न्यू सिल्वर बनने की राह पर कॉपर, सोना-चांदी नहीं तांबा बनेगा असली किंग! कीमत पहली बार $12000 प्रति टन के पार

ग्लोबल कमोडिटी मार्केट में सोने-चांदी के बाद अब तांबा (कॉपर) रिकॉर्ड ऊंचाई छू रहा है. इलेक्ट्रिक व्हीकल्स, एआई डेटा सेंटर्स और औद्योगिक मांग बढ़ने से इसकी कीमतों में इस साल 35% का उछाल आया है. मंगलवार को यह 12,000 डॉलर प्रति टन के पार पहुंच गया, जो 2009 के बाद सबसे बड़ी सालाना तेजी है. कोई इसे 'न्यू गोल्ड' तो कोई 'न्यू सिल्वर' कह रहा है.

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Copper Price Hit Record High: ग्लोबल कमोडिटी मार्केट में सिर्फ सोने और चांदी की ही कीमतें आसमान नहीं छू रही हैं, एक धातु और भी है जो रिकॉर्ड हाई बना रहा है. वह है कॉपर यानी तांबा. इलेक्ट्रिक गाड़ियों, एआई डेटा सेंटर और कई अन्य औद्योगिक इस्तेमाल की वजह से इसकी मांग बढ़ती जा रही है. यही वजह है कि इसकी कीमत में भी शानदार तेजी दर्ज की जा रही है. मंगलवार शाम को इसने 12000 डॉलर प्रति टन के रिकॉर्ड हाई को पार कर गया. इस साल इसकी कीमतों में 35 फीसदी का उछाल आया है. इसलिए कोई इसे न्यू गोल्ड कह रहा तो कोई न्यू सिल्वर.

2009 के बाद एक साल में कीमतों में सबसे अधिक तेजी

लंदन फ्यूचर्स एक्सचेंज पर बेंचमार्क थ्री-मंथ कॉपर बुधवार, 24 दिसंबर को रिकॉर्ड हाई के करीब रहा और 0.1% की बढ़त के साथ $12,076.5 प्रति टन पर कारोबार कर रहा था. मंगलवार शाम को लंदन मेटल एक्सचेंज पर कॉपर की कीमतें 2% तक बढ़कर ऑल-टाइम हाई $12,159.50 पर पहुंच गईं. वहीं, साल-दर-साल आधार पर (YTD) कॉपर में 35% से अधिक की तेजी आई है, जो 2009 के बाद सबसे अधिक रिटर्न देने वाला साल बन गया है.

तेजी के पीछे क्या हैं मुख्य कारण?

इस साल कॉपर की कीमतों में तेजी के पीछे अमेरिकी टैरिफ की आशंका है. बाद में ऊंची कीमतें चुकाने से बचने के लिए अमेरिकी खरीदार अभी कॉपर खरीदकर वेयरहाउस में स्टोर कर रहे हैं. नतीजतन डिमांड हाई है और अमेरिकी वेयरहाउस में कॉपर का स्टॉक बढ़ रहा है. हाल के महीनों में कुछ सप्लाई संबंधी चिंताएं भी सामने आई हैं. इंडोनेशिया की दूसरी सबसे बड़ी कॉपर के खादान में दुर्घटना, डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो में अंडरग्राउंड फ्लड और चिली की एक माइन में रॉक ब्लास्ट जैसी घटनाओं ने उत्पादन बाधित किया है. चीन की प्रमुख कॉपर स्मेल्टर कंपनियां 2026 में ओवरकैपेसिटी के चलते उत्पादन 10% से अधिक काटने वाली हैं.

2026 में कीमतों में आ सकती है नरमी

गोल्डमैन सैक्स रिसर्च की रिपोर्ट के अनुसार, साल 2026 में कॉपर की कीमतें लगातार 11,000 डॉलर प्रति टन से ऊपर टिके रहना मुश्किल हो सकता है. ऐसा इसलिए क्योंकि वैश्विक स्तर पर सप्लाई सरप्लस बना रह सकता है.

गोल्डमैन का अनुमान है कि 2026 में लंदन मेटल एक्सचेंज पर कॉपर की कीमतें 10,000 से 11,000 डॉलर प्रति टन के दायरे में रह सकती हैं. 2026 की पहली छमाही में औसत कीमत करीब 10,710 डॉलर प्रति टन रहने की उम्मीद है. यानी तेज गिरावट की आशंका कम है और बाजार में एक स्थिर संतुलन बना रह सकता है. अगर ऐसा होता है तो कॉपर की कीमतें अपने रिकॉर्ड हाई से नीचे रहेंगी.