पंजाब में बढ़ाई गई धान बुवाई की तारीख, PUSA-44 के रकबे में बढ़ोतरी से बढ़ सकते हैं पराली जलाने के मामले
पंजाब सरकार ने 1 जून से धान रोपाई की तारीख बढ़ा दी है. विशेषज्ञों के अनुसार, PUSA-44 किस्म के चलते भूजल का 20 फीसदी तक ज्यादा खपत होगा और पराली जलाने के मामले बढ़ सकते हैं. यह किस्म 160 दिन में तैयार होती है और अधिक पराली पैदा करती है.

पंजाब सरकार ने 1 जून से धान रोपाई की तारीख बढ़ा दी है. क्योंकि किसान PUSA-44 किस्म की रोपाई करने की मांग कर रहे थे. धान की इस किस्म को तैयार करने में पानी की खपत बहुत अधक होती है. साथ इससे पराली का भी अधिक उत्पादन होता है. ऐसे में एक्सपर्ट का कहना है कि इससे पानी की कमी बढ़ सकती है और खेतों में पराली जलाने के मामले भी बढ़ सकते हैं.
हिन्दुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, एक्सपर्ट का कहना है कि PUSA-44 किस्म का पर्यावरण पर प्रतिकूल असर पड़ेगा, क्योंकि इसे अधिक सिंचाई की जरूरत होगी, जिससे भूजल की खपत 20 फीसदी तक बढ़ जाएगी. इसके अलावा, यह किस्म 20-25 फीसदी अधिक पराली उत्पन्न करती है. यदि अक्टूबर-नवंबर में किसानों ने पराली जलाना शुरू कर दिया, तो इससे अधिक धुंआ पैदा होगा. साथ ही यह एक लंबी अवधि वाली किस्म है, जो 160 दिनों में तैयार होती है.
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इतने लाख हेक्टयर में इसकी होती है खेती
यदि इसे जून में बोया जाता है, तो यह नवंबर में काटने के लिए तैयार होगी, जिससे रबी फसल की बुवाई के लिए खेत तैयार करने का समय बहुत कम रहेगा. ऐसे में किसान के पास पराली जलाने के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा. विशेषज्ञों ने कहा कि 2024 में इस किस्म की खेती का क्षेत्रफल 1.5 लाख हेक्टेयर था. हालांकि, तब पंजाब में धान का कुल रकबा 31.94 लाख हेक्टेयर था. इस सीजन में इसके क्षेत्रफल में कई गुना वृद्धि होने की संभावना है.
PUSA-44 किस्म पर लग चुका है प्रतिबंध
ऐसे भी राज्य सरकार ने पहले ही PUSA-44 किस्म पर प्रतिबंध लगा दिया है. हालांकि, किसान इसे हरियाणा और राजस्थान जैसे राज्यों से इसके बीज खरीद रहे हैं. समराला के किसान सुखविंदर सिंह ने कहा कि किसान PUSA-44 किस्म के बीजों के लिए 150 रुपये प्रति किलोग्राम की प्रीमियम कीमत पर खरीद रहे हैं. उन्होंने कहा कि PUSA-44 किस्म में एक एकड़ में धान बोने के लिए 4 से 6 किलोग्राम बीज की जरूत होती है, जबकि अन्य किस्मों के बीज 50 रुपये प्रति किलोग्राम की दर पर बिकते हैं.
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