1 नवंबर से चीन-अमेरिका नए टैरिफ की होगी शुरुआत, भारत और दुनिया के लिए क्या मायने रखता है नया ‘ट्रेड वॉर’

अमेरिका और चीन के बीच चल रही व्यापारिक तनातनी अब नए मोड़ पर पहुंच गई है. ट्रंप प्रशासन ने एक ऐसा ऐलान किया है जिससे पूरी दुनिया के बाजारों में हलचल मच गई है. आने वाले महीनों में इसके असर से न केवल कंपनियां बल्कि आम उपभोक्ता भी प्रभावित हो सकते हैं.

चीन-अमेरिका ट्रेड Image Credit: Freepik

अमेरिका और चीन के बीच व्यापारिक तनाव एक नए स्तर पर पहुंच गया है. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन से आयातित सभी सामानों पर 1 नवंबर 2025 से 100 फीसदी टैरिफ लगाने की धमकी दी है. यह कदम चीन के तरफ से रेयर अर्थ मेटल पर लगाई गई रोक के जवाब में उठाया गया है. ये खनिज इलेक्ट्रॉनिक्स से लेकर डिफेंस सेक्टर तक के लिए बेहद जरूरी हैं. अभी तक अधिकांश चीनी प्रोडक्ट पर 30 फीसदी की बुनियादी टैरिफ लगी थी, जो 10 नवंबर तक लागू रहेगी. NYT ने रिपोर्ट के हवाले से कहा है कि अगर यह नई दर लागू हुई, तो यह अमेरिका-चीन व्यापारिक संबंधों में सबसे बड़ा झटका माना जाएगा, जिससे अमेरिकी उपभोक्ताओं के लिए वस्तुओं की कीमतों में इजाफा होने की संभावना है.

किस सेक्टर पर कितना ट्रैफिक?

ट्रंप प्रशासन ने राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देते हुए कई उद्योगों पर हाई रेट की टैरिफ लगाई है. इसमें स्टील और एल्यूमिनियम पर 50 प्रतिशत, ऑटो और ऑटो पार्ट्स पर 25 प्रतिशत, और AI डेटा सेंटर में इस्तेमाल होने वाले कॉपर पार्ट्स पर 50 प्रतिशत टैरिफ शामिल है. इसके अलावा, भारी ट्रक, फर्नीचर, timber, कैबिनेट्स और ब्रांडेड दवाओं पर भी टैरिफ लगाने की प्रक्रिया चल रही है. नए जांचों में सेमीकंडक्टर, ड्रोन, विमान, पवन टरबाइन और फिल्मों जैसी वस्तुएं भी शामिल हैं.

आपातकालीन टैरिफ और कई देशों पर असर

ट्रंप ने 1970 के दशक के आपातकालीन आर्थिक कानून का इस्तेमाल करके करीब 90 देशों पर टैरिफ लगाई हैं. इसमें दरें 15 से 50 फीसदी के बीच हैं, और तीसरे देशों के माध्यम से सामान भेजे जाने पर ज्यादा सख्त टैरिफ लगाए गए हैं. ब्राजील पर सबसे ज्यादा 50 फीसदी टैरिफ है, जबकि भारत की दर 25 फीसदी से बढ़ाकर 50 फीसदी कर दी गई है, यह कदम भारत के रूसी तेल की खरीद से जुड़ा है.

हालांकि ट्रंप की नीति आक्रामक है, लेकिन कुछ मित्र देशों के साथ समझौते भी हुए हैं. यूरोपीय संघ, दक्षिण कोरिया, ब्रिटेन, जापान, वियतनाम, फिलीपींस और इंडोनेशिया ने अमेरिकी निवेश और बाजार खोलने के बदले 15-20 फीसदी टैरिफ स्वीकार की हैं. उदाहरण के लिए, दक्षिण कोरिया ने अधिक अमेरिकी ऊर्जा खरीदने पर सहमति दी, जबकि यूरोपीय संघ ने कार और दवाओं पर 15 प्रतिशत टैरिफ तय की.

लगभग 96 देशों, जैसे ऑस्ट्रेलिया, सिंगापुर, सऊदी अरब, रूस और कई अफ्रीकी देशों, पर अमेरिका ने 10 प्रतिशत की समान टैरिफ लागू की है. यहां तक कि छोटे देश जैसे भूटान, बेलीज और सामोआ भी इस दर के दायरे में हैं.

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आगे क्या होने वाला है

रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रंप की यह वैश्विक टैरिफ नीति आधुनिक अमेरिकी इतिहास में अनोखी है. हर देश हाई टैरिफ रेट का सामना कर रहा है, और इंडस्ट्री सप्लाई चेन में बदलाव के लिए तैयार हैं. अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट जल्द ही आपातकालीन टैरिफ पर सुनवाई करेगा, जो राष्ट्रपति के व्यापारिक अधिकार की सीमा तय कर सकती है. फिलहाल, उपभोक्ताओं को कार, फर्नीचर और अन्य वस्तुओं की कीमतों में बढ़ोतरी का सामना करना पड़ सकता है.