डिफेंस अपग्रेडेशन बिजनेस में रिलायंस इंफ्रा मचाएगी धूम, अनिल अंबानी ने बनाई ये ग्रैंड प्लान; 5000 करोड़ के बिजनेस पर नजर
रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर ने पुराने सैन्य विमानों के आधुनिकीकरण में बड़ी छलांग लगाई है. डोर्नियर-228 विमानों के अपग्रेडेशन के सफल डील के बाद, कंपनी ने अगले 7-10 वर्षों में 5000 करोड़ रुपये के कारोबार का लक्ष्य रखा है. यह कदम भारत के रक्षा क्षेत्र में निजी कंपनियों की बढ़ती भागीदारी और 'मेक इन इंडिया' पहल को बल प्रदान करेगा. रिलायंस राफेल जेट के रखरखाव में भी शामिल है, जिससे उसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिल रही है.

Anil Ambani: पिछले कुछ समय से अनिल अंबानी लगातार चर्चा में बने हुए हैं. अब उनकी कंपनी रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर ने बड़ा फैसला लिया है. रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर ने अपने डिफेंस बिजनेस को आगे बढ़ाते हुए पुराने विमानों और हेलीकॉप्टरों को नया रूप देने के क्षेत्र में बड़ी एंट्री की है. कंपनी ने अगले 7-10 वर्षों में इस सेक्टर से 5,000 करोड़ रुपये का बिजनेस हासिल करने का लक्ष्य तय किया है. यह फैसला भारत के डिफेंस सेक्टर में प्राइवेट कंपनियों की बढ़ती हिस्सेदारी को दिखाता है. एक के बाद एक कई प्राइवेट कंपनियां डिफेंस सेक्टर में एक्टिव हो रही हैं और मेक इन इंडिया को बढ़ावा दे रही हैं.
डोर्नियर-228 विमानों को अपग्रेड करने में मिली सफलता
रिलायंस ने हाल ही में 350 करोड़ रुपये की डील के तहत 55 डोर्नियर-228 विमानों को नए सिस्टम्स और टेक्नोलॉजी से लैस किया है. ये विमान भारतीय वायु सेना, नौसेना और तटरक्षक बल में उपयोग किए जाते हैं. पहले कंपनी को 37 विमानों का ऑर्डर मिला था, लेकिन अच्छे प्रदर्शन के चलते उसे 18 और विमानों का ऑर्डर प्राप्त हुआ.
इस प्रोजेक्ट में रिलायंस ने अमेरिकी कंपनी जेनेसिस और भारत की HAL (हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड) के साथ मिलकर कार्य किया. इस सफलता ने रिलायंस को भारत की पहली ऐसी निजी कंपनी बना दिया है जो बिना किसी विमान निर्माण करने वाली कंपनी की सहायता खुद ही विमानों को अपग्रेड कर रही है.
डिफेंस सेक्टर में बड़ा अवसर
सैन्य विमान और हेलीकॉप्टर सामान्यतः 30-40 वर्षों तक इस्तेमाल में रहते हैं. इस दौरान उनके इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम्स, सुरक्षा उपकरणों और अन्य टेक्नोलॉजी को समय-समय पर अपग्रेड करने की आवश्यकता होती है. एक्सपर्ट्स के मुताबिक, एक विमान की मूल लागत से 2-3 गुना अधिक खर्च उसके अपग्रेडेशन और मेंटेनेंस में होता है.
दुनिया भर में सैन्य विमानों को अपडेट करने का बाजार सालाना 5 लाख करोड़ रुपये का है, जो अगले 7 वर्षों में 7 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है. भारत में पुराने सैन्य विमानों की बड़ी संख्या के चलते यह क्षेत्र एक बड़ा अवसर प्रदान करता है, विशेष रूप से जब भारतीय सेना अपने विमानों को अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी से लैस करने की दिशा में आगे बढ़ रही है.
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राफेल जेट्स में भी रिलायंस की भागीदारी
डोर्नियर विमानों के अलावा रिलायंस, फ्रांस की Thales कंपनी के साथ मिलकर भारतीय वायु सेना के राफेल लड़ाकू जेट्स के मेंटेनेंस और देखभाल का कार्य भी कर रही है. इससे कंपनी को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिल रही है. कंपनी का उद्देश्य भारतीय सेना की आवश्यकताओं को पूरा करने के साथ-साथ विदेशों में भी अपने डिफेंस कारोबार का विस्तार करना है.
रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर का यह कदम न केवल भारत के डिफेंस सेक्टर में प्राइवेट कंपनियों की भूमिका को मजबूत करेगा, बल्कि देश को डिफेंस प्रोडक्शन में आत्मनिर्भर बनाने में भी योगदान देगा.
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