US FED ने 50 आधार अंक घटाई ब्याज दर, अमेरिकी बाजार ने दी सकारात्मक प्रतिक्रया, जानें भारत सहित पूरी दुनिया पर कैसा होगा इस फैसले का असर

यूएस फेड के प्रमुख जेरोम पॉवेल ने कहा कि महंगाई के मोर्चे पर ब्याज दर में कटौती एक शुरुआती जीत का संकेत है. यह फेड की कामयाबी है कि बिना किसी बड़ी आर्थिक समस्या के मुद्रास्फीति को कम किया गया है.

18 सितंबर को ब्याज दरें घटाने के बाद पत्रकारों से बात करते जेरोम पॉवेल Image Credit: US FED

अमेरिका के केंद्रीय बैंक यूएस फेडरल रिजर्व ने 2020 के बाद पहली बार ब्याज दरों में कटौती की है. महंगाई और बेरोजगारी के डाटा के आधार पर यूएस फेड के प्रमुख जेरोम पॉवेल ने पहले ही संकेत दिए थे कि ब्याज दर में कटौती की जाएगी. हालांकि, अनुमान लगाया जा रहा था कि यह कटौती 25 आधार अंक तक होगी. लेकिन, यूएस फेड ने 50 आधार अंक की कटौती कर पूरी दुनिया को चौंकाया है. अपने इस फैसले पर पॉवेल ने कहा कि अर्थव्यवस्था और लोगों के लिहाज से हमें जो उचित लगा वही किया है. फिलहाल, इस कटौती के साथ अमेरिका में ब्याज दर घटकर 4.9 फीसदी हो गई है. यूएस फेड के अधिकारियों का मानना है कि इस साल के अंत तक दरों को घटाकर 4.4 फीसदी किया जा सकता है.

पॉवेल ने कहा कि महंगाई के मोर्चे पर ब्याज दर में कटौती एक शुरुआती जीत का संकेत है. यह फेड की कामयाबी है कि बिना किसी बड़ी आर्थिक समस्या के मुद्रास्फीति को कम किया गया है. बेरोजगारी दर में हल्की वृद्धि हुई है, लेकिन यह चिंता की बात नहीं है. उपभोक्ता खर्च मजबूत बना हुआ है. इसके अलावा विकास भी मजबूत स्थिति में है. इस तरह ऐतिहासिक रूप से यह एक दुर्लभ सॉफ्ट लैंडिंग हुई है. इससे पहले अक्सर मंदी की स्थिति बनने के बाद ही अर्थव्यवस्था सही रास्ते पर लौटती थी.

इसके साथ ही उन्होंने कहा कि फेड का काम अभी पूरा नहीं हुआ है. आने वाले दिनों में ब्याज दरों को लेकर फिर से काम करना होगा. फेड ने अपने वक्तव्य में कहा कि साल के अंत में ब्याज दर 4.4 फीसदी पर आ सकती है, जो जून में लगाए गए 5.1 फीसदी के अनुमान की तुलना में काफी कम है. लंबी अवधि के लक्ष्य को लेकर कहा कि 2025 के अंत तक ब्याज दर घटकर 3.4 फीसदी तक पहुंचने की उम्मीद की जा सकती है. जब पॉवेल से पूछा गया कि क्या अमेरिका में 2 फीसदी से कम ब्याज दर वाला दौर फिर से लौट सकता है, तो उन्होंने कहा कि यह पता लगाने का उनके पास कोई उपाय नहीं है. हालांकि, व्यक्तिगत तौर पर वे मानते हैं कि अब अल्ट्रा लो कॉस्ट ब्याज दरों का दौर निकट भविष्य में अमेरिका में देखने को नहीं मिलने वाला है.

