Bank merger: सरकारी बैंकों के मर्जर की तैयारी शुरू, SBI-PNB बनाएंगे मास्टर प्लान, M&A से मिलेंगे 1.2 लाख करोड़
सरकार बड़े सरकारी बैंकों में छोटे बैंकों के विलय की प्लानिंग बना रही है. इससे सरकारी बैंकों की स्थिति मजबूत होगी. हालांकि मर्जर से पहले, देश के प्रमुख बैंक मर्जर एंड एक्विजिशन (M&A) प्रक्रिया के नियमों में ढील चाहते हैं. इससे फंडिंग की उनकी ज्यादा क्षमता होगी.
SBI and PNB strategy for M&A and PSBs Merger: सरकार दोबारा बैंकिंग सेक्टर में मेगा मर्जर (PSBs Mega Merger) का प्लान बना रही है. इसके तहत देश में मौजूद 12 सरकारी बैंकों में से 8 छोटे बैंकों को बड़े सरकारी बैंकों में मर्ज करने की योजना है, जिससे सिर्फ 4 सरकारी बैंक रह जाएंगे. बैंकों के विलय से पहले, देश के प्रमुख बैंक मर्जर एंड एक्विजिशन (M&A) प्रक्रिया के नियमों में ढील चाहते हैं. क्योंकि अकेले M&A बाजार से बैंकों को 1.2 लाख करोड़ का फंड मिलने की उम्मीद है. स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) और पंजाब नेशनल बैंक (PNB) समेत कई सरकारी बैंक मिलकर इसी सिलसिले में मास्टर प्लान बनाने की तैयारी में हैं.
बैंकों की कोशिश है कि इंडियन बैंक एसोसिएशन (IBA) के जरिए एक साझा फ्रेमवर्क तैयार किया जाए, जिससे सभी सरकारी बैंक मिलकर एक यूनिफाइड स्ट्रैटेजी के तहत काम कर सकें. इसके लिए बैंक रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के ड्राफ्ट गाइडलाइंस में कुछ ढील की मांग कर रहे हैं, जिसके तहत सरकारी बैंकों को पहली बार डील फाइनेंसिंग यानी अधिग्रहण के लिए लोन देने की छूट मिलेगी. बता दे यह नियम 1 अप्रैल 2026 से लागू होने की संभावना है.
RBI से क्या चाहते हैं ये बैंक?
ईटी की रिपोर्ट में SBI और PNB रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया यानी RBI से डील फाइनेंसिंग के नियमों में छूट चाहते हैं. क्योंकि अक्टूबर में जारी हुए RBI के ड्राफ्ट नियम ‘कॉमर्शियल बैंक कैपिटल मार्केट एक्सपोजर डायरेक्शंस 2025’ के तहत बैंकों को अब भारतीय कंपनियों को किसी दूसरे घरेलू या विदेशी कंपनी में हिस्सेदारी खरीदने के लिए लोन देने की परमिशन होगी. मगर इसकी लिमिट कम है ऐसे में एसबीआई ने इस पर चिंता जताई है. उसका कहना है कि अधिग्रहण फाइनेंस की लिमिट बैंक की टियर-1 कैपिटल के 10% से ज़्यादा नहीं है, जो कि काफी कम है. बैंकों का मानना है कि इतनी कम सीमा के कारण बड़े सौदों को फाइनेंस करना मुश्किल होगा. ऐसे में वे चाहते हैं कि इसकी लिमिट में ढील दी जाए.
ईटी ने एक वरिष्ठ बैंक अधिकारी के हवाले से बताया गया है कि इस बारे में अभी ये शुरुआती चर्चा है कि क्या सरकारी बैंक एक साथ किसी सेक्टर-वार अप्रोच पर काम कर सकते हैं. साथ ही, विजिलेंस नॉर्म्स को ध्यान में रखते हुए एक कॉमन फ्रेमवर्क तैयार किया जा सकता है.
SBI और PNB की तैयारी
ईटी की रिपोर्ट के मुताबिक SBI चेयरमैन सीएस सेटी का कहना है कि बैंक RBI के साथ इस लिमिट पर चर्चा करेगा. वहीं, PNB के सीईओ अशोक चंद्रा ने एनालिस्ट कॉल में कहा कि सभी बैंक मिलकर एक सामूहिक रणनीति बनाएंगे और एक बेहतर पॉलिसी लाएंगे. IBA के जरिए वे संयुक्त रूप से इस दिशा में कदम बढ़ाएंगे. अगर RBI से उन्हें राहत मिलती है तो आने वाले वर्षों में सरकारी बैंक भी कॉर्पोरेट डील्स के लिए फाइनेंसिंग के नए पावरहाउस बनकर उभर सकेंगे.
बड़ा है मौका
PwC की एक रिपोर्ट के अनुसार, सितंबर तिमाही में 518 M&A डील्स हुईं, जिनकी कुल वैल्यू 28 बिलियन डॉलर रही. यह पिछली तिमाही के मुकाबले 26% ज्यादा डील्स और 80% ज्यादा वैल्यू थी. औसतन हर डील का साइज 74 मिलियन डॉलर पहुंच गया. बैंकों का अनुमान है कि उनके पास आने वाले 1.2 लाख करोड़ रुपये तक के फंड से लोन देने की क्षमता ज्यादा होगी क्योंकि कंपनियों ने कंपनियों ने 10 लाख करोड़ रुपये के M&A डील के तहत 30% लोन लिया था.
बैंक मर्जर के फायदे और नुकसान
- जिन इलाकों में एक से ज्यादा बैंकों की शाखाएं एक ही जगह पर थीं बैंक मर्जर के बाद वो एक ही में मिल जाएंगी, जिससे ब्रांचेज कम हो जाएंगे.
- रीजनल और जोनल कार्यालयों को भी बंद किया जाएगा क्योंकि अब उनकी अलग-अलग जरूरत नहीं होगी.
- बड़े सरकारी बैंकों में छोटे सरकारी बैंकों के मर्जर से उनका वजूद खत्म हो जाएगा.
- वहीं फायदे की बात करें तो बैंक मर्जर से देश में प्रमुख सरकारी बैंक ही बचेंगे, जिससे उनकी पकड़ मजबूत होगी.
- बैंको की संख्या सीमित रहने से विदेशों से प्रतिस्पर्धा में आसानी होगी.
- इससे बैंकों के पास ज्यादा फंड आएगा, जिससे उनके विस्तार में मदद मिलेगी.
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