Android का Earthquake Alert सिस्टम भरोसे के लायक नहीं? टर्की में नहीं बजा अलर्ट, मच गई थी तबाही

Google के Android Earthquake Alert System की तकनीक लाखों जिंदगियों को बचाने का वादा करती है, लेकिन 2023 के टर्की भूकंप में यह सिस्टम नाकाम रहा. इसकी विफलता ने लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या स्मार्टफोन आधारित अलर्ट सिस्टम पर भरोसा किया जा सकता है.

क्या है भूकंप अलर्ट सिस्टम? Image Credit: @AI/Money9live

Android Earthquake Alert System: Google की ओर से बनाया गया Android Earthquake Alert System नई तकनीक का एक बड़ा उदाहरण माना जाता है. यह सिस्टम स्मार्टफोन के भीतर मौजूद एक्सेलेरोमीटर की मदद से भूकंप के झटकों को पहचानता है और जमीन कांपने से पहले यूजर्स को अलर्ट भेजता है. Google के मुताबिक, जब किसी क्षेत्र में कई Android फोन एक साथ झटके महसूस करते हैं, तो यह डेटा कंपनी के सर्वर तक पहुंचता है, जहां उस झटके की तीव्रता और स्थान का अनुमान लगाया जाता है. फिर यह सिस्टम यूजर्स को दो तरह के अलर्ट भेजता है. गंभीर चेतावनी और सामान्य सूचना. लेकिन हाल ही में इस सिस्टम की बड़ी नाकामयाबी दिखी है.

टर्की में काम नहीं आया सिस्टम

दरअसल, 6 फरवरी 2023 को टर्की में भूकंप आया था. उसमें 7.8 तीव्रता के भूकंप ने इस सिस्टम की वास्तविकता को उजागर कर दिया. Google के इस अलर्ट सिस्टम ने इस बड़े भूकंप को मात्र 4.5 से 4.9 तीव्रता का झटका मान लिया और उसके अनुसार ही अलर्ट जारी किए. इसका असर ये हुआ कि जहां 1 करोड़ से अधिक लोग Take Action अलर्ट रिसीव कर सकते थे, वहां यह अलर्ट केवल 469 लोगों तक ही पहुंच पाया. बाकी लगभग 5 लाख लोगों को Be Aware नोटिफिकेशन मिला, चूंकि यह अलर्ट फोन को नहीं जगाता, और भूकंप तड़के 4:17 बजे आया था, अधिकांश लोग सोते रह गए.

क्या है Google का कहना?

इस चूक के कारण हजारों लोगों को समय पर चेतावनी नहीं मिल पाई, और कई जानें चली गई. Google ने इस मामले की समीक्षा के बाद अपने एल्गोरिदम को बेहतर किया है. कंपनी का कहना है कि अगर नया एल्गोरिदम पहले से होता, तो 1 करोड़ Take Action और 6.7 करोड़ Be Aware अलर्ट भेजे जा सकते थे. Android Earthquake Alert System अब लगभग 100 देशों में एक्टिव है, विशेष रूप से उन क्षेत्रों में जहां राष्ट्रीय स्तर की अलर्ट सिस्टम नहीं है. लेकिन यह घटना बताती है कि तकनीक कितनी भी आधुनिक क्यों न हो, अगर वह डेटा को सही से प्रोसेस न कर पाए तो उसका मकसद अधूरा रह जाता है.

पूरी तरह भरोसेमंद नहीं सिस्टम!

Google का कहना है कि हर भूकंप के साथ वह इस सिस्टम को और बेहतर बनाने की कोशिश कर रहा है. हालांकि, इस घटना ने यह स्पष्ट कर दिया है कि Android आधारित यह अलर्ट सिस्टम केवल एक “सप्लीमेंटरी लेयर” है, न कि पूरी तरह भरोसेमंद समाधान. जब जान बचाने की बात हो, तो तकनीक को केवल तेज नहीं, सटीक भी होना चाहिए. और इस मामले में, Google को अभी और मेहनत करनी होगी.

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