अमेरिकी बाजार रिकॉर्ड उच्चतम स्तर पर पहुंचे

प्रिंसिपल एसेट मैनेजमेंट की मुख्य वैश्विक रणनीतिकार सीमा शाह का कहना है यूएस फेड का यह फैसला अमेरिका सहित दुनियाभर के बाजारों के लिए खुश होने और जश्न मनाने का मौका है. शाह ने कहा कि यह जश्न आने वाले कई महीनों तक जारी रह सकता है. फेड की तरफ से ब्याज दरों में कटौती के एलान के बाद अमेरिका का बेंचमार्क इंडेक्स एसएंडपी 500 अपने 52 सप्ताह के उच्चतम स्तर 5692 पर पहुंच गया. इसके अलावा नैस्डेक और डो जोन्स भी खबर लिखे जाने तक हरे निशान में कारोबार करते दिखे. एलपीएल फाइनेंशियल के मुख्य वैश्विक रणनीतिकार क्विंसी क्रॉस्बी ने फेड के फैसले और बाजार के रुख पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि बाजारों में बिकवाली के बजाय बेंचमार्क इंडेक्स में बढ़त दर्ज की गई है. यह अनुकूल प्रतिक्रिया काफी हद तक महंगाई को कम करने पर फेड के जोर के लिए बाजार की तरफ से शुक्रिया कहने जैसी है. बाजार ने मान लिया है कि यह कोई आपातकालीन कटौती नहीं है, जिससे बाजार में हड़कंप मच जाए.

क्या होगा भारत और दुनिया पर असर

जानकारों के मुताबिक अमेरिका में ब्याज दर में कटौती होने पर भारत सहित दुनिया की ज्यादातर बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में भी ब्याज दरों में समायोजन किया जाएगा. भारत में अगले महीने रिजर्व बैंक की मौद्रिक समिति की बैठक होनी है. हालांकि, रिजर्व बैंक की तरफ से लगातार ऐसे संकेत दिए जा रहे हैं कि भारत में फिलहाल ब्याज दरों में कटौती नहीं होगी. लेकिन, अमेरिका के फैसले के बाद भारत में इसकी उम्मीदें बढ़ गई हैं. वहीं, बाजार के लिहाज से देखें, तो विदेशी निवेशक अब भारतीय बाजार की तरफ ज्यादा आकर्षित होंगे. खासतौर पर अमेरिकी निवेशक ज्यादा रिटर्न के लिए भारतीय बाजारों का रुख कर सकते हैं.

स्टार्टअप्स को मिलेगा ज्यादा निवेश

प्रोसस ग्रुप के अध्यक्ष एर्विन टयू ने फेड रेट कट पर कहा कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था के लिए अब महंगाई से ज्यादा विकास प्राथमिकता है. 2024 की पहली छमाही में डील वॉल्यूम में 9% की सालाना वृद्धि देखी गई. वहीं, 2023 में सालाना आधार पर इसमें 30% की कमी आई थी. जाहिर है कम ब्याज दरों का प्रभाव डील फ्लो को और बढ़ा सकता है. कम ब्याज पर पूंजी मिलने से स्टार्ट-अप को दीर्घकालिक विकास के लिए निवेश मिलना आसान हो जाएगा. इसके अलावा निवेशक भी जोखिम लेने को तैयार रहेंगे.

नीतिगत कमी को सुधारने की जल्दबाजी

ऑक्सफोर्ड इकोनॉमिक्स के मुख्य अमेरिकी अर्थशास्त्री रयान स्वीट फेड के फैसले पर प्रतिक्रया देते हुए कहा कि फेड को जुलाई में कटौती शुरू करनी थी. लेकिन, फेड अभी अपनी नीतिगत त्रुटियों को स्वीकार करने के मूड में नहीं है. सितंबर में इस तरह बड़ी कटौती बाधक भी बन सकती है. फेड को यह बात देर से समझ आई है कि जो महंगाई और मंदी के बीच संतुलन बनाए रखने की दौड़ है उसमें वह पीछे रह गया है. यह फैसला मंदी की आशंकाओं पर एक तरह से पूर्वव्यापी हमला है.