F-22 Raptor फाइटर जेट 28 साल पुराना, फिर भी बेचने पर प्रतिबंध, क्या एलियन टेक्नोलॉजी छिपा रहा अमेरिका?

F-22 Raptor को अमेरिकी एयरफोर्स में शामिल हुए दो दशक बीच चुके हैं. जबकि, इसकी पहली उड़ान 1997 में हुई. रैप्टर अब तक का सबसे गुप्त, सबसे महंगा, सबसे खतरनाक एयरक्राफ्ट है. पिछले दो दशक में बार-बार यह सवाल उठा है कि आखिर अमेरिका रैप्टर के पीछे क्या छिपा रहा है?

F22 Raptor ने पहली उड़ान 1997 में भरी थी Image Credit: Money9live

अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया मिलकर 5 आईज अलासंय बनाते हैं. ये पांचों देश आपस में कुछ नहीं छिपाते. लेकिन, अमेरिका ने F-22 रैप्टर को इन देशों को भी नहीं छूने दिया है. 2005 से 2012 के दौरान कुल 198 रैप्टर बनाए गए. इसके बाद अचानक प्रोडक्शन बंद कर दिया गया. दिलचस्प बात यह है 67 अरब डॉलर से ज्यादा के इस प्रोजेक्ट में दुनिया की दो सबसे बड़ी प्रतिद्वंद्वी कंपनी लॉकहीड मार्टिन और बोइंग ने साथ काम किया. यह दुनिया का सबसे महंगा फाइटर जेट है, जिसकी कीमत 35 करोड़ डॉलर तक है.

किसने बनाया रैप्टर F-22?

रैप्टर असल में US Air Force के ATF यानी एडवांस्ड टैक्टिकल फाइटर प्रोग्राम के तहत बनाया गया है. इसे बनाने का काम लॉकहीड मार्टिन और बोइंग में बांटा गया था. लॉकहीड मार्टिन ने इसके एयरफ्रेम और वेपन सिस्टम बनाया और फाइनल असेंबली का काम किया. वहीं, बोइंग ने इसके विंग, फ्यूसलाज, एवियोनिक्स इंटीग्रेशन और ट्रेनिंग सिस्टम पर काम किया.

यूएस आर्मी के लिए क्या है रैप्टर?

अमेरिकी वायुसेना के लिए F-22 रैप्टर एक ट्विन-इंजन, जेट-पावर्ड, ऑल-वेदर, सुपरसोनिक स्टील्थ लड़ाकू विमान है. इसे भविष्य के युद्धों में अमेरिका के एयर डोमिनेंस के लिए बनाया गया है. इसमें जमीनी पर हमला करने, इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर और सिग्नल इंटेलिजेंस की अनोखी क्षमताएं हैं.

क्यों उठे एलियन टेक्नोलॉजी के सवाल?

यूएस एयरफोर्स को ATF के कुल 750 फाइटर जेट तैयार करने थे. लेकिन, बाद में संख्या घटाकर 381 की गई. 2012 में कीमत बहुत ज्यादा होने का हवाला देते हुए 198 जेट बनाने के बाद अचानक उत्पादन बंद कर दिया गया. यह अजीब बात है, क्योंकि दुनिया जानती है कि डिफेंस के लिए अमेरिका के पास खर्च करने की कोई सीमा नहीं है. लिहाजा, ऐसी क्या वजह रही कि अचानक 198 जेट पर ही प्रोडक्शन रोक दिया गया और यह संख्या 200 भी पूरी नहीं की गई. कायस लगाए जाते हैं कि कोई ऐसी खास चीज जरूर है, जिसकी सीमित आपूर्ति की वजह से इसका उत्पादन रोक दिया गया.

पायलट क्यों हुए बीमार?

रैप्टर को लेकर एक और किवदंती यह है कि इसे उड़ाने वाले पायलट बीमार हो जाते हैं. उन्हें अजीब तरह की खांसी हो जाती है, जिसे रैप्टर कफ नाम दिया गया है. इसके अलावा द वाइस, सीबीएस सहित तमाम अमेरिकी मीडिया प्लेटफॉर्म ने 2009 से 2012 के बीच ऐसी रिपोर्टों दी हैं, जिनमें उड़ान के दौरान पायलट को ऑक्सीजन की सप्लाई में दिक्कत होने की बातें सामने आईं. इसके साथ ही यह भी दावे सामने आए हैं कि अक्सर पायलट इसकी 1.7 घंटे से ज्यादा की उड़ान नहीं भर पाते हैं. हालांकि, पायलटों के बीमार होने की बात पर अमेरिकी वायुसेना ने कभी कोई सफाई नहीं दी है.

क्यों लगाया गया निर्यात पर प्रतिबंध?

अमेरिकी इकोनॉमी में हथियारों के निर्यात की अहम भूमिका है. F-22 रैप्टर खरीदने के लिए ऑस्ट्रेलिया से लेकर जापान तक तमाम देशों ने रुचि दिखाई है. लेकिन, अमेरिका ने F-22 रैप्टर करीबी सहयोगी देशों के साथ भी साझा नहीं किया. यहां तक कि अमेरिकी कांग्रेस ने बकायदा कानून बनाकर इसके निर्यात पर प्रतिबंध लगाया है. प्रतिबंध के पीछे दलील दी गई है कि एयरक्राफ्ट की स्टील्थ टेक्नोलॉजी और इसकी क्षमताएं दुश्मनों के सामने लीक होने का जोखिम है.

क्या है हेलमेट में खास?

F-22 रैप्टर का HMDS यानी हेलमेट-माउंटेड डिस्प्ले सिस्टम बेहद खास बताया जाता है. यह ऑगमेंटेड रियल्टी आधारित नेविगेशन और टार्गेट सिस्टम से लैस है, जिससे रैप्टर को किसी भी तरह के मौसम में उडाया जा सकता है. हालांकि, पूरे जेट की तरह ही इसकी भी सटीक क्षमताएं रहस्य ही बनी हुई हैं. लेकिन, मोटे तौर पर रात में और बारिश जैसे मौसम में इसे उड़ा पाने की क्षमता इसकी हेलमेट से ही हासिल होती है.

क्यों माना जाता है सबसे खतरनाक?

प्रैट एंड व्हिटनी के F119-PW-100 इंजन से चलने वाला यह जेट कुल 70,000 पाउंड का थ्रस्ट बनाता है, जिससे आफ्टरबर्नर का इस्तेमाल किए बिना ही सुपरक्रूज यानी लगातार सुपरसोनिक स्पीड से उड़ान भरने में सक्षम है. मैक 1.5 यानी करीब 1,850 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से 50,000 फीट से अधिक की ऊंचाई पर बिना किसी रडार की पकड़ में आए दुश्मन के इलाके में घुस सकता है. इसके अलावा 3,000 किमी की रेंज इसे लंबी दूरी के मिशन में भी कामयाब बनाती है.

कितना घातक है वैपन सिस्टम?

F-22 रैप्टर की वैपनरी बेहद धातक है, जिसमें छह AIM-120 AMRAAM हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलें, दो AIM-9 साइडवाइंडर्स, एक 1,000 पाउंड का GBU-32 JDAM स्मार्ट बम और 480 राउंड वाली 20mm M61A2 वल्कन कैनन लगी है, जो इसे हवा और जमीन दोनों ही तरह के खतरों के लिए घातक बनाती है.