दिन में भी लाइट क्यों जरूरी? सड़क हादसे रोकने में कैसे कारगर साबित हो रहा DRL, जानें- इस फीचर की खासियत

Daytime Running Light: कई हादसे सिर्फ इसलिए होते हैं क्योंकि सामने आने वाली गाड़ी समय पर नजर नहीं आती. DRL का उद्देश्य इसी एक सेकेंड की देरी को खत्म करना है. ऑटो इंडस्ट्री के एक्सपर्ट्स और मैकेनिक भी अब एक सुर में कह रहे हैं कि DRL कोई फैशन नहीं, बल्कि जिंदगी बचाने वाला फीचर है.

DRL ने दुनिया भर में कम किए सड़क हादसे. Image Credit: AI

Daytime Running Light: भारत में सड़क सुरक्षा को लेकर हर साल बड़ी बहस होती है, लेकिन एक छोटा-सा फीचर Daytime Running Light (DRL) ऐसा है जो चुपचाप हादसों को रोकने में बेहद अहम भूमिका निभा रहा है. ऑटो इंडस्ट्री के एक्सपर्ट्स और मैकेनिक भी अब एक सुर में कह रहे हैं कि DRL कोई फैशन नहीं, बल्कि जिंदगी बचाने वाला फीचर है. यही वजह है कि कई देशों में इसे अनिवार्य कर दिया गया है.

ड्राइवर की गलती कम, विजिबिलिटी ज्यादा: DRL कैसे बचाता है जान

कई हादसे सिर्फ इसलिए होते हैं क्योंकि सामने आने वाली गाड़ी समय पर नजर नहीं आती. DRL का उद्देश्य इसी एक सेकेंड की देरी को खत्म करना है. हल्की रोशनी वाली यह लाइट आपकी कार को दूर से ही अलग और स्पष्ट दिखाती है, चाहे धूप तेज हो या गाड़ी का रंग बैकग्राउंड में घुल-मिल जाता हो.

विशेषज्ञों के अनुसार सफेद, सिल्वर और ग्रे रंग की कारें अक्सर दिन में सड़क के बैकग्राउंड में खो जाती हैं. DRL इन्हें तुरंत विजिबल बनाती है और दूसरे ड्राइवर को चेतावनी देती है कि सामने एक वाहन है.

साइड से आने वाले वाहनों के लिए भी मददगार

चौराहों, घरों के मोड़ों या व्यस्त बाजारों में अक्सर ऐसे एक्सीडेंट होते हैं जहां वाहन एक-दूसरे को साइड से आते हुए नहीं देख पाते. DRL खास तौर पर इस स्थिति में उपयोगी साबित होती है. इसकी लगातार जलती हल्की रोशनी दूसरी दिशा से आने वाले ड्राइवर को आपकी मौजूदगी का संकेत देती है, जिससे टक्कर की आशंका कम हो जाती है.

कोहरा, धूल और बारिश हर मौसम में DRL कारगर

दिन का समय हो लेकिन मौसम साफ न हो, ऐसे हालात में DRL किसी हीरो की तरह काम करती है. हल्के कोहरे, धूलभरी हवा या बारिश में यह वाहन की पोजीशन को बिल्कुल साफ कर देती है. क्योंकि DRL बहुत कम पावर खींचती है, इसलिए यह बैटरी पर भी खास दबाव नहीं डालती.

मैकेनिकों की सलाह: DRL को समझें, नजरअंदाज न करें

कार मैकेनिकों का कहना है कि भारत जैसे देश में DRL की अहमियत और बढ़ जाती है, क्योंकि यहां दिन में होने वाले करीब 50 फीसदी सड़क हादसों का कारण कम विजिबिलिटी होती है.

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