क्या धान किसानों को 100 रुपये क्विंटल मिलेगी सहायता राशि, PMFBY में भी होगा बदलाव; जानें संसदीय समिति की सिफारिश
संसदीय समिति ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) में आवारा पशुओं से फसल नुकसान को शामिल करने, छोटे किसानों के लिए अनिवार्य व मुफ्त बीमा लागू करने की सिफारिश की है. साथ ही समिति ने पराली जलाने की समस्या के समाधान के लिए धान किसानों को 100 रुपये प्रति क्विंटल वित्तीय सहायता देने की सिफारिश की है.

एक संसदीय समिति ने सुझाव दिया है कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) में आवारा पशुओं द्वारा फसलों को पहुंचाए गए नुकसान को भी शामिल किया जाना चाहिए. साथ ही, समिति ने पराली जलाने की समस्या को कम करने के लिए धान किसानों को प्रति क्विंटल 100 रुपये की आर्थिक सहायता देने की सिफारिश की है. इसके अलावा, दो हेक्टेयर तक की जमीन वाले छोटे किसानों के लिए अनिवार्य और मुफ्त फसल बीमा लागू करने का भी प्रस्ताव दिया गया है.
पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, बुधवार को लोकसभा में पेश की गई कृषि, पशुपालन और खाद्य प्रसंस्करण पर संसद की स्थायी समिति की रिपोर्ट में कहा गया कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) का उद्देश्य किसानों को प्राकृतिक आपदाओं, कीट हमलों और अन्य प्रतिकूल परिस्थितियों के कारण होने वाले फसल नुकसान की स्थिति में आर्थिक सहायता प्रदान करना है. रिपोर्ट में कहा गया कि समिति ने सुझाव दिया है कि आवारा पशुओं द्वारा फसलों को हुए नुकसान को भी प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) के तहत शामिल किया जाए, ताकि जिन किसानों की फसलें आवारा पशुओं से नष्ट हो जाती हैं, उन्हें भी इस योजना के तहत मुआवजा मिल सके.
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बीमारियों से होने वाले नुकसान की भरपाई
समिति ने सरकार से राज्य सरकारों द्वारा फंड जारी करने में देरी और नुकसान के बदले अपर्याप्त मुआवजे जैसी समस्याओं को जल्द से जल्द हल करने का आग्रह किया, ताकि इस योजना को और प्रभावी बनाया जा सके.समिति ने सुझाव दिया कि 2 हेक्टेयर तक की भूमि रखने वाले छोटे किसानों के लिए अनिवार्य और मुफ्त फसल बीमा लागू किया जाए, जैसा कि प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (PMJAY) के तहत स्वास्थ्य बीमा दिया जाता है. इससे छोटे किसानों को आर्थिक स्थिरता मिलेगी और उन्हें प्राकृतिक आपदाओं, कीट हमलों या बीमारियों से होने वाले नुकसान की भरपाई का भरोसा रहेगा. इसके अलावा, यह बेहतर कृषि तकनीकों में निवेश को बढ़ावा देगा, क्योंकि किसानों को अपने नुकसान की भरपाई का आश्वासन मिलेगा.
आर्थिक सहायता देना बेहद जरूरी
समिति ने कहा कि यह कदम किसानों को कर्ज के जाल से बचाने और उन्हें अगली फसल चक्र में दोबारा निवेश करने में मदद करेगा. पराली जलाने की समस्या पर ध्यान देते हुए समिति ने इसे एक गंभीर पर्यावरणीय चिंता बताया और कहा कि इसके समाधान के लिए बहुआयामी रणनीति अपनाने की जरूरत है. इस रणनीति में नीतिगत हस्तक्षेप, किसानों को जागरूक करना, नई तकनीकों का उपयोग और वित्तीय सहायता शामिल होनी चाहिए. किसानों को पराली जलाने के बजाय बायोएनर्जी, कंपोस्टिंग या अन्य उत्पादक तरीकों से उसका उपयोग करने के लिए आर्थिक सहायता देना बेहद जरूरी है.
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100 रुपये प्रति क्विंटल धान की वित्तीय सहायता
समिति ने सुझाव दिया कि पराली जलाने को हतोत्साहित करने और इसके पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने के लिए सरकार किसानों को 100 रुपये प्रति क्विंटल धान की वित्तीय सहायता दे. यह राशि पराली एकत्र करने में होने वाले खर्च की भरपाई के लिए दी जानी चाहिए. यह सहायता न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के अतिरिक्त होगी और इसे धान खरीद के समय सीधे किसानों के बैंक खाते में ट्रांसफर किया जाना चाहिए. पारदर्शिता और प्रभावी वितरण सुनिश्चित करने के लिए यह राशि डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) योजना के तहत दी जा सकती है. समिति ने सुझाव दिया कि 100 रुपये प्रति 100 किग्रा धान से शुरुआत की जाए और साथ ही वैकल्पिक पराली प्रबंधन तकनीकों की लागत और लाभ का आकलन करने के लिए विस्तृत शोध अध्ययन किए जाएं.
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