ई-ऑक्शन में सस्ते घर खरीदने का सोच रहे हैं आप? कहीं हो न जाएं धोखाधड़ी का शिकार; जान लें ठगों के पैंतरे
ऑनलाइन प्रॉपर्टी नीलामी ने घर और जमीन खरीदना आसान कर दिया है. लेकिन इस सुविधा के साथ-साथ एक खतरा भी जुड़ा है, जिसके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं. अगर आपने जरा सी लापरवाही दिखाई, तो आपकी कमाई पलक झपकते ही गायब हो सकती है..
ऑनलाइन प्रॉपर्टी नीलामी अब रियल एस्टेट खरीदने का एक लोकप्रिय तरीका बन चुकी है. बैंक और वित्तीय संस्थान डिफॉल्टर से वसूली के लिए जब्त संपत्तियों को ई-ऑक्शन के जरिए बेचते हैं. इस प्रक्रिया में कई बार खरीदारों को बाजार से कम कीमत पर घर या जमीन मिल जाती है. लेकिन जैसे-जैसे यह डिजिटल लेन-देन बढ़ा है, वैसे-वैसे इसमें धोखाधड़ी के मामले भी तेजी से सामने आ रहे हैं.
फर्जी वेबसाइट, नकली लिस्टिंग और फर्जी बोलीदाता के जरिए कई लोग ठगी के शिकार हो रहे हैं. ऐसे में समझदारी और सावधानी से ही आपकी कमाई सुरक्षित रह सकती है.
क्या है प्रॉपर्टी ई-ऑक्शन स्कैम?
प्रॉपर्टी ई-ऑक्शन की प्रक्रिया कानूनी ढंग से होती है ताकि बकाया कर्ज की वसूली हो सके. हालांकि, धोखेबाज इसी सिस्टम का गलत फायदा उठाकर नकली लिस्टिंग तैयार करते हैं और भोले-भाले खरीदारों को फंसा लेते हैं. इसलिए खरीदारों के लिए सबसे अहम है कि वे नीलामी की प्रामाणिकता की जांच जरूर करें.
ई-ऑक्शन से जुड़े घोटाले कई रूपों में सामने आते हैं. कुछ धोखेबाज नकली वेबसाइट बनाकर खरीदारों को आकर्षित करते हैं. कुछ बेहद कम दाम पर संपत्ति दिखाकर लोगों को फंसाते हैं, जबकि हकीकत में उस प्रॉपर्टी का बैंक से कोई संबंध ही नहीं होता. कई मामलों में नकली दस्तावेज बनाकर स्वामित्व का झूठा दावा किया जाता है. वहीं, कुछ लोग फर्जी बोलीदाता बनकर प्रॉपर्टी की कीमत को आर्टिफिशियली बढ़ा देते हैं. इसके अलावा एडवांस जमा कराने के नाम पर पैसे लेकर भाग जाने वाले मामलों की भी कमी नहीं है.
नकली ई-ऑक्शन की पहचान कैसे करें?
अगर आप प्रॉपर्टी ई-ऑक्शन में हिस्सा लेना चाहते हैं, तो सबसे पहले आधिकारिक बैंक वेबसाइट की जांच करें. हमेशा SSL सर्टिफिकेशन वाले सुरक्षित पोर्टल पर ही लेन-देन करें. विक्रेता के दस्तावेजों की पुष्टि करें और स्वामित्व का इतिहास देखें. किसी भी तीसरे पक्ष के एजेंट से बचें और सीधे बैंक से जानकारी हासिल करें. अगर कोई डील बहुत सस्ती लगे तो सावधान हो जाएं और मार्केट रेट से तुलना जरूर करें. प्रॉपर्टी को मौके पर जाकर देखना और स्थानीय निकाय के रिकॉर्ड से मिलान करना भी बेहद जरूरी है.
धोखाधड़ी का सामना हो तो क्या करें?
अगर आप फर्जी ई-ऑक्शन का शिकार हो जाएं तो तुरंत साइबर क्राइम पोर्टल या पुलिस में शिकायत दर्ज कराएं. नेशनल कंज्यूमर हेल्पलाइन जैसे मंचों पर भी मामला उठाया जा सकता है. संबंधित बैंक या संस्था को सूचित करना न भूलें. अगर आपने पैसे ट्रांसफर किए हैं तो बैंक को तुरंत बताएं और खाते पर नजर रखें. कानूनी सलाह लेकर आगे की कार्रवाई करें और अपने अनुभव को सोशल मीडिया या रियल एस्टेट फोरम पर साझा करें ताकि अन्य लोग भी ठगी से बच सकें.
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डिजिटल प्लेटफॉर्म ने जहां प्रॉपर्टी खरीद-बिक्री को आसान बनाया है, वहीं धोखेबाजों को भी मौका दे दिया है. ऐसे में खरीदारों के लिए यही सबसे बड़ा सबक है कि आप बिना जांच-पड़ताल कोई कदम न उठाएं. आधिकारिक स्रोतों पर भरोसा करें और हर दस्तावेज को कानूनी रूप से परखें. थोड़ी सी सतर्कता से आप बड़ी ठगी से बच सकते हैं और अपनी पूंजी को सुरक्षित रख सकते हैं.