डिजिटल इंडिया में कैश का जलवा, ग्रामीण इलाकों में बढ़ा यूज, देश में हर छठवां ट्रांजैक्शन नगदी में

डिजिटल पेमेंट्स के बढ़ते चलन के बावजूद भारत में नकदी का उपयोग घटा नहीं है. RBI के अनुसार, 2 मई 2025 तक करेंसी इन सर्कुलेशन में 2.4 फीसदी की बढ़ोतरी हुई. ग्रामीण क्षेत्रों में अच्छी फसल और कृषि उत्पादों की मांग इसके प्रमुख कारण हैं. मार्च 2024 तक उपभोक्ता खर्च का 60 फीसदी हिस्सा नकद में रहा. FY26 में करेंसी लीकेज 2.2 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच सकती है.

डिजिटल पेमेंट्स के बढ़ते चलन के बावजूद भारत में नकदी का उपयोग घटा नहीं है. Image Credit: Money9live/Canva

Currency in Circulation: लोगों के बीच डिजिटल पेमेंट में बढ़ते ट्रेंड के बीच भी कैश का उपयोग कम नहीं हुआ है. RBI के आंकड़ों के मुताबिक, इस साल 2 मई तक देश में करेंसी इन सर्कुलेशन में 2.4 फीसदी की बढ़ोतरी देखी गई है. पिछले साल इसी अवधि में यह बढ़ोतरी 1.7 फीसदी रही थी. देश में बढ़ते कैश सर्कुलेशन के पीछे ग्रामीण इलाकों में रबी और खरीफ की अच्छी फसलें और कृषि उत्पादों की मार्केट में बेहतर मांग को बताया जा रहा है. इस वित्त वर्ष में करेंसी लीकेज, यानी नकदी का बाहर जाना, करीब 2.2 लाख करोड़ तक पहुंचने की संभावना जताई जा रही है.

लोगों के बीच अभी भी लोकप्रिय

इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, देश में 2016 में लागू की गई नोटबंदी के समय की तुलना में अभी करेंसी इन सर्कुलेशन का स्तर करीब 0.5 फीसदी कम है. लेकिन यह GDP के 11.5 फीसदी के बराबर है, जिसका मतलब है कि कैश अभी भी लोगों के बीच एक मुख्य पेमेंट माध्यम बना हुआ है.

डिजिटल पेमेंट बढ़े, पर कैश का वर्चस्व बरकरार

मार्च 2024 तक कुल उपभोक्ता खर्च का 60 फीसदी हिस्सा नकद में ही हुआ. रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि 2014 से 2024 के बीच भारत में ATM की संख्या 32 फीसदी और बैंक शाखाओं की संख्या 36 फीसदी बढ़ी है. इस दौरान करेंसी इन सर्कुलेशन दोगुनी हो गई है.

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क्या है करेंसी इन सर्कुलेशन और कैश लीकेज?

  • करेंसी इन सर्कुलेशन (CIC): वह कुल नकदी जो आम लोगों और व्यवसायों के पास होती है.
  • कैश लीकेज: जब लोग बैंक से नकदी निकालते हैं और वह दोबारा बैंकिंग सिस्टम में नहीं लौटती, और उसका इस्तेमाल इकोनॉनिक गतिविधियों में नहीं होता है. जिससे लिक्विडिटी घटती है.