड़कर साइबर ठगों को दे दिया. उन्होंने साइबर चोर को पैसे इस डर से दिए कि कहीं उनकी गिरफ्तारी के बाद उनका 40 साल का दिव्यांग बेटा रवि बेसहारा ना हो जाए.
साइबर अपराधियों ने अपने आप को आईबी और सीबीआई अधिकारी बताकर उन्हें 72 घंटे यानी तीन दिन तक डिजिटल हाउस अरेस्ट किए रखा है. ठग उनसे कह रहा था कि उन्होंने 1.5 करोड़ रुपये खालिस्तानियों को हवाला के रास्ते ट्रांसफर किए है. रवि बेसहारा ना हो जाए, इसलिए उन्होंने जालसाजों की बात में आकर 56 लाख रुपये दे दिए.
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ऐसे रहें सेफ
- शांत रहें और घबराएं नहीं – इस तरह के फ्रॉड में अपराधी आपकी घबराहट का फायदा उठाते हैं. ठंडा दिमाग बनाए रखें.
- डिजिटल अरेस्ट नकली है – भारत में वीडियो या कॉल के माध्यम से गिरफ्तारी नहीं होती. यदि कोई ऐसा दावा करता है, तो वह फ्रॉड है
- संदेहास्पद कॉल्स को तुरंत ब्लॉक करें – अनजान नंबरों से आने वाले कॉल या वीडियो कॉल से बचें.
- पर्सनल जानकारी साझा ना करें – OTP, बैंक विवरण, पासवर्ड, CVV आदि किसी भी स्थिति में साझा ना करें. अगर व्यक्ति स्वयं को बैंक या पुलिस अधिकारी कहता रहे फिर भी कुछ भी शेयर ना करें.
- वीडियो कॉल पर भरोसा ना करें – अधिकारियों की ओर से वीडियो कॉल पर पूछताछ या गिरफ्तारी नहीं होती. यदि ऐसा हो, तो सीधे आधिकारिक नंबर पर कॉल करके वेरिफाई करें.
- आगे की कार्रवाई पर रोक लगाने वाले उपाय – बैंक से एडवांस लेन-देन सीमा तय करें और उन्हें कहें कि किसी भी बड़ी राशि के लिए आपसे पुष्टि जरूरी हो.
यहां करें शिकायत
किसी साइबर अपराधी या ऑनलाइन धोखाधड़ी के शिकार होने पर नेशनल हेल्पलाइन नंबर 1930 पर शिकायत करें और साथ ही भारत सरकार की वेबसाइट cybercrime.gov.in पर रिपोर्ट करें. इससे इस बात की संभावना है कि आप खोई हुई रकम पा सकते हैं. इसके साथ आप राज्य साइबर क्राइम ब्रांच में भी अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं. जैसे उत्तर प्रदेश में साइबर ठगी के शिकार होने वाले 112 पर कॉल करके इसकी जानकारी क्राइम ब्रांच को दे सकते हैं.