भारत-रूस के रक्षा सौदों में अहम मोड़, JV के लिए मॉस्को में आधा दर्जन भारतीय कंपनियों की मीटिंग : रिपोर्ट
भारत -रूस के बीच रक्षा सहयोग को लेकर एक नई दिशा में बातचीत शुरू हुई है. भारत की शीर्ष रक्षा कंपनियों के अधिकारियों ने इस साल रूस में कई बैठकों में हिस्सा लिया, जिनका मकसद जॉइंट वेंचर और संयुक्त हथियार उत्पादन के अवसर तलाशना. रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, कम से कम आधा दर्जन भारतीय रक्षा कंपनियों के शीर्ष अधिकारियों ने इन बैठकों में हिस्सा लिया.
भारत और रूस के बीच रक्षा सहयोग को लेकर एक नई दिशा में बातचीत शुरू हुई है. रिपोर्ट के मुताबिक, भारत की शीर्ष रक्षा कंपनियों के अधिकारियों ने इस साल रूस में कई बैठकों में हिस्सा लिया, जिनका मकसद जॉइंट वेंचर (Joint Venture) और संयुक्त हथियार उत्पादन के अवसर तलाशना. रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, कम से कम आधा दर्जन भारतीय रक्षा कंपनियों के शीर्ष अधिकारियों ने इन बैठकों में हिस्सा लिया. इनमें अडानी डिफेंस (Adani Defence) और भारत फोर्ज (Bharat Forge) जैसी बड़ी कंपनियां शामिल थीं. ये बैठकें रूस द्वारा 2022 में यूक्रेन पर हमले के बाद भारत के रक्षा क्षेत्र के नेताओं की रूस की पहली फॉर्मल विजिट थीं.
रिपोर्ट के मुताबिक, इस विजिट का आयोजन भारत के डिफेंस प्रोडक्शन सेक्रेटरी संजीव कुमार के नेतृत्व में हुआ था. यह विजिट 29 से 30 अक्टूबर के बीच मास्को में आयोजित की गई थी. इसका मकसद 4 से 5 दिसंबर को होने वाली रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा की तैयारी करना था.
भारत में प्रोडक्शन यूनिट स्थापित करना है मकसद
बैठकों के दौरान दोनों पक्षों ने मिग-29 लड़ाकू विमान (Mikoyan MiG-29) और दूसरी रूसी मूल के एयर डिफेंस व हथियार प्रणालियों के स्पेयर पार्ट्स के भारत में प्रोडक्शन की संभावनाओं पर चर्चा की. साथ ही रूस की ओर से भारत में प्रोडक्शन यूनिट स्थापित करने का प्रस्ताव भी दिया गया, जिनसे फ्यूचर में उपकरणों का निर्यात मॉस्को को भी किया जा सकेगा.
रूस दशकों से भारत का सबसे बड़ा हथियार आपूर्तिकर्ता रहा है. हालांकि अब भारत अपनी “आत्मनिर्भर भारत” नीति के तहत रक्षा उत्पादन में स्वदेशीकरण और संयुक्त अनुसंधान एवं विकास (Joint R&D) पर जोर दे रहा है.
कौन-कौन पहुंचे मॉस्को?
रिपोर्ट के अनुसार, इन बैठकों में भारतीय रक्षा उद्योग के बड़े कारोबारी समूहों, सरकारी उपक्रमों और स्टार्टअप्स के प्रतिनिधि शामिल हुए हैं, जो ड्रोन और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) आधारित रक्षा तकनीक पर काम कर रहे हैं. भारत फोर्ज (Bharat Forge) के इंजीनियरिंग समूह कल्याणी ग्रुप (Kalyani Group) के एक अधिकारी ने बताया कि कंपनी ने टैंक, हेलिकॉप्टर और विमान के लिए पार्ट्स के संयुक्त विकास की संभावनाओं पर चर्चा की.
इसके अलावा अडानी डिफेंस एंड एयरोस्पेस (Adani Defence & Aerospace) की ओर से इसके सीईओ आशीष राजवंशी (Ashish Rajvanshi) बैठक में मौजूद थे. हालांकि अदानी समूह ने इन बैठकों में किसी भी तरह की भागीदारी से इनकार किया है.
पश्चिमी देशों की चिंता और संभावित खतरे
रिपोर्ट में कहा गया है कि पश्चिमी देश लंबे समय से भारत की रूसी रक्षा निर्भरता को लेकर चिंतित रहे हैं. उनका मानना है कि यही वजह है कि पश्चिमी देश भारत के साथ संवेदनशील सैन्य तकनीक साझा करने में हिचकते हैं. इसके अलावा, रूस के साथ किसी नए रक्षा समझौते से भारतीय कंपनियों पर सेकेंडरी सैंक्शन (Secondary Sanctions) का खतरा भी हो सकता है. एक भारतीय रक्षा अधिकारी ने कहा कि सरकार कूटनीतिक स्तर पर कंपनियों के हितों की रक्षा कर सकती है, लेकिन राजनीतिक जोखिमों का आकलन कंपनियों को खुद ही करना होगा.
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