रूस 10 लाख भारतीयों को देगा नौकरी, मशीनरी और इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग में बढ़ रही है मांग

रूस में भारतीय लोगों के लिए नौकरी के नए अवसर खुल रहे हैं. रूस में इस साल के अंत तक 10 लाख विदेशी कामगारों को लाने की योजना है. यह बात पिछले महीने एक बिजनेस लीडर ने कही. रूस के उद्योगों में कामगारों की कमी को पूरा करने के लिए यह कदम उठाया जा रहा है. खासकर उन इलाकों में जहां बड़े-बड़े उद्योग हैं, वहां स्किल्ड कामगारों की बहुत जरूरत है.

रूस 10 लाख भारतीयों को देगा नौकरी Image Credit: Canva

Increase in demand for labor in Russia: रूस में भारतीय लोगों के लिए नौकरी के नए अवसर खुल रहे हैं. भारत के रूस में राजदूत विनय कुमार ने न्यूज एजेंसी TASS को दिए एक इंटरव्यू में बताया कि रूस की मशीनरी और इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनियां भारतीय कामगारों को नौकरी देने में रुचि दिखा रही हैं. उन्होंने कहा, “रूस में कामगारों की जरूरत है और भारत के पास स्किल्ड लोग हैं. रूस के नियमों और कानूनों के तहत कंपनियां भारतीयों को काम पर रख रही हैं.”

विनय कुमार ने बताया कि अभी तक ज्यादातर भारतीय कामगार कंस्ट्रक्शन और कपड़ा उद्योग में काम कर रहे हैं. लेकिन अब मशीनरी और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे क्षेत्रों में भी भारतीयों की मांग बढ़ रही है. जैसे-जैसे भारतीय रूस में काम करने के लिए जा रहे हैं, वैसे-वैसे वहां consular services की जरूरत भी बढ़ रही है. उदाहरण के लिए, पासपोर्ट रिन्यू करना, बच्चों के जन्म का रजिस्ट्रेशन या पासपोर्ट खो जाने की स्थिति में मदद जैसी सेवाएं.

10 लाख विदेशी कामगारों को लाने की तैयारी

दूसरी ओर, रूस में इस साल के अंत तक 10 लाख विदेशी कामगारों को लाने की योजना है. यह बात पिछले महीने एक बिजनेस लीडर ने कही. रूस के उद्योगों में कामगारों की कमी को पूरा करने के लिए यह कदम उठाया जा रहा है. खासकर उन इलाकों में जहां बड़े-बड़े उद्योग हैं, वहां स्किल्ड कामगारों की बहुत जरूरत है. रूस के उराल चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के प्रमुख आंद्रे बेसेडिन ने कहा कि इस साल के अंत तक 10 लाख भारतीय कामगार रूस आएंगे.

स्वेर्दलोव्स्क रूस का एक महत्वपूर्ण औद्योगिक क्षेत्र है. यहां की मशहूर कंपनियां जैसे उरालमाश और टी-90 टैंक बनाने वाली उराल वैगन ज़वोड हैं. बेसेडिन ने बताया कि स्वेर्दलोव्स्क में उद्योगों को और ज्यादा उत्पादन करने की जरूरत है, लेकिन वहां स्किल्ड कामगारों की कमी है. कुछ कामगार यूक्रेन में चल रही सैन्य कार्रवाई में व्यस्त हैं और युवा लोग कारखानों में काम करने के लिए नहीं आ रहे. इसलिए भारतीय कामगारों को बुलाया जा रहा है, जो इस कमी को पूरा कर सकते हैं.

2030 तक रूस में 31 लाख कामगारों की कमी

रूस न केवल भारत से, बल्कि श्रीलंका और उत्तर कोरिया जैसे देशों से भी कामगार लाने पर विचार कर रहा है. हालांकि, यह प्रक्रिया थोड़ी जटिल है. साल 2024 में भारतीय कामगार रूस के अलग-अलग क्षेत्रों में काम करने के लिए पहुंचने लगे हैं. उदाहरण के लिए, कालिनिनग्राद में फिश प्रोसेसिंग करने वाली कंपनी “जा रोडिनु” ने भी भारतीय कामगारों को बुलाया है, क्योंकि वहां कामगारों की कमी थी.

रूस के लेबर मिनिस्ट्री का अनुमान है कि साल 2030 तक रूस में 31 लाख कामगारों की कमी हो सकती है. इस कमी को पूरा करने के लिए रूस ने साल 2025 में विदेशी कामगारों की संख्या बढ़ाने का फैसला किया है. अगले साल रूस 2.3 लाख स्किल्ड विदेशी कामगारों को बुलाने की योजना बना रहा है, जो पिछले साल की तुलना में डेढ़ गुना ज्यादा है.

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