रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंजूर किया DPM 2025, अब रक्षा खरीद प्रक्रिया होगी तेज और इंडस्ट्री को मिलेगी राहत
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 14 सितंबर को डिफेंस प्रोक्योरमेंट मैनुअल (DPM) 2025 को मंजूरी दी. इस नए मैनुअल का मकसद सशस्त्र सेनाओं की जरूरतों की खरीद को आसान और तेज करना, घरेलू रक्षा उद्योग को बढ़ावा देना, रिसर्च और इनोवेशन को प्रोत्साहित करना और पब्लिक-प्राइवेट सेक्टर को समान अवसर देना है.

DPM 2025 Approval: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रविवार, 14 सितंबर को डिफेंस प्रोक्योरमेंट मैनुअल (DPM) 2025 को मंजूरी दे दी है. इसे सरकार के Year of Reforms अभियान के तहत लाया गया है. इस नए मैनुअल का मकसद सशस्त्र सेनाओं के लिए जरूरी सामान और सेवाओं की खरीद को तेज करना, घरेलू रक्षा उद्योग को समर्थन देना, इनोवेशन को बढ़ावा देना और प्राइवेट व पब्लिक क्षेत्रों के बीच समान अवसर सुनिश्चित करना है.
क्या है DPM और क्यों है जरूरी?
डिफेंस प्रोक्योरमेंट मैनुअल (DPM) वह दस्तावेज है, जो रक्षा मंत्रालय और उससे जुड़े संगठनों की ओर से रोजमर्रा की जरूरतों के लिए सामान और सेवाएं खरीदने की प्रक्रिया तय करता है. इसमें हथियार, स्पेयर पार्ट्स, मरम्मत, मेंटेनेंस और प्लेटफॉर्म के रखरखाव तक सब शामिल होता है. पिछली बार यह मैनुअल 2009 में लागू किया गया था. अब लगभग 15 साल बाद इसे अपडेट किया गया है. इसकी अहमियत इसलिए भी बढ़ जाती है क्योंकि रक्षा मंत्रालय हर साल लगभग 1 लाख करोड़ रुपये की खरीद इसी प्रावधान के तहत करता है.
क्या बदला नए DPM 2025 में?
- इंडस्ट्री को राहत- अब इंडस्ट्री को वर्किंग कैपिटल से जुड़ी दिक्कतों से राहत मिलेगी. इसके लिए फाइनेंसिंग के आसान विकल्प दिए जाएंगे और बेवजह की पेनल्टी खत्म की जाएगी.
- R&D को बढ़ावा- नए मैनुअल में इंडस्ट्री, शैक्षणिक संस्थानों और रक्षा सार्वजनिक उपक्रमों (DPSUs) को रिसर्च और डेवलपमेंट में प्रोत्साहित करने के प्रावधान किए गए हैं. खासकर IITs, IISc और निजी विश्वविद्यालयों को भी रक्षा से जुड़े नवाचारों में शामिल किया जाएगा.
- Level Playing Field- अब किसी भी टेंडर से पहले DPSU से नो-ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (NOC) लेने की जरूरत नहीं होगी. यानी सभी कंपनियों को एक जैसी प्रतिस्पर्धा का मौका मिलेगा और टेंडर सिर्फ कॉम्पिटिटिव बेसिस पर दिए जाएंगे.
- ऑर्डर की गारंटी- रक्षा मंत्रालय कंपनियों को ऑर्डर की निश्चित गारंटी देगा. यह गारंटी 5 साल तक होगी और कुछ खास मामलों में 10 साल तक भी बढ़ाई जा सकती है.
- इनोवेशन और इंडिजिनाइजेशन पर फोकस- आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए एक नया अध्याय जोड़ा गया है. इसके तहत रक्षा सामान और स्पेयर्स का स्वदेशीकरण बढ़ाया जाएगा ताकि भारत बाहर से आयात पर कम निर्भर हो.
- MSME और स्टार्टअप्स की भागीदारी- नए प्रावधानों में छोटे उद्योगों और स्टार्टअप्स की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करने पर भी जोर है.
इंडस्ट्री के लिए राहतभरे प्रावधान
अब डेवलपमेंट कॉन्ट्रैक्ट्स में देरी होने पर भारी-भरकम जुर्माना नहीं लगेगा. विकास चरण में (Prototype Development) किसी भी तरह की Liquidity Damages नहीं लगाई जाएंगी. इससे इतर, प्रोटोटाइप बनने के बाद अगर थोड़ी देरी होती है तो सिर्फ 0.1 फीसदी की दर से जुर्माना लगेगा और अधिकतम सीमा 5 फीसदी रखी गई है. सिर्फ बहुत ज्यादा देरी होने पर ही यह सीमा 10 फीसदी तक बढ़ाई जाएगी. इसका फायदा उन कंपनियों को मिलेगा जो समय पर काम पूरा करने की ईमानदारी से कोशिश करती हैं, लेकिन थोड़ी देर हो जाती है.
फैसले लेने की प्रक्रिया आसान
नए DPM 2025 में अधिकारों का विकेंद्रीकरण भी किया गया है. अब फील्ड लेवल पर मौजूद Competent Financial Authorities (CFAs) खुद अपने वित्तीय सलाहकारों से परामर्श करके डिलीवरी अवधि बढ़ाने का निर्णय ले सकेंगे. इसके लिए उन्हें उच्च अधिकारियों से मंजूरी लेने की जरूरत नहीं होगी. रक्षा मंत्रालय अब Defence Acquisition Procedure (DAP) 2020 का भी नया संशोधित संस्करण लाने की तैयारी कर रहा है. इसमें बड़े पूंजीगत सौदे जैसे- जेट्स, टैंक, पनडुब्बी और वॉरशिप की खरीद की प्रक्रिया शामिल होती है. इसे 2025 के अंत तक अंतिम रूप दिया जाएगा.
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