रेयर अर्थ सीक्रेट को चीन ने बनाया फुलप्रूफ, नहीं खुलेगा राज; टॉप एक्सपर्ट के पासपोर्ट कर रहा जब्त

दुनिया में Rare Earth Material एक ऐसा खनिज है जो दुर्लभ है और हर किसी के पास नहीं है. यह मिनरल इलेक्ट्रिक टेक्नोलॉजी बनाने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. चीन के पास रेयर अर्थ मिनरल का बड़ा खजाना है, लेकिन वह नहीं चाहता कि इसकी जानकारी लीक हो.

रेयर अर्थ मटेरियल पर चीन का नया प्लान Image Credit: Money9live/Canva

Rare Earth Minerals China: दुनिया में इस समय चर्चा रेयर अर्थ मिनरल्स की है. चर्चा इसलिए है क्योंकि ये मिनरल रेयर हैं यानी दुर्लभ है, हर किसी के पास नहीं है. ऊपर से ये मिनरल हर इलेक्ट्रिक टेक्नोलॉजी बनाने में काम आते हैं और आजकल तो हर चीज इलेक्ट्रिक होती जा रही है. चिंता की बात ये है कि रेयर अर्थ मिनरल का बड़ा खजाना दुनिया में केवल चीन के पास है. ये चिंता अब और बड़ी हो गई है क्योंकि चीन बिलकुल नहीं चाहता कि उसके रेयर अर्थ मिनरल को लेकर कोई भी जानकारी बाहर निकल जाए. इसके लिए चीन अपने ही देश की रेयर अर्थ इंडस्ट्री की सख्त निगरानी करने का प्लान बना चुका है. इसके पीछे चीन का एक ही मकसद है कि रेयर अर्थ को लेकर कोई भी जानकारी लीक ना हो.. क्या है चीन का प्लान, यहां जानें.

चीन बना रहा लिस्ट

द वॉल स्ट्रीट जरनल की रिपोर्ट के अनुसार, चीन ने हाल ही में अपनी रेयर-अर्थ इंडस्ट्री से जुड़ी कंपनियों को एक खास हिदायत दी है. चीन ने सेक्टर से जुड़ी कंपनियों को उन कर्मचारियों की लिस्ट सरकार को देने को कहा है, जिनके पास तकनीकी जानकारी और विशेषज्ञता है. चीनी सरकार चाहती है कि ये जानकारियां विदेशों तक ना पहुंचें.

दरअसल दुनियाभर में अब रेयर अर्थ मटेरियल्स को लेकर होड़ मची है. इनका इस्तेमाल कारों से लेकर इलेक्ट्रॉनिक्स और हथियारों में तक बड़े पैमाने पर होता है. इसलिए अमेरिका और चीन के बीच जारी ट्रेड वॉर में यह विषय खासा अहम हो गया है.

ये है पूरा प्लान

रिपोर्ट के मुताबिक, चीन के कॉमर्स मंत्रालय ने पिछले कुछ हफ्तों में देश की रेयर-अर्थ कंपनियों से ऐसे विशेषज्ञों की डिटेल मांगी है. इनमें उनकी पढ़ाई, रिसर्च बैकग्राउंड, तकनीकी क्षेत्र और व्यक्तिगत जानकारी शामिल है. सरकार का प्लान है कि इन विशेषज्ञों की एक आधिकारिक सूची बनाई जाए और इन पर नजर रखी जाए ताकि वे विदेश ना जाएं और कोई राज बाहर न निकल जाए.

इस लिस्ट में वे लोग भी शामिल हैं जो कच्चे माल को प्रोसेस करते हैं और वो भी जो तैयार किए गए रेयर-अर्थ मैग्नेट्स का इस्तेमाल करते हैं. ये मैग्नेट्स कारों, विंड टरबाइन, ड्रोन और जेट फाइटर्स में लगाए जाते हैं.

रिपोर्ट के अनुसार, कुछ मामलों में तो कर्मचारियों से उनके पासपोर्ट भी जमा करवाने को कहा गया है. ऐसा इसलिए ताकि कोई भी बिना अनुमति के विदेश यात्रा ना कर सके. हालांकि चीन में सरकारी अफसरों और सरकारी कंपनियों के कर्मचारियों को तो विदेश यात्रा से पहले इजाजत लेनी ही होती है.

रेयर अर्थ मटेरियल का बादशाह है चीन

चीन इस वक्त दुनिया में रेयर-अर्थ मटेरियल्स का खनन और प्रोसेसिंग करने वाला सबसे बड़ा देश है. दुनियाभर में बनने वाले करीब 90% रेयर-अर्थ मैग्नेट्स चीन से आते हैं. अप्रैल में चीन ने इनके एक्सपोर्ट पर नया लाइसेंस सिस्टम लागू किया जिससे ग्लोबल सप्लाई में रुकावट आई है. इसका असर ये हुआ कि अमेरिका और यूरोप की कुछ फैक्ट्रियों को अस्थायी रूप से बंद भी करना पड़ा है.

कई सालों तक चीन ने ये मैग्नेट्स इतने सस्ते में बनाए कि बाकी देशों की कंपनियां मुकाबला ही नहीं कर सकी. लेकिन अब जब चीन सप्लाई रोक रहा है तो अमेरिका, फ्रांस जैसे देश दोबारा अपनी रेयर-अर्थ इंडस्ट्री को खड़ा करने की कोशिश में लग गए हैं.

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चीन के पास ऐसा क्या जो बाकी के पास नहीं

सबसे बड़ी चुनौती है विशेषज्ञों की कमी. रेयर-अर्थ को प्रोसेस करना आसान नहीं होता. कई तत्व जिनकी कैमिकल प्रॉपर्टी मिलती-जुलती हैं उन्हें अलग करना पड़ता है. इसमें चीन के वैज्ञानिकों ने ऐसी तकनीक और मशीनें बनाई हैं जो अब दुनिया में सबसे बेहतर मानी जाती हैं.

कुछ दशक पहले चीन विदेशों से एक्सपर्ट्स बुलाकर रेयर अर्थ इंडस्ट्री को विकसित कर रहा था. आज चीन केवल रेयर अर्थ के एक्सपोर्ट को ही कम नहीं कर रहा वो पिछले साल से ही कुछ खास प्रोसेसिंग तकनीक को विदेशों में एक्सपोर्ट करने को बैन ही कर चुका है.

रिपोर्ट के मुताबिक, सितंबर 2024 में एक मामला सामने आया था जहां एक चीनी नागरिक को 11 साल की सजा दी गई थी क्योंकि उसने रेयर-अर्थ स्टॉकपाइल से जुड़ी गोपनीय जानकारी विदेशी एजेंसियों को बेच दी थी.