दुनिया की अर्थव्यवस्था चलाने वाले आईएमएफ को कौन चलाता है, जानिए कैसे तय होता है देशों का कोटा
वैश्विक अर्थव्यवस्था को चलाने वाले आईएमएफ को असल में 24 लोग चला रहे होते हैं, इन लोगों को कार्यकारी बोर्ड के निदेशक कहा जाता है. आइए जानते हैं कि इन्हें कौन नियुक्त करता है.
पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था को चलाने वाले अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) को चलाने में दो अहम समूह होते हैं, एक गवर्नर बोर्ड, दूसरा कार्यकारी बोर्ड. गवर्नर बोर्ड आईएमएफ में फैसले करने वाला सर्वोच्च निकाय है। इसमें प्रत्येक सदस्य देश के लिए एक गवर्नर और एक वैकल्पिक गवर्नर होता है, इनकी नियुक्ति सदस्य देश ही करता है. आमतौर सदस्य देश के वित्त मंत्री और केंद्रीय बैंक के प्रमुख इसमें शामिल होते हैं। आईएमएफ के रोजमर्रा का कामकाज24 सदस्यीय कार्यकारी बोर्ड करता है. 24 में से पांच निदेशक सबसे बड़े कोटा रखने वाले सदस्य देशों की तरफ नियुक्त किए जाते हैं. बचे हुए 19 को शेष सदस्य देश चुनते हैं.
क्या करता है गवर्नर बोर्ड
गवर्नर बोर्ड अपनी ज्यादातर शक्तियां कार्यकारी बोर्ड को सौंप देता है. हालांकि, कोटा और विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर) आवंटन, नए सदस्यों के प्रवेश, सदस्यों की अनिवार्य वापसी और समझौते के नियम और कानूनों में संशोधन को मंजूरी देने का काम करता है. गवर्नर बोर्ड ही कार्यकारी निदेशकों की नियुक्ति करता है, जो आईएमएफ के समझौते के लेखों की व्याख्या से संबंधित मुद्दों पर अंतिम मध्यस्थ होते हैं। आईएमएफ और विश्व बैंक समूह के गवर्नर बोर्ड की साल में एक बार बैठक होती है. इस बैठक में दोनों संगठनों के सालाना कामकाज पर चर्चा की जाती है और आगे की कार्ययोजना तय की जाती है.
मंत्रिस्तरीय समितियों की भूमिका
आईएमएफ के गवर्नर बोर्ड को सलाह देने के लिए अंतरराष्ट्रीय मौद्रिक और वित्तीय समिति (आईएमफसी) और विकास समिति होती है. आईएमफसी में 24 सदस्य होते हैं. इन्हें गवर्नरों के समूह में से चुना जाता है. इसकी संरचना कार्यकारी बोर्ड और उसके 24 निर्वाचन क्षेत्रों की तरह ही है। आईएमएफसी बैठक साल में दो बार होती है. समिति वैश्विक अर्थव्यवस्था को प्रभावित करने वाले चिंता के मामलों पर चर्चा करती है और गवर्नर बोर्ड को सलाह देती है। विकास समिति में भी 24 सदस्य होते हैं, जो सदस्य देशों के वित्त या विकास मंत्री होते हैं. इसका काम मुख्य रूप से विकास मुद्दों पर अंतर-सरकारी आम सहमति बनाना होता है. इसके साथ ही उभरते और विकासशील देशों में आर्थिक विकास से संबंधित मुद्दों पर गवर्नर्स बोर्ड को सलाह देती है.
कैसे तय होता है सदस्य देशों का कोटा
आईएमएफ के कामकाज में कोटा सबसे अहम है. यहां कोटा का मतलब आईएमएफ के कामकाज में सदस्य देश के दखल की हैसियत है. इसे मतदान भारांक के तौर पर भी जाना जाता है. किसी भी देश को आईएमएफ कोटा हासिल करने के लिए सबसे पहले एक कोटा सदस्यता (Quota Subscription) कीमत अदा करनी होती है, जो उस देश की संपदा एवं आर्थिक प्रदर्शन पर आधारित होती है। कोटा तय करने में सबसे अहम भूमिका जीडीपी की होती है. जीडीपी का भारांक 50 फीसदी होता है. इसके बाद आर्थिक नीतियों में उदारीकरण का 30 फीसदी भारांक रहता है. 15 फीसदी भारांक आर्थिक परिवर्तनशीलता के लिए तय है. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा भंडार का 15 फीसदी भारांक होता है. इसके अलावा सदस्य देशों की जीडीपी के आकार निर्धारण में 60 फीसदी भारांक बाजार आधारित विनिमय दरों और 40 फीसदी भारांक पीपीपी विनिमय दरों का होता है.
भारत का कितना कोटा
आईएमएफ की स्थापना के वक्त कोटा का मक़सद दूसरे विश्व युद्ध के बाद की आर्थिक और सियासी व्यवस्था का सटीक प्रतिनिधित्व करना था. हालांकि, बदली हुई विश्व व्यवस्था में कोटा प्रणाली पर लगातार सवाल उठ रहे हैं. फिलहाल, भारत का कोटा 2.75 फीसदी है. वहीं, अमेरिका का कोटा 17.43 फीसदी और चीन का 6.4 फीसदी है. कोटा के आधार पर ही किसी देश का एसडीआर तय होता है. मोटे तौर पर यह माना जा सकता है कि अगर आईएमएफ को कोई फैसला करना है और उसके लिए वोटिंग होती है, तो सभी देशों के वोट का कुल मूल्य अगर 100 है, तो उसमें भारत के वोट का मूल्य 2.75 होगा. वहीं, अमेरिका के वोट का मूल्य 17.43 माना जाएगा.