TATA ने कितने में खरीदा था Air India, कर्ज चुकाने में चले गए 15300 करोड़, जानें अब कैसी है कंपनी की सेहत

Air India के एक भीषण हादसे के बाद कंपनी फिर सुर्खियों में है. कभी सरकारी स्वामित्व वाली यह एयरलाइन अब टाटा ग्रुप के पास है. सौदे के वक्त सरकार ने 61,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का कर्ज चुकाया. अब कंपनी मुनाफे की ओर बढ़ रही है और 2025 में 61,000 करोड़ रुपये का रिकॉर्ड राजस्व दर्ज किया गया. विस्तार में जानें सब कुछ.

टाटा और एयर इंडिया की डील Image Credit: @Money9live

Tata Air India and Debt: एयर इंडिया एक बार फिर सुर्खियों में है. इस बार एक दर्दनाक हादसे की वजह से. कुछ दिन पहले अहमदाबाद से लंदन जा रही एयर इंडिया की एक फ्लाइट दुर्घटनाग्रस्त हो गई, जिसमें 241 लोगों की जान चली गई. इस भीषण हादसे के बाद DGCA (नागरिक उड्डयन महानिदेशालय) ने जांच शुरू कर दी है और एयरलाइन की सुरक्षा प्रक्रियाओं को लेकर कई सवाल खड़े हो गए हैं. कभी भारत की राष्ट्रीय एयरलाइन के रूप में जानी जाने वाली एयर इंडिया अब टाटा समूह के स्वामित्व में है. इस स्वामित्व परिवर्तन के पीछे एक लंबी और जटिल प्रक्रिया रही, जिसमें सरकार को एयरलाइन के पुराने कर्ज और देनदारियों को चुकाने के लिए 61,000 करोड़ रुपये से अधिक खर्च करने पड़े थे. आइए विस्तार से इस पूरी प्रक्रिया पर नजर डालते हैं.

कब और कितने में हुई थी डील?

सरकार ने अक्टूबर 2021 में टाटा ग्रुप को एयर इंडिया सौंपने का फैसला किया था. ये पूरी डील 18,000 करोड़ रुपये में हुई थी. जिसमें टाटा ने 2,700 करोड़ रुपये नकद दिए और 15,300 करोड़ रुपये का कर्ज अपने ऊपर लिया. बाकी बचा लगभग 46,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का कर्ज और दूसरी देनदारियां सरकार ने AI Asset Holding Ltd (AIAHL) नाम की एक विशेष कंपनी में ट्रांसफर कर दिया, जिससे सरकार पर भारी वित्तीय बोझ आ गया.

एयर इंडिया पर 2021 तक कुल 61,562 करोड़ रुपये का कर्ज था. इसके अलावा, फ्यूल कंपनियों के बकाए और दूसरे ऑपरेशनल क्रेडिटर्स से जुड़ी देनदारियां भी शामिल थी. इन सभी को चुकाने के लिए सरकार ने संसद की मंजूरी से 62,057 करोड़ रुपये का प्रावधान किया, जिसमें से 61,131 करोड़ रुपये खर्च किए गए. DIPAM सचिव तुहिन कांत पांडे के मुताबिक, यह फैसला इसलिए लिया गया क्योंकि इन देनदारियों पर ब्याज दर काफी अधिक थी और उन्हें लटकाए रखने का कोई तर्क नहीं था.

बेहतर हुई एयर इंडिया की स्थिति

AIAHL को एयर इंडिया की गैर-मुख्य संपत्तियां जैसे होटल कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया में हिस्सेदारी, कलाकृतियां और अचल संपत्तियां भी सौंपी गई. इसका उद्देश्य था कि सरकार इन संपत्तियों को बाद में मोनेटाइज कर सके. टाटा के स्वामित्व में आने के बाद एयर इंडिया ने बेहतर प्रदर्शन करना शुरू किया है. वित्त वर्ष 2025 में कंपनी का राजस्व 14 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ 61,000 करोड़ रुपये तक पहुंच गया, जो अब तक का रिकॉर्ड है. इसके अलावा, वित्तीय वर्ष की दूसरी छमाही में कंपनी ने अपवादों को छोड़कर मुनाफा दर्ज किया है, जो इसके आत्मनिर्भर बनने की दिशा में एक मजबूत संकेत है. हालांकि, दूसरी छमाही में कंपनी के मुनाफे की बात एयर इंडिया के सीईओ कैंपबेल विल्सन ने कर्मचारियों को एक टाउनहॉल में दी थी. इसको लेकर आधिकारिक आंकड़ें अभी तक जारी नहीं हुए हैं.

कंपनी की आगे की प्लानिंग

एयरलाइन की परिचालन लाभ क्षमता (EBITDAR) में भी सुधार हुआ है और यह पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 1.59 गुना बढ़ गई है. कंपनी ने अब तक 205 विमानों का बेड़ा (फ्लीट) तैयार किया है और साल भर में करीब 4.35 करोड़ यात्रियों को सेवा दी है. आने वाले सालों में यह संख्या और बढ़ सकती है क्योंकि FY 2027-28 से हर सप्ताह दो नए विमान बेड़े में शामिल करने की प्लानिंग है.

हालिया घटनाओं ने तोड़ी कमर

भारत-पाकिस्तान तनाव के चलते पाकिस्तान के एयरस्पेस का बंद होना, तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव और विदेशी मुद्रा की स्थिति जैसी वजहों से कंपनी पर अतिरिक्त बोझ आ रहा है. एयर इंडिया ने सरकार से पाकिस्तान के एयरस्पेस बंद होने के कारण हुए नुकसान की भरपाई के लिए 600 मिलियन डॉलर सालाना सब्सिडी की मांग की है. इससे इतर, हाल में गुजरात के अहमदाबाद में हुए एयर इंडिया के विमान क्रैश ने लोगों के दिमाग में एक डर पैदा कर दिया है. हालांकि यात्रियों के भरोसे को वापस से जीतने के लिए एयर इंडिया ने कई तरीके आजमाने शुरू कर दिए हैं. उनमें से एक इंटरनेशनल फ्लाइट्स के फेयर में बड़ी कटौती करना शामिल है.

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कैसी होगी आगे की राह?

लो-कॉस्ट कैरियर Air India Express और AirAsia India का मर्जर हो चुका है, लेकिन अभी इनका संचालन पूरी तरह स्थिर नहीं हो पाया है. हालांकि, इनके संयुक्त बेड़े में बड़ी तेजी से बढ़ोतरी हुई है और यह अब 115 विमानों तक पहुँच चुका है. टाटा ग्रुप के लिए एयर इंडिया को फिर से एक मजबूत और आत्मनिर्भर ब्रांड बनाना आसान नहीं होगा, लेकिन शुरुआती संकेत सकारात्मक हैं. अगर प्लानिंग सही रही, तो एयर इंडिया न सिर्फ अपने अतीत का गौरव लौटाने में सफल होगी, बल्कि भारतीय एविएशन सेक्टर में एक नई उड़ान भर सकती है.