क्या आपकी कार में भी लगी है EMI ट्रैकिंग डिवाइस? ये हैं पहचान के आसान तरीके

क्या आपकी कार में EMI ट्रैकिंग डिवाइस लगी है? कई NBFC और निजी वित्त कंपनियां कार लोन देते समय GPS ट्रैकर और इम्मोबिलाइजर इंस्टॉल करती हैं. ये डिवाइस किस्तों में देरी होने पर वाहन की लोकेशन ट्रैक करते हैं और जरूरत पड़ने पर स्टार्ट रोक सकते हैं. ऐसे डिवाइस की पहचान कैसे करें? सभी बैंक यह सिस्टम नहीं लगाते, यह प्रथा मुख्य रूप से छोटी वित्त कंपनियों में प्रचलित है.

कार इम्मोबिलाइजर सिस्टम Image Credit: AI/canva

GPS car tracker: कई वित्तीय संस्थान, विशेष रूप से छोटे NBFC और निजी वित्त कंपनियां, ग्राहकों को कार खरीदने के लिए लोन प्रदान करते समय वाहन में एक विशेष प्रकार की सुरक्षा प्रणाली स्थापित करवाते हैं. इस प्रणाली का उद्देश्य लोन की शेष राशि के समय पर भुगतान न होने की स्थिति में वाहन की रिकवरी प्रक्रिया को सरल बनाना है. यह उपकरण अक्सर एक GPS ट्रैकर और एक इम्मोबिलाइजर होता है, जो किस्तों के विलंब होने पर वाहन को चलाने की क्षमता को सीमित या रोक सकता है. ग्राहकों के लिए यह जानना अत्यंत महत्वपूर्ण है कि उनके वाहन में ऐसा कोई उपकरण लगा है या नहीं. ऐसी प्रणाली की मौजूदगी की पहचान करने के लिए यहां कुछ प्रमुख तरीके दिए गए हैं.

वाहन की वायरिंग पर रखें नजर

वित्तीय समझौते के तहत दी गई अधिकांश गाड़ियों में, लोन देने वाली कंपनी डीलरशिप या शोरूम के माध्यम से एक छोटा बॉक्स या एक सर्किट बोर्ड लगवाती है. यह उपकरण आमतौर पर इंजन कंट्रोल यूनिट (ECU) या इग्निशन सिस्टम के तारों से जुड़ा होता है. इसके स्थान को छुपाने के लिए इसे अक्सर डैशबोर्ड के पीछे, वाहन के फ्यूज पैनल के समीप या फिर बैटरी के आस-पास के क्षेत्र में लगाया जाता है. डिलीवरी के समय किसी अतिरिक्त तारों या बॉक्स पर नजर रखना इसकी पहचान का पहला संकेत हो सकता है.

GPS या SIM आधारित डिवाइस

चूंकि यह प्रणाली वाहन की लाइव लोकेशन ट्रैक करती है, इसलिए इसमें एक GPS एंटीना या एक SIM कार्ड आधारित मॉड्यूल अवश्य होता है. यदि आपको अपनी कार में कहीं भी एक छोटा एंटीना, अतिरिक्त तारों का गुच्छा या एक अलग से लगा हुआ छोटा उपकरण दिखाई दे, तो यह ट्रैकिंग और इम्मोबिलाइजर प्रणाली का हिस्सा हो सकता है.

चेतावनी संकेत

अधिकांश आधुनिक प्रणालियां मासिक किस्त (EMI) के भुगतान में देरी होने पर ग्राहक को चेतावनी देने का काम करती हैं. यह चेतावनी एक अचानक आने वाली ‘बीप’ की आवाज, बिना किसी कारण के हॉर्न बजना या हेडलाइट्स का अपने आप चमकना हो सकती है. इसके अलावा, कुछ कंपनियां भुगतान की शेष डेट से ठीक पहले ग्राहक के पंजीकृत मोबाइल नंबर पर एक SMS संदेश या कॉल भी भेजती हैं. यदि आपके साथ ऐसा होता है, तो यह लगभग तय है कि आपके वाहन में यह प्रणाली सक्रिय है.

वित्तीय दस्तावेजों को पढ़ें

ऐसा उपकरण लगाए जाने की शर्त अक्सर लोन समझौते के दस्तावेजों के छोटे प्रिंट में शामिल होती है. ग्राहक से कई बार इसकी एक अलग स्वीकृति भी ली जाती है. इसलिए, अपने सभी कागजातों, विशेष रूप से वित्तीय समझौते को ध्यान से पढ़ना चाहिए. कई बार डिवाइस की स्थापना का प्रमाण पत्र भी दस्तावेजों में शामिल होता है.

मेकेनिक से चेक करवाएं

यदि इन तरीकों से कुछ पता नहीं चल पाता, तो किसी विश्वसनीय मेकेनिक की सलाह लेना एक अच्छा विकल्प है. एक OBD स्कैनर के माध्यम से वाहन के इलेक्ट्रॉनिक कंट्रोल यूनिट (ECU) की जांच की जा सकती है. कई बार इस स्कैन में एक ‘Unauthorized Device’ का पता चलता है या फिर ‘इम्मोबिलाइजर’ से संबंधित कोई एरर कोड दिखाई देता है.

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सब नहीं करते ऐसा काम

यह ध्यान रखना जरूरी है कि सभी वित्तीय संस्थान ऐसी प्रणाली नहीं लगाते. प्रमुख बैंक (जैसे SBI, ICICI, HDFC Bank) जैसे लोन देने वाले बैंक अधिकांश वाहनों में आमतौर पर यह डिवाइस नहीं लगाते. यह प्रथा मुख्य रूप से छोटी निजी वित्त कंपनियों और NBFC (गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों) में अधिक प्रचलित है.

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