इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के खिलाफ ऐश्वर्या राय बच्चन को मिली बड़ी जीत, ITAT ने 4 करोड़ के दावे को किया खारिज

बॉलीवुड अभिनेत्री ऐश्वर्या राय बच्चन को इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के खिलाफ बड़ी राहत मिली है. मुंबई की इनकम टैक्स अपीलीय ट्रिब्यूनल (ITAT) ने उनके पक्ष में फैसला सुनाते हुए 4 करोड़ 11 लाख रुपये के अतिरिक्त टैक्स दावे को खारिज कर दिया. यह मामला टैक्स-फ्री इनकम से जुड़े खर्चों के डिसअलाउंस से संबंधित था.

ऐश्वर्या राय बच्चन Image Credit: tv9 bharatvarsh

Aishwarya Rai Bachchan: बॉलीवुड अभिनेत्री ऐश्वर्या राय बच्चन ने इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के खिलाफ एक बड़ी कानूनी लड़ाई जीत ली है. मुंबई की इनकम टैक्स अपीलीय ट्रिब्यूनल (ITAT) ने उनके पक्ष में फैसला सुनाते हुए इनकम टैक्स डिपार्टमेंट द्वारा उनकी आय में जोड़े गए 4 करोड़ 11 लाख रुपये के अतिरिक्त दावे को खारिज कर दिया है. यह मामला टैक्स-फ्री इनकम से जुड़े खर्चों के ‘डिसअलाउंस’ का था.

क्या है मामला

ऐश्वर्या राय बच्चन ने वित्तीय वर्ष 2021-22 (आयकर वर्ष 2022-23) के लिए 39 करोड़ 33 लाख रुपये की कुल इनकम दिखाते हुए अपनी आयकर रिटर्न दाखिल की थी. उनके पास 31 मार्च 2021 तक टैक्स-फ्री इनकम अर्जित करने वाली एसेट्स में 449 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश था. टैक्स डिपार्टमेंट ने उनकी रिटर्न की स्क्रूटनी का निर्णय लिया. जांच के दौरान, आयकर अधिकारी (Assessing Officer – AO) ने आयकर अधिनियम की धारा 14A और नियम 8D के तहत टैक्स-फ्री इनकम से जुड़े खर्चों के हिस्से को अस्वीकार करने का फैसला किया.

इस कैलकुलेशन के तहत औसत निवेश के 1 फीसदी के हिसाब से लगभग 4.60 करोड़ रुपये की राशि को उनकी कुल आय में जोड़ा गया. ऐश्वर्या ने पहले से ही स्वतः (सुओ-मोटो) 49 लाख रुपये के खर्च को अपनी आय में जोड़ा था, यह दावा करते हुए कि टैक्स-फ्री इनकम अर्जित करने के लिए कोई प्रत्यक्ष खर्च नहीं हुआ.

अधिकारी द्वारा 4.60 करोड़ रुपये की राशि जोड़े जाने के बाद, ऐश्वर्या की कुल आय 43 करोड़ 44 लाख रुपये आंकी गई. इस फैसले के खिलाफ ऐश्वर्या ने पहले आयुक्त (अपील) [CIT(A)] के पास अपील की, जहां उन्हें राहत मिली और अतिरिक्त दावा हटा दिया गया. इसके बाद इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने आयकर अपीलीय ट्रिब्यूनल (ITAT) में अपील दायर की.

ट्रिब्यूनल ने क्या कहा

अधिकारी ने यह गणना लगभग 460.6 करोड़ रुपये के कुल निवेशों के औसत मूल्य के आधार पर की, बिना यह सीमित किए कि वास्तव में टैक्स-फ्री इनकम किन निवेशों से अर्जित हुई थी. ऐश्वर्या की ओर से यह दलील दी गई कि उनके कुल निवेशों में से केवल एक छोटे हिस्से से ही वर्ष के दौरान 2.14 करोड़ रुपये की टैक्स-फ्री इनकम हुई थी.

न्यायिक सदस्य पवन सिंह और लेखा सदस्य रेणु जौहरी की दो-सदस्यीय पीठ ने अपने 31 अक्टूबर 2025 के आदेश में AO की गणना को “तर्क से रहित और स्पष्ट रूप से अनुचित” करार दिया. ट्रिब्यूनल ने विशेष रूप से इस तथ्य पर जोर दिया कि ऐश्वर्या के लाभ-हानि खाते में दर्ज कुल खर्च केवल 2.48 करोड़ रुपये थे, जबकि विभाग द्वारा जोड़ी गई राशि 4.60 करोड़ रुपये थी. पीठ ने कहा, “यह स्पष्ट है कि AO ने मामले के संपूर्ण तथ्यात्मक आधार पर विचार नहीं किया और न ही संबंधित खातों का सही अवलोकन किया है.”

ट्रिब्यूनल का महत्वपूर्ण फैसला

ITAT ने अपने फैसले में कहा कि धारा 14A और नियम 8D के तहत AO के लिए यह रिकॉर्ड करना अनिवार्य है कि करदाता द्वारा की गई सुओ-मोटो डिसअलाउंस को उसने क्यों स्वीकार नहीं किया. सर्वोच्च न्यायालय के Vireet Investment Ltd. बनाम CIT के ऐतिहासिक फैसले का हवाला देते हुए, पीठ ने माना कि बिना ठोस कारण बताए करदाता की गणना को अस्वीकार करना उचित नहीं है. ट्रिब्यूनल ने कहा, “AO ने केवल करदाता द्वारा प्रस्तुत गणना को अस्वीकार किया और बिना उन निवेशों को अलग किए डिसअलाउंस की गणना शुरू कर दी, जिनसे टैक्स-फ्री इनकम प्राप्त हुई थी.”

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