साइबर फ्रॉड मामले में फंसे इंडस्ट्रियलिस्ट पवन रूइया, 300 करोड़ की ठगी का आरोप; मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज

कोलकाता के इंडस्ट्रियलिस्ट पवन रुइया और उनके परिवार पर ₹300 करोड़ के साइबर फ्रॉड और मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में केस दर्ज किया गया है. पुलिस जांच में पता चला है कि इस फ्रॉड में नकली इन्वेस्टमेंट प्लेटफॉर्म, डिजिटल अरेस्ट स्कैम और शेल कंपनियों के जरिए देश भर में 1,000 से ज्यादा लोगों को धोखा दिया गया.

पवन रुइया पर ₹300 करोड़ के साइबर फ्रॉड के मामले में केस दर्ज किया गया है. Image Credit:

Cyber Fraud: पश्चिम बंगाल साइबर क्राइम विंग ने 300 करोड़ रुपये के साइबर फ्रॉड और मनी लॉन्ड्रिंग के बड़े मामले का खुलासा किया है. इस घोटाले में कोलकाता के इंडस्ट्रियलिस्ट पवन कुमार रूइया और उनके परिवार के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है. पुलिस के अनुसार, यह नेटवर्क 2024 से सक्रिय था और देशभर में 1,000 से अधिक लोगों को फर्जी इन्वेस्टमेंट प्लेटफॉर्म और डिजिटल गिरफ्तारी जैसे स्कैम के जरिये ठगा गया. जांच में कई शेल कंपनियों और क्रिप्टो ट्रांजेक्शन का खुलासा हुआ है.

फर्जी इन्वेस्टमेंट और डिजिटल गिरफ्तारी स्कैम का जाल

न्यूज 18 की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस घोटाले में हजारों लोगों को फर्जी ऑनलाइन इन्वेस्टमेंट प्लेटफॉर्म और डिजिटल गिरफ्तारी के नाम पर ठगा गया. इस नेटवर्क के तार कई राज्यों और डिजिटल प्लेटफॉर्म से जुड़े हुए हैं. साइबर फ्रॉड का पैसा कई कंपनियों और खातों के जरिये ट्रांसफर किया गया ताकि असली सोर्स को छिपाया जा सके.

रूइया परिवार पर मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप

एफआईआर में पवन कुमार रूइया, उनके परिवार के सदस्यों और कुछ कंपनियों के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप लगाए गए हैं. जांच में पता चला है कि रूइया परिवार के कुछ सदस्य इन फर्जी लेनदेन से सीधे फायदा हुआ. साइबर क्राइम विंग ने स्वतः संज्ञान लेकर यह मामला दर्ज किया जब पिछले केस की जांच में संदिग्ध ट्रांजेक्शन सामने आए.

पहले भी विवादों में रहे हैं पवन रूइया

यह पहला मौका नहीं है जब पवन रूइया कानूनी पचड़े में फंसे हैं. 2016 में भी रेलवे के उपकरण गायब होने के मामले में दिल्ली के सुंदर नगर स्थित उनके घर पर छापेमारी की गई थी. उस समय रेलवे से जुड़े 50 करोड़ रुपये के उपकरणों के गायब होने का आरोप था, जो जेसप एंड कंपनी लिमिटेड के डम -डम यूनिट में रखे थे.

97 करोड़ रुपये का फर्जी ट्रांजेक्शन नेटवर्क

एफआईआर में खुलासा हुआ है कि हुगली मशीनरीज प्राइवेट लिमिटेड नाम की कंपनी के खातों में फर्जी पैसे ट्रांसफर किए गए. कंपनी के पास एक ही पैन नंबर से जुड़े 11 करेंट अकाउंट थे जिनका इस्तेमाल मनी लॉन्ड्रिंग के लिए किया गया. नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल पर दर्ज 544 साइबर फ्रॉड केस इन खातों से जुड़े पाए गए जिनमें कुल 97 करोड़ रुपये का लेनदेन हुआ.

चार परिवार के सदस्य बने मुख्य आरोपी

पुलिस सूत्रों के मुताबिक, रूइया परिवार के चार सदस्य इस बड़े साइबर फ्रॉड के मुख्य लाभार्थी हैं. जांच में कम से कम 23 पीड़ितों के खातों से सीधे पैसे रूइया नेटवर्क से जुड़े खातों में पहुंचे हैं. फिलहाल पुलिस ने संदिग्ध ठिकानों पर दो छापे मारे हैं और बाकी जगहों पर छापेमारी और गिरफ्तारी की कार्रवाई जारी है.

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जांच में जुटी एजेंसियां और आगे की कार्रवाई

जांच एजेंसियां अब इस मामले की पूरी मनी ट्रेल का पता लगाने और खातों को फ्रीज करने में लगी हैं. पुलिस का कहना है कि जैसे-जैसे डिजिटल सबूत मिलेंगे, नए नाम सामने आने की संभावना है. यह केस देश के अब तक के सबसे बड़े साइबर मनी लॉन्ड्रिंग मामलों में से एक माना जा रहा है.