सरकार का किसानों को तोहफा, बासमती चावल के निर्यात पर MEP को हटाया

केंद्र सरकार ने बासमती चावल और प्याज के निर्यात पर मिनिमम एक्सपोर्ट प्राइस (MEP) हटाने का निर्णय लिया है. इससे निर्यात को बढ़ावा मिलेगा और किसानों की आय में सुधार होगा.

भारत सरकार की चावल, आटा की खुदरा बिक्री की तैयारी Image Credit: Nikos PekiaridisNur Photo via Getty Images

त्यौहारी सीजन से पहले ही केंद्र सरकार ने किसानों को बड़ा तोहफा दे दिया है. सरकार ने बासमती चावल के निर्यात से जुड़ा एक अहम फैसला लिया है. हाल ही में, सरकार ने बासमती चावल के निर्यात पर लागू मिनिमम एक्सपोर्ट प्राइस (MEP) को हटा दिया है. इस कदम का उद्देश्य घरेलू बाजार में चावल की कीमतों को स्थिर बनाए रखना और नए स्टॉक की आपूर्ति को सुगम बनाना है. वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने यह जानकारी साझा की है.

किसानों के आय में होगी बढ़त

पीयूष गोयल ने मामले की जानकारी देते हुए कहा कि हमारे फैसले से निर्यात को प्रोत्साहन मिलेगा और किसानों की आय में वृद्धि होगी. जानकारी के मुताबिक, वाणिज्य विभाग ने बासमती चावल के निर्यात के लिए आवश्यक रजिस्ट्रेशन कम अलोकेशन सर्टिफिकेट्स (RCAC) को जारी करने के लिए 950 मीट्रिक टन के मौजूदा मिनिमम एक्सपोर्ट प्राइस (MEP) को समाप्त करने का निर्णय लिया है. सरकार के फैसले को जल्द लागू करने की जिम्मेदारी कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (APEDA) को दी गई है.

हालांकि, सरकार ने बासमती चावल के कालाबाजारी को रोकने के लिए APEDA को सचेत रहने की सलाह दी है. APEDA को बासमती चावल के निर्यात के लिए किसी भी नॉन-रियलिस्टिक प्राइस पर निर्यात समझौतों पर कड़ी नजर बनाए रखने का निर्देश दिया गया है.

प्याज के दामों में भी कटौती

इसके साथ ही, सरकार ने प्याज के निर्यात पर पहले से निर्धारित मिनिमम एक्सपोर्ट प्राइस (MEP) को भी समाप्त कर दिया है. पहले प्याज की निर्यात मूल्य 550 डॉलर प्रति टन तय की गई थी. इसके मुताबिक किसान इससे कम मूल्य पर अपनी उपज निर्यात नहीं कर सकते थे. लेकिन इस फैसले के साथ यह सिलसिला भी थम गया है.

विदेश व्यापार महानिदेशालय (DGFT) ने इस संबंध में एक अधिसूचना जारी की है, जो तत्काल प्रभाव से लागू हो गई है. यह निर्णय महाराष्ट्र में उस वक्त लिया गया है जब विधानसभा चुनाव मुहाने पर है. महाराष्ट्र में प्याज का प्रमुख उत्पादन होता है. इस कदम से प्याज के निर्यात में वृद्धि की उम्मीद है और भारतीय किसानों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ज्यादा लाभ मिलने की संभावना जताई गई है.