स्टीयरिंग कंट्रोल से लेकर कॉन्फिडेंस तक, आखिर ड्राइविंग प्रैक्टिस में ‘8’ क्यों है इतना जरूरी? जानिए इसके पीछे का पूरा विज्ञान
ड्राइविंग सीखते समय ‘8’ का अभ्यास क्यों जरूरी है? यह तकनीक स्टीयरिंग कंट्रोल, क्लच-ब्रेक-एक्सेलेरेटर तालमेल, धीमी गति पर वाहन नियंत्रण और मोड़ने की क्षमता को बेहतर बनाने में मदद करती है. आरटीओ टेस्ट और पार्किंग स्किल्स के लिए भी यह बेसिक ट्रेनिंग अनिवार्य मानी जाती है. जानें कैसे यह अभ्यास आत्मविश्वास बढ़ाता है.
Driving Practice: ड्राइविंग सीखने की प्रक्रिया में एक विशेष प्रकार का प्रशिक्षण नए चालकों के लिए नींव रखने का काम करता है, जिसे सामान्यतः ‘अंग्रेजी के अंक आठ का आकार’ बनाने का अभ्यास कहा जाता है. यह तकनीक केवल एक प्रारंभिक चरण नहीं है, बल्कि ड्राइविंग स्कूलों और आरटीओ (RTO) द्वारा आयोजित परीक्षणों में इसे एक महत्वपूर्ण कौशल माना जाता है. इसके पीछे वाहन नियंत्रण और चालक के आत्मविश्वास को विकसित करने का एक महत्वपूर्ण विज्ञान काम करता है.
यह अभ्यास मूल रूप से वाहन को एक निर्धारित मार्ग पर चलाने से संबंधित है, जिसका आकार अंग्रेजी के अंक आठ (8) जैसा दिखाई देता है. इस दौरान चालक को लगातार वाहन की दिशा बदलनी पड़ती है. प्रशिक्षकों का मानना है कि यह साधारण सा दिखने वाला अभ्यास, ड्राइविंग की बुनियादी समझ को मजबूत करने में काफी सहायक सिद्ध होता है. आइए जानते हैं कि यह प्रक्रिया इतनी महत्वपूर्ण क्यों मानी जाती है.
स्टीयरिंग प्रबंधन में महारत
इस आकृति को बनाने के लिए चालक को बारी-बारी से बाएं और दाएं मोड़ लेने होते हैं. इस सतत प्रक्रिया से हाथ और मस्तिष्क का तालमेल विकसित होता है, जिससे व्यक्ति यह समझने लगता है कि स्टीयरिंग को किस कोण पर और कितनी देर के लिए घुमाना आवश्यक है. इससे स्टीयरिंग पर पूर्ण नियंत्रण हासिल करने में मदद मिलती है.
क्लच, ब्रेक और एक्सेलेरेटर में सामंजस्य
वाहन को सही ढंग से चलाने के लिए इन तीनों पेडलों के बीच तालमेल होना अति आवश्यक है. आठ की आकृति बनाते समय गति को लगातार घटाना और बढ़ाना पड़ता है. इसके परिणामस्वरूप, चालक को क्लच नियंत्रण, ब्रेक लगाने का सही समय और एक्सेलेरेशन का सही संयोजन सीखने का अवसर प्राप्त होता है.
धीमी गति पर वाहन चलाने का कौशल
इस अभ्यास को करते समय वाहन को एक सीमित गति के भीतर ही चलाना होता है. यह कौशल यातायात में बेहद उपयोगी साबित होता है, क्योंकि इससे चालक बिना इंजन बंद किए कम गति पर भी वाहन को पूरी तरह से नियंत्रित करना सीख जाता है, जो भीड़भाड़ वाली सड़कों पर विशेष रूप से महत्वपूर्ण है.
मोड़ने की क्षमता और स्थान का आकलन
नए सीख रहे चालकों को यह अनुभव हो जाता है कि वाहन को मोड़ने के लिए स्टीयरिंग को कितना घुमाना पर्याप्त होगा और उस कार्य के लिए कितने स्थान की आवश्यकता पड़ेगी. यह ज्ञान सड़क पर अचानक आने वाले मोड़ों का सामना करने के लिए आवश्यक आत्मविश्वास प्रदान करता है.
पार्किंग के लिए आधार तैयार करना
आठ का आकार बनाने से वाहन की आगे और पीछे की गतिविधियों की एक स्पष्ट तस्वीर चालक के मन में बन जाती है. यह समझ आगे चलकर समानांतर पार्किंग (Parallel Parking) और रिवर्स में वाहन चलाने जैसे जटिल कार्यों को सरल बना देती है.
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चालक के आत्मविश्वास में बढ़ोतरी
शुरुआत में वाहन को सीधी रेखा में चलाना आसान लगता है, लेकिन मोड़ पर अक्सर डर लगना स्वाभाविक है. इस अभ्यास से चालक का डर दूर होता है और मोड़ लेते समय उसका संतुलन तथा आत्मविश्वास, दोनों ही बढ़ते हैं.