खरीदने जा रहे हैं सेकेंड हैंड कार, इन 10 बातों का रखें ध्यान; सिर्फ इंजन ही नहीं… इन चीजों की भी करें जांच

Second Hand Car Buy Tips: पुरानी कार की कीमत सिर्फ उसकी उम्र से नहीं, बल्कि उसकी कंडीशन, ब्रांड और डॉक्यूमेंट्स जैसे कई फैक्टर्स पर निर्भर करती है. अगर आप सेकेंड हैंड कार खरीदने जा रहे हैं, तो क्या चेक करना चाहिए और किस आधार पर कीमत तय करनी चाहिए, जान लीजिए.

सेकेंड हैंड कार खरीदने का तरीका. Image Credit: Getty image

Second Hand Car Buy Tips: सेकेंड हैंड कार खरीदना या बेचना एक समझदारी भरा फैसला हो सकता है. अगर आप सेकेंड हैंड कार के खरीदार हैं, तो आपको बहत सारी चीजों का ध्यान रखना होता है. पहला काम होता है सही वैल्यूएशन. पुरानी कार की कीमत सिर्फ उसकी उम्र से नहीं, बल्कि उसकी कंडीशन, ब्रांड और डॉक्यूमेंट्स जैसे कई फैक्टर्स पर निर्भर करती है. अगर आप सेकेंड हैंड कार खरीदने जा रहे हैं, तो क्या चेक करना चाहिए और किस आधार पर कीमत तय करनी चाहिए, जान लीजिए.

ब्रांड और मॉडल

सबसे पहले ब्रांड और मॉडल चेक करें. गाड़ी किस कंपनी की है- जैसे Maruti, Hyundai, Honda, Toyota, Tata आदि और उसका मॉडल क्या है, इससे काफी फर्क पड़ता है. कुछ ब्रांड्स की सेकंड हैंड वैल्यू अधिक होती है क्योंकि वो अधिक भरोसेमंद मानी जाती हैं.

मैन्युफैक्चरिंग ईयर

जैसे-जैसे गाड़ी पुरानी होती जाती है, उसकी कीमत कम होती जाती है. हालांकि, यदि कार अच्छी स्थिति में है तो उसकी उम्र का असर कम महसूस होता है.

कुल चली हुई दूरी (Odometer Reading)

50,000 किलोमीटर से कम चली गाड़ियां आमतौर पर ज्यादा वैल्यूएबल मानी जाती हैं. अधिक दूरी चलने से इंजन और अन्य पुर्जों पर अधिक असर पड़ता है.

सर्विस हिस्ट्री

अगर कार की नियमित सर्विसिंग हुई है और सर्विस रिकॉर्ड्स उपलब्ध हैं, तो गाड़ी की विश्वसनीयता और कीमत दोनों बढ़ती हैं.

इंश्योरेंस और क्लेम हिस्ट्री

गाड़ी का वैलिड इंश्योरेंस है या नहीं और क्या उसने कोई बड़ा क्लेम किया है. ये सारी बातें कीमत तय करने में अहम साबित हो सकती हैं.

गाड़ी की फिजिकल कंडिशन

बॉडी, पेंट, टायर, ब्रेक्स और इंजन की हालत गाड़ी की कीमत तय करने में अहम भूमिका निभाते हैं.

डॉक्यूमेंट्स की स्थिति

RC, NOC, Pollution सर्टिफिकेट और लोन-क्लियरेंस जैसे कागज पूरे और सही हैं या नहीं. यह तय करता है कि डील भरोसेमंद है या नहीं.

मॉडिफिकेशन और एक्सेसरीज

महंगे स्टीरियो सिस्टम, अलॉय व्हील्स जैसी एक्सेसरीज कीमत को बढ़ा सकती हैं, लेकिन जरूरत से ज्यादा मॉडिफिकेशन गाड़ी की वैल्यू कम भी कर सकते हैं.

लोकेशन (रजिस्ट्रेशन सिटी)

गाड़ी किस राज्य में रजिस्टर्ड है, इसका भी प्रभाव पड़ता है. उदाहरण के तौर पर, दिल्ली-NCR में पुरानी डीजल गाड़ियों पर अधिक प्रतिबंध हैं.

बाजार में डिमांड

कुछ मॉडल्स जैसे Swift, Innova या Alto की सेकेंड हैंड डिमांड ज्यादा होती है, जिससे उनकी कीमतें अधिक रहती हैं.

पुरानी गाड़ी खरीदने से पहले क्या करें?

टेस्ट ड्राइव लें.
अनुभवी मैकेनिक से वाहन की जांच करवाएं.
सभी जरूरी दस्तावेज चेक करें.

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