अमेरिका के H-1B वीजा की ₹88 लाख फीस को लेकर कंफ्यूजन दूर! भारतीय छात्रों, टेक एक्सपर्ट्स को बड़ी राहत
अमेरिका ने एच-1बी वीजा फीस 1,00,000 डॉलर ( (लगभग 88 लाख रुपये) पर नई गाइडलाइन जारी की है. नए और बदलाव वाले आवेदकों पर शुल्क नहीं लगेगा. मौजूदा वीजा धारकों को कोई रोक नहीं है. इससे भारतीय पेशेवरों को राहत मिली है.
अमेरिका के डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने H-1B वीजा को लेकर नई गाइडलाइन जारी की है. इसमें 1,00,000 डॉलर ( (लगभग 88 लाख रुपये) की फीस को लेकर साफ किया गया है कि यह फीस सभी आवेदकों को नहीं देनी होगी. अमेरिकी नागरिकता एवं आव्रजन सेवा (USCIS) ने सोमवार को जारी नए दिशानिर्देशों में यह स्पष्ट किया कि जिन आवेदकों ने अपने ‘स्टेटस’ में बदलाव कराने या अमेरिका में अपनी वीजा अवधि बढ़वाने का आवेदन किया है, उन पर यह अतिरिक्त शुल्क नहीं लगेगा. यह भारतीयों के लिए खासतौर से राहत लेकर आया है क्योंकि इस वीजा के लिए भारतीय सबसे ज्यादा अप्लाई करते हैं. बीते साल, 2024 में कुल स्वीकृत H-1B वीजाधारकों में से 70 प्रतिशत भारतीय मूल के कर्मचारी थे. भारत से आने वाले कुशल पेशेवरों की संख्या सबसे अधिक है. राष्ट्रपति ट्रंप ने 19 सितंबर के फीस बढ़ाने का ऐलान किया था.
क्या बोला USCIS
USCIS ने कहा कि यह आदेश पहले जारी किए गए और वर्तमान में मान्य एच-1बी वीजा या 21 सितंबर 2025 को रात 12:01 बजे से पहले जमा किए गए किसी भी आवेदन पर लागू नहीं होगा जिसमें आवेदक ने अपने ‘स्टेटस’ में बदलाव कराने या फिर प्रवास की अवधि बढ़वाने की इच्छा जताई है. यूएससीआईएस ने यह भी बताया कि इस आदेश में किसी भी मौजूदा एच1-बी धारक के अमेरिका में आने-जाने पर रोक नहीं है.
इन्हें मिलेगा लाभ
अगर आवेदक किसी दूसरे वीजा जैसे अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए एफ-1 वीजा, अंतरराष्ट्रीय कंपनियों के लिए एल-1 वीजा पर अमेरिका में प्रवेश करता है और बाद में वहीं रहते एच-1बी वीजा हासिल करता है तो उसे 1 लाख डॉलर की फीस नहीं देनी होगी. वह एच-1बी वीजा पर अमेरिका में आ-जा सकता है और उसे जुर्माना नहीं देना पड़ेगा.
कोलंबिया की अदालत ने इसे दी चुनौती
ये दिशानिर्देश अमेरिकी चैंबर ऑफ कॉमर्स द्वारा ट्रंप प्रशासन के शुल्क लगाने के निर्णय के विरुद्ध मुकदमा दायर करने के कुछ दिनों बाद जारी किए गए हैं. चैंबर ने इसे ‘भ्रामक नीति और स्पष्ट रूप से गैरकानूनी’ कार्रवाई बताया है जो अमेरिकी इनोवेशन और प्रतिस्पर्धा को कमजोर कर सकती है.
कोलंबिया की एक अदालत में 16 अक्टूबर को दायर मुकदमे में इस आदेश को चुनौती दी गई और कहा गया कि यह राष्ट्रपति के वैध अधिकार का अतिक्रमण है.