मौसम के हिसाब से बदलिए पशुओं की खुराक, जानें किस महीने में खिलाएं कौन सा चारा
एक्सपर्ट की माने तो पशुओं के लिए आहार उतना ही महत्वपूर्ण है, जितना इंसानों के लिए. अगर हम सही आहार नहीं देंगे, तो उनकी तबीयत खराब हो सकती है. इसलिए कोशिश करें कि दुधारू पशुओं को मौसम ही नहीं बल्कि महीने के हिसाब से चारा खिलाएं.

मौसम में बदलाव का असर केवल इंसान ही नहीं पशुओं के ऊपर भी पड़ता है. ऐसे में पशुओं के बीमार पड़ने की संभावना बढ़ जाती है. लेकिन पशुपालक मौसम के हिसाब से अपने दुधारू पशुओं को आहार देकर उन्हें बीमार पड़ने से बचा सकते हैं. इसके लिए उन्हें नीचे बताए गए टिप्स का पालन करना होगा. खास बात यह है कि इन टिप्स को अपनाने के लिए पशुपालकों को ज्यादा खर्च भी नहीं करने पड़ेंगे. केवल पशुपालकों को मौसम के हिसाब से खुराक देने के साथ-साथ अपने पशुओं की देखरेख भी अच्छी तरह से करनी होगी.
एक्सपर्ट की माने तो पशुओं के लिए आहार उतना ही महत्वपूर्ण है, जितना इंसानों के लिए. अगर हम सही आहार नहीं देंगे, तो उनकी तबीयत खराब हो सकती है. इसलिए कोशिश करें कि दुधारू पशुओं को मौसम ही नहीं बल्कि महीने के हिसाब से चारा खिलाएं. पशु चिकित्सकों के मुताबिक, जनवरी, फरवरी, मार्च और अप्रैल के महीने में पशुओं को जई, मेथी, बरसीम, साइलेज और भूसा देना चाहिए. इससे उनका स्वास्थ्य बेहतर रहता है और दूध देना की क्षमता भी बढ़ जाती है.
अक्टूबर, नवंबर और दिसंबर में दे ये आहार
इसी तरह मई और जून महीने में पशुओं को साइलेज, लूसर्न और लोबिया भूसा खिलाना चाहिए. जबकि, जुलाई, अगस्त और सितंबर महीने में हरी ज्वार और हरी जोंधरा देना फायदेमंद रहेगा. जबकि,अक्टूबर, नवंबर और दिसंबर महीने में पशुपालकों को अपने पशुओं को भूसा, नेपियर घास, ज्वार और ग्वार खिलाना अच्छा रहेगा. खास बात यह है कि पशुओं को भूसा हमेशा पानी में भिगो कर ही दें. इससे उनकी पाचन क्रिया सही रहती है.
इसके अलावा पशुओं को सूखा और हरा चारा हमेशा कुट्टी बनाकर ही देना चाहिए. इससे चारे की बर्बादी कम होती है. साथ ही पशुओं को चारा खाने में भी ज्यादा परेशानी नहीं होती है. साथ ही पशुपालकों को भूसा की तरह दाना भी पानी में भिगोकर देना चाहिए. इससे वे चाव के साथ खाते हैं.
10 घंटे के अंतराल पर दें पशुओं को चारा
पशु विशेषज्ञों के अनुसार, पशुओं को चारा रोज एक ही समय पर ही देना चाहिए. उन्हें दिन में 2 बार आहार जरूर दें. खास बात यह है कि 8 से 10 घंटे के अंतराल पर ही पशुओं का चारा खिलाएं. इससे उनकी पाचन क्रिया सही रहती है. उन्हें आहार को पचाने के लिए प्रयाप्त समय भी मिल जाता है. इसके अलावा पशुओं को हमेशा चारे के साथ ही दाना देना चाहिए. नहीं तो दूध उत्पादन में गिरावट भी आ सकती है. अगर आप दूध निकालने के बाद हरा चारा और दाना देते हैं, उनके स्वास्थ्य के लिए बेहतर रहेगा.
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