चीन अब बैकडोर से मेक इन इंडिया को दे रहा झटका, क्या झुक जाएंगे Apple से लेकर ये भारतीय दिग्गज

चीन, भारत को आर्थिक रूप से कमजोर करने की कोशिश कर रहा है. चीन नहीं चाहता कि भारत उसका प्रतिद्वंद्वी बने. भारत अभी भी मशीनें, रेयर अर्थ मैटेरियल्स और इलेक्ट्रॉनिक पार्ट्स के लिए चीन पर निर्भर है. पिछले चार महीनों से चीन ने रेयर अर्थ मैग्नेट की सप्लाई रोक दी है. ये मैग्नेट इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर (जैसे स्कूटर) बनाने के लिए बहुत जरूरी हैं.

भारत को चौतरफा घेरने की चीन की रणनीति Image Credit: Money 9

China’s Diplomatic attack on India: चीन, भारत के आर्थिक उदय को रोकने के लिए अपनी सारी ताकत झोंक रहा है. चीन कभी नहीं चाहता कि भारत उसका कॉम्पीटीटर बने. पड़ोसी देश बहुत चालाकी से भारत पर चौतरफा प्रहार कर रहा है. ये बात किसी से नहीं छिपी है कि भारत अपने मेहनत और लगन से विश्व पटल पर अपनी जगह बना रहा है. लेकिन चीन इसमें रोड़ा बनने के लिए अब गैर पेशेवर रवैया अपना रहा है. कभी रेयर अर्थ मैटेरियल्स पर रोक, तो कभी इलेक्ट्रॉनिक पार्ट्स के एक्सपोर्ट पर पाबंदी, जैसे कदम उसकी शातिर कदमों को सामने ला रहे हैं.

चीन हर उस हथकंडे को अपना रहा है, जो भारत को पीछे कर दे. एप्पल जैसे बड़े ब्रांड भारत की पर भरोसा जताकर निवेश कर रहे हैं, लेकिन चीन को यह झटका बर्दाश्त नहीं है . उसने अपने इंजीनियरों को वापस बुलाकर भारत के आत्मनिर्भरता के संकल्प को चुनौती देने की कोशिश की है.

भारत में iPhone बनाने वाली फैक्ट्रियों पर किया वार

हाल ही में चीन ने फॉक्सकॉन कंपनी के 300 से ज्यादा इंजीनियरों को भारत से वापस बुला लिया. चीन ने जिन 300 से ज्यादा इंजीनियरों को भारत से वापस बुलाया है वे इंजीनियर तमिलनाडु और कर्नाटक में आईफोन बनाने वाली फैक्ट्रियों में काम कर रहे थे. ये लोग नई तकनीक सिखाने और आईफोन 17 की तैयारी में मदद कर रहे थे.

इनके जाने से भारत में आईफोन बनाने की प्रक्रिया धीमी हो सकती है. फॉक्सकॉन अब ताइवान और वियतनाम के विशेषज्ञों को ला रहा है और भारतीय कर्मचारियों को ट्रेनिंग दे रहा है. भारत अभी दुनिया के 20% आईफोन बनाता है और 2026 तक अमेरिका के लिए ज्यादातर आईफोन भारत से भेजने की योजना है.

रेयर अर्थ मैग्नेट की सप्लाई पर भी लगाई रोक

इसके अलावा, पिछले चार महीनों से चीन ने रेयर अर्थ मैग्नेट की सप्लाई रोक दी है. ये मैग्नेट इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर (जैसे स्कूटर) बनाने के लिए बहुत जरूरी हैं. इसकी कमी से भारत की इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर इंडस्ट्री को नुकसान हो रहा है. बजाज ऑटो, एथर एनर्जी और टीवीएस मोटर जैसी कंपनियों को प्रोडक्शन कम करना पड़ सकता है. बजाज ने अपने प्रोडक्शन को आधा करने की योजना बनाई है, जबकि एथर 8-10% कम प्रोडक्शन करेगा. इसके अलावा कार कंपनियां, इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनियां इस संकट से गुजर रही है. जिससे भारतीय कंपनियों को प्रोडक्शन में कटौती करनी पड़ सकती है.

ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री परेशान

भारत सरकार और ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री चीन से मैग्नेट सप्लाई शुरू करने के लिए बातचीत कर रही है. साथ ही वियतनाम, इंडोनेशिया और जापान जैसे देशों से भी सप्लाई के लिए बात हो रही है, लेकिन अभी कोई हल नहीं निकला. अगर जल्द समाधान नहीं हुआ तो भारत की मैन्युफैक्चरिंग और इलेक्ट्रिक वाहन इंडस्ट्री को बड़ा नुकसान हो सकता है. भारत को अपनी सप्लाई चेन मजबूत करने और नई रणनीति बनाने की जरूरत है.

इन जगहों पर है फैक्ट्रियां

दक्षिण भारत में iPhone बनाने वाली दो नई फैक्ट्रियां हैं. एक फैक्ट्री तमिलनाडु के होसुर में टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स ने शुरू की है, जो पुराने iPhone मॉडल बनाती है. दूसरी फैक्ट्री कर्नाटक के बेंगलुरु में फॉक्सकॉन की है. यह फैक्ट्री प्रति घंटे 300-500 iPhone बना सकती है और 50,000 नौकरियां देगी. ऐपल भारत को चीन का विकल्प बनाना चाहता है, क्योंकि अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड वार चल रहा है.

अमेरिका ने चीन पर भारी टैरिफ लगाए हैं, जिससे iPhone की कीमतें बढ़ने का डर है. अभी चीन में 75% से ज्यादा iPhone बनते हैं, जबकि भारत में 18%. ऐपल 2026 तक अमेरिका के लिए 60-65% iPhone भारत में बनाना चाहता है. मार्च में टाटा और फॉक्सकॉन ने 2 अरब डॉलर के iPhone अमेरिका भेजे, जिसमें फॉक्सकॉन का हिस्सा 1.3 अरब डॉलर था. टाटा और फॉक्सकॉन मिलकर भारत में पांच iPhone फैक्ट्रियां चलाएंगे.