ट्रंप को पुतिन की बड़ी वार्निंग, कहा- भारत पर टैरिफ लगाने की पॉलिसी से उल्टा फंस सकता है अमेरिका
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को उनकी टैरिफ नीति को लेकर बड़ी वार्निंग दी है. पुतिन ने ट्रंप को चेताते हुए कहा है कि उनकी भारत पर टैरिफ लगाने वाली पॉलिसी उल्टी पड़ सकती है, जिसका अमेरिकी इकोनॉमी बुरा पर पड़ेगा.
टैरिफ के मामले में रूस लगातार भारत का सपोर्ट कर रहा है. गुरुवार को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को चेतावनी देते हुए कहा कि उनकी भारत पर टैरिफ लगाने वाली नीति ‘बूमरेंग’ साबित हो सकती है, जिससे भारत की जगह अमेरिकी इकोनॉमी को ज्यादा नुकसान पहुंच सकता है. अमेरिका राष्ट्रपति ट्रंप भारत पर टैरिफ के जरिये दबाव बनाकर रूस से एनर्जी ट्रेड कम कराने की कोशिश कर रहे हैं.
हालांकि, भारत ने अमेरिका दबाव को मानने इन्कार करते हुए कहा है कि भारत अपने राष्ट्रिय हितों के साथ समझौता नहीं करेगा. इसके साथ ही भारत ने अमेरिका के दोहरे मानकों को उजागर करते हुए पूरी दुनिया को बताया कि एक तरफ अमेरिका चाहता है कि भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए रूस से तेल नहीं खरीदे. वहीं, दूसरी तरफ खुद लगातार रूस से यूरेनियम और फर्टिलाइजर खरीद रहा है.
पुतिन ने क्या कहा?
रूसी मीडिया की रिपोर्ट्स के मुताबिक पुतिन ने गुरुवार को कहा कि भारत पर टैरिफ लगाने से अमेरिका की इकोनॉमी पर ही बोझ बढ़ेगा. पुतिन का कहना है कि अगर ट्रंप प्रशासन अपने ट्रेड पार्टनर्स पर ज्यादा टैरिफ लगाता है, तो ग्लोबल प्राइस बढ़ेंगे और फेडरल रिजर्व को लंबे समय तक ब्याज दरें ऊंची रखनी पड़ेंगी. इसका सीधा असर अमेरिकी अर्थव्यवस्था की सुस्ती के रूप में देखने को मिलेगा.
भारत को बदमानी बर्दाश्त नहीं
रूस के सोची में वालदाई डिस्कसन क्लब के सालाना एक्सपर्ट फोरम को संबोधित करते हुए पुतिन ने कहा, भारत और चीन जैसे देश बदनामी सहने वाले नहीं हैं. दोनों देशों के साथ रूस के एनर्जी और डिफेंस रिश्ते काफी गहरे हैं और पश्चिमी दबाव का असर सीमित रहने वाला है.
दिसंबर में भारत दौरा
पुतिन 5-6 दिसंबर को भारत यात्रा पर आ सकते हैं, जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ 23वीं वार्षिक समिट होगी. यह पुतिन की फरवरी 2022 में यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद पहली भारत यात्रा होगी. पिछली बार वे दिसंबर 2021 में भारत आए थे.
डिफेंस और एनर्जी पर सहयोग
माना जा रहा है कि इस समिट में रक्षा और ऊर्जा सहयोग पर फोकस रहेगा. रूस ने भारत को SU-57 लड़ाकू विमान की सप्लाई का प्रस्ताव दिया है, जिसमें 70% तक टेक्नोलॉजी ट्रांसफर और बाद में जॉइंट प्रोडक्शन का ऑफर शामिल है. इसके अलावा S-400 की अतिरिक्त डील और S-500 सिस्टम के जॉइंट प्रोडक्शन पर भी चर्चा हो सकती है. नौसेना के लिए मिसाइल सिस्टम और उपकरण सहयोग भी एजेंडा में हैं.
कृषि और खाद भी अहम एजेंडा
हाल के वर्षों में एग्रीकल्चर भी भारत-रूस पार्टनरशिप का नया स्तंभ बना है. रूस से भारत को फर्टिलाइज़र सप्लाई बढ़ाने और एग्रीकल्चर प्रोडक्ट्स के जॉइंट प्रोडक्शन पर बातचीत होने वाली है.
स्ट्रैटेजिक ऑटोनॉमी पर कायम भारत
मोदी सरकार ने हमेशा यह साफ किया है कि भारत की विदेश नीति रणनीतिक स्वायत्तता पर आधारित है. रूस के साथ भारत के भरोसेमंद रिश्ते भारत की विदेश नीति का अहम स्तंभ बने हुए हैं और यही रिश्ते एशिया में स्थिरता और वैश्विक संतुलन बनाए रखने में मदद कर रहे हैं.