आपकी सेहत, किसानों की आमदनी और सरकार की जेब मजबूत कर रही ये योजना, आने वाली कई पीढ़ियों को भी मिलेगा इसका फायदा
अधिक उत्पादन के लालच में बहुत से किसान फसलों में उर्वरकों और कीटनाशकों का बेहिसाब उपयोग करते हैं. इससे न केवल जमीन की उपज क्षमता घट रही है, बल्कि साथ ही रसायनों का अधिक प्रयोग कैंसर जैसी गंभीर बीमारियां फैल रही हैं. अगर ये योजना कामयाब रहती है, तो आपको रासायनिक उर्वरकों के बिना अच्छा भोजन मिलेगा

आए दिन आपको ऐसे शोध और अध्ययनों के बारे में पता चलता है, जो बताते हैं कि आप जो खाना खा रहे हैं, आपकी बीमारियों की जड़ वही खाना है. कैंसर से लेकर लिवर और हार्ट तक की तमाम बीमारियों के पीछे खाने में शामिल हानिकारक रसायन हैं. लेकिन आम लोग इन्हें खाने को मजबूर हैं, क्योंकि ऑर्गेनिक अनाज, फल और सब्जियां तो अमीरों को भी आसानी से नहीं मिल रहे. बहरहाल, केंद्र सरकार एक ऐसी योजना चला रही है, जो आम लोगों को भी हानिकारक केमिकल मुक्त अनाज, फल व सब्जियां मुहैया करा सकती है. इसके अलावा इस योजना से किसानों की फसल उत्पादन पर लगने वाली लागत में भी कमी आएगी, वहीं सरकार का खजाना भी खाली होने से बचेगा. यह केंद्र सरकार की बेहद महत्वाकांक्षी योजना है. पीएम प्रणाम कही जाने वाली इस योजना का मकसद रासायनिक उर्वरकों पर सब्सिडी का बोझ कम करते हुए खेती में जैविक व वैकल्पिक उर्वरकों को बढ़ावा देना है. इसके साथ ही देश में जैविक कृषि उत्पादों की उपलब्धता, गुणवत्ता और चलन को भी बढ़ावा देना है.
किसानों को क्या फायदा
पीएम प्रणाम योजना का सबसे बड़ा फायदा किसानों को मिलेगा. योजना के तहत सरकार नैनो और सल्फर कोटेड यूरिया व जैविक खेती को बढ़ावा दे रही है. इससे किसानों को उर्वरकों पर कम खर्च करना पड़ेगा. इसके अलावा जैविक खेती करने वाले किसानों को उनकी फसल की सामान्य फसल की तुलना में ज्यादा कीमत मिलेगी.
सरकार को क्या फायदा
वित्त वर्ष 2023-24 में केंद्र सरकार ने रासायनिक उर्वरकों की सब्सिडी पर करीब 1.89 लाख करोड़ रुपये खर्च किए हैं. यह रकम बहुत बड़ी है, जिसका अंदाजा इस बात से लगता है कि उर्वरक सब्सिडी भारत के कुल बजट व्यय का लगभग नौवां हिस्सा है. सरकार को उम्मीद है कि जैसे-जैसे वैकल्पिक उर्वरकों का उपयोग बढ़ेगा रासायनिक उर्वरकों पर सब्सिडी कम होने लगेगी.
क्या है प्रणाम योजना
पीएम प्रोग्राम फॉर रेस्टोरेशन, अवेयरनेस जेनरेशन, नॉरिशमेंट एंड एमेलियोरेशन ऑफ मदर अर्थ यानी पीएम-प्रणाम जमीन की उर्वरता की बहाली के लिए जागरूकता, पोषण और सुधार के लिए एक कार्यक्रम है. इस योजना के लिए अलग से कोई बजट नहीं होगा, बल्कि इसका वित्तपोषण उर्वरक विभाग के तहत संचालित योजनाओं की मौजूदा उर्वरक सब्सिडी की बचत से किया जाता है. इसके अलावा 50 फीसदी सब्सिडी बचत को उस राज्य को दिया जाएगा, जो बचत करेगा. योजना के तहत दिए जाने वाले अनुदान का 70 फीसदी हिस्सा वैकल्पिक उर्वरकों की उत्पादन इकाइयों के निर्माण के लिए किया जा सकता है.
किसान नहीं हैं, तो भी मिलेगा आपको फायदा
अधिक उत्पादन के लालच में बहुत से किसान फसलों में उर्वरकों और कीटनाशकों का बेहिसाब उपयोग करते हैं. इससे न केवल जमीन की उपज क्षमता घट रही है, बल्कि रसायनों के अधिक प्रयोग से कैंसर जैसी गंभीर बीमारियां फैल रही हैं. अगर ये योजना कामयाब रहती है, तो आपको रासायनिक उर्वरकों के बिना अच्छा भोजन मिलेगा, तो आपके संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है. इसके अलावा अगर आप इस पहल से लाभ अर्जित करना चाहते हैं, तो जैविक फसलों से जुड़े कारोबार में किसी भी स्तर पर जुड़ सकते हैं, इसे सरकार अलग-अलग योजनाओं के तहत बढ़ावा दे रही है.
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