बजट से पहले सरकार ने मांगी जनता से राय, MyGov पर दे सकते हैं सुझाव; रोजगार और टैक्स जैसे मुद्दों पर फोकस

आगामी यूनियन बजट 2026-27 की तैयारियों के तहत आम जनता से सुझाव मांगे हैं. सरकार का कहना है कि बजट सिर्फ एक नीतिगत दस्तावेज नहीं, बल्कि देश के समावेशी विकास और राष्ट्रीय प्रगति की दिशा तय करने वाला रोडमैप होता है. इसी सोच के साथ सरकार ने नागरिकों को बजट प्रक्रिया में सीधे भागीदार बनाने का फैसला किया है.

यूनियन बजट से पहले सरकार ने मांगे सुझाव

Union Budget 2026-27: केंद्र सरकार ने आगामी यूनियन बजट 2026-27 की तैयारियों के तहत आम जनता से सुझाव मांगे हैं. सरकार का कहना है कि बजट सिर्फ एक नीतिगत दस्तावेज नहीं, बल्कि देश के समावेशी विकास और राष्ट्रीय प्रगति की दिशा तय करने वाला रोडमैप होता है. इसी सोच के साथ सरकार ने नागरिकों को बजट प्रक्रिया में सीधे भागीदार बनाने का फैसला किया है. इस पहल को लेकर सरकार के आधिकारिक नागरिक सहभागिता मंच MyGovIndia ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक पोस्ट साझा कर लोगों से अपने सुझाव भेजने की अपील की है.

पोस्ट में कहा गया है कि सरकार चाहती है कि बजट की प्राथमिकताएं तय करने में जनता की सीधी भागीदारी हो. MyGov वेबसाइट के जरिए नागरिक यह सुझाव दे सकते हैं कि अगले वित्त वर्ष के बजट में किन क्षेत्रों पर ज्यादा ध्यान दिया जाना चाहिए. इसमें रोजगार, महंगाई, टैक्स, शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, उद्योग और इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे अहम मुद्दे शामिल हैं.

प्री-बजट बैठकों का दौर हो चुका है पूरा

बजट 2026-27 की तैयारियों के तहत केंद्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट मामलों की मंत्री निर्मला सीतारमण पहले ही कई चरणों में प्री-बजट परामर्श बैठकों को पूरा कर चुकी हैं. इन बैठकों की शुरुआत देश के प्रमुख अर्थशास्त्रियों के साथ चर्चा से हुई.
इसके बाद किसान संगठनों और कृषि अर्थशास्त्रियों से बातचीत की गई. आगे चलकर MSME सेक्टर, कैपिटल मार्केट, स्टार्टअप्स, मैन्युफैक्चरिंग, BFSI (बैंकिंग, फाइनेंशियल सर्विसेज और इंश्योरेंस), सूचना प्रौद्योगिकी, टूरिज्म और हॉस्पिटैलिटी सेक्टर के स्टेकहोल्डर्स के साथ भी अलग-अलग सत्र आयोजित किए गए.

प्री-बजट कंसल्टेशन के आखिरी चरण में ट्रेड यूनियनों और श्रमिक संगठनों से बातचीत कर उनके सुझाव भी सुने गए, ताकि बजट बनाते समय सभी वर्गों के हितों को ध्यान में रखा जा सके.

उद्योग जगत की मांगें भी आईं सामने

इसके अलावा इसी महीने उद्योग जगत के कई संगठनों ने अपने प्री-बजट सुझाव सरकार को सौंपे हैं. उद्योग संगठन PHD Chamber of Commerce and Industry (PHDCCI) ने विशेष रूप से MSME सेक्टर के लिए टैक्स प्रणाली को सरल बनाने, सस्ता कर्ज उपलब्ध कराने और नियमों में ढील देने की मांग की है. PHDCCI के अनुसार, आयकर व्यवस्था में बदलाव, बैंक लोन की शर्तों में राहत, निर्यात को बढ़ावा देने और इक्विटी फंडिंग तक बेहतर पहुंच से छोटे और मझोले उद्योगों पर लागत और देरी का बोझ कम हो सकता है. संगठन का मानना है कि ऐसे कदम MSME इकाइयों को तेजी से बढ़ने, समय पर कर्ज चुकाने और अंतरराष्ट्रीय कंपनियों के साथ बेहतर प्रतिस्पर्धा करने में मदद करेंगे.

मजबूत आर्थिक माहौल में आएगा बजट

Union Budget 2026-27 ऐसे समय में पेश होने वाला है, जब देश की अर्थव्यवस्था मजबूत GDP आंकड़ों और काबू में महंगाई के दौर से गुजर रही है. ऐसे में सरकार के सामने एक तरफ विकास की रफ्तार बनाए रखने और दूसरी तरफ आम लोगों व उद्योगों को राहत देने की चुनौती होगी. परंपरा के मुताबिक, सालाना केंद्रीय बजट हर साल 1 फरवरी को Parliament of India में पेश किया जाता है. इससे पहले वित्त मंत्री, मंत्रालयों के सचिवों और विभिन्न हितधारकों के साथ प्री-बजट बैठकों का आयोजन किया जाता है, ताकि बजट निर्माण की प्रक्रिया को अधिक समावेशी बनाया जा सके.

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