1.4 अरब आबादी का दावा, लेकिन US कॉर्न से परहेज! ट्रंप के मंत्री का भारत पर वार, कहा- हम जैसा ट्रीट करो वरना…’
अमेरिका और भारत के बीच व्यापारिक तनाव एक बार फिर बढ़ गया है. अमेरिकी वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लुटनिक ने भारत पर आरोप लगाया कि वह अमेरिकी उत्पादों को अपने बाजार में घुसने नहीं देता, जबकि खुद अमेरिका के खुले बाजार का फायदा उठाता है. जानें पूरी जानकारी.

US Trump and Corn: अमेरिका और भारत के बीच व्यापारिक रिश्तों पर एक बार फिर तनाव बढ़ता दिख रहा है. अमेरिकी वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लुटनिक ने शनिवार को एक इंटरव्यू में भारत पर तीखा हमला बोला और आरोप लगाया कि नई दिल्ली अमेरिकी उत्पादों को अपने बाजार में घुसने नहीं देती, जबकि खुद अमेरिका के खुले बाजार का फायदा उठाती है. बता दें कि यह पहली बार नहीं है जब अमेरिका की ओर से भारत पर इस तरह के तंज कसे गए हैं, कुछ दिन पहले भी ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रूथ सोशल पर यूक्रेन को केंद्र में रखते हुए चीन सहित उन सभी देशों पर निशाना साधते हुए टैरिफ बढ़ाने की वाकलत की थी जो रूस से तेल खरीदते हैं.
लुटनिक ने