छोटी कारों को फ्यूल एफिशिएंसी नियमों में राहत संभव, ऑल टाइम हाई पर पहुंचा मारुति सुजुकी का शेयर

सरकार ने छोटी पेट्रोल कारों के लिए फ्यूल एफिशिएंसी नियमों राहत देने का इरादा जाहिर किया है. इसकी वजह से मारुति सुजुकी के शेयरों में जोरदार तेजी देखने को मिली है और शेयर ऑल टाइम हाई पर पहुंच गया है. असल में BEE ने CAFE-3 ड्राफ्ट पेश किया है, जिसमें छोटी कारों के लिए एमिशन और एफिशिएंसी को लेकर राहत देने की बात की गई है.

मारुति-सुजुकी शेयर आउटलुक. Image Credit: Getty image

Bureau of Energy Efficiency (BEE) ने गुरुवार देर रात जारी किए CAFE-3 ड्राफ्ट में छोटी पेट्रोल कारों को राहत देने का प्रस्ताव रखा है. ड्राफ्ट के तहत अब 4 मीटर से छोटी और 909 किलो से हल्की पेट्रोल कारें CO₂ एमिशन कैलकुलेशन में 3 ग्राम प्रति किलोमीटर की एडिशनल राहत पा सकेंगी.

रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक यह राहत 2027 से 2032 तक पांच साल की अवधि में अधिकतम 9 ग्राम प्रति किलोमीटर तक मिलेगी. BEE ने इस ड्राफ्ट पर सभी स्टेकहोल्डर्स से 21 दिन में सुझाव मांगे हैं. उसके बाद नियमों को फाइनल किया जाएगा और ये 1 अप्रैल, 2027 से लागू होंगे, जिनकी वैधता पांच साल तक होगी.

Maruti Suzuki को सीधा फायदा

भारत के स्मॉल कार मार्केट में दबदबा रखने वाली Maruti Suzuki के लिए यह बड़ा पॉजिटिव है. कंपनी के मॉडल्स जैसे Alto-K10, Wagon-R, S-Presso, Celerio और Ignis इस कैटेगरी में आते हैं. इसी उम्मीद में शुक्रवार को Maruti का शेयर 1% चढ़कर ₹16,435 के रिकॉर्ड हाई पर पहुंच गया.

दिन के आखिर में मारुति सुजुकी का शेयर 16307 रुपये पर बंद हुआ. इस साल यह शेयर करीब 45 फीसदी का रिटर्न दे चुका है.

  • ड्राफ्ट नियमों के तहत छोटी कारों के दायरे में वे सभी कार शामिल होंगी, जिनकी इंजन कैपेसिटी 1200 सीसी या इससे कम है. इसके अलावा लंबाई 4 मीटर से कम है.
  • मारुति सुजुकी इस सेगमेंट में सबसे ज्यादा कारें बनाती है और बेचती है. मारुति के अलावा इन नियमों से हुंडई को भी फायदा हो सकता है.

SUV की बढ़त से दबा स्मॉल कार सेगमेंट

SIAM के आंकड़ों के मुताबिक छोटी कारों (3.6 मीटर तक लंबाई) की बिक्री FY19 में 4.6 लाख यूनिट्स से गिरकर FY25 में सिर्फ 1.33 लाख यूनिट्स रह गई है, यानी 71% की गिरावट. इस गिरते बाजार में राहत नियम मारुति जैसे ऑटोमेकर्स के लिए गेमचेंजर हो सकते हैं.

CAFE-3 नियम क्यों अहम हैं?

CAFE नॉर्म्स ऑटोमेकर्स की पूरी फ्लीट के औसत CO₂ एमिशन को रेग्युलेट करते हैं. ज्यादा उत्सर्जन का मतलब भारी पेनल्टी. अभी तक कंपनियों को SUV और लग्जरी सेगमेंट की वजह से बैलेंस बनाने के लिए इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड गाड़ियां ज्यादा बेचनी पड़ती थीं. अब छोटी कारों को रियायत मिलने से यह दबाव कुछ कम होगा.

GST कट और नई पॉलिसी का असर

हाल ही में 4 मीटर से छोटी कारों पर GST घटाकर 28% से 18% किया गया है. अब CAFE-3 राहत जुड़ने से छोटी कारों का प्राइस कंपटीशन बढ़ेगा और मिडल-क्लास ग्राहकों के लिए यह सस्ता विकल्प फिर से आकर्षक बन सकता है.

इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड पर भी फोकस

ड्राफ्ट में EV और हाइब्रिड वाहनों के लिए सुपरक्रेडिट सिस्टम भी बनाया गया है. इसके तहत EV को 3 यूनिट्स, स्ट्रॉन्ग हाइब्रिड को 2 यूनिट्स और फ्लेक्स-फ्यूल एथेनॉल कारों को 1.5 यूनिट्स गिना जाएगा. इसका मतलब है कि कंपनियां इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड वाहनों की सप्लाई बढ़ाकर एमिशन टारगेट आसानी से हासिल कर सकती हैं.

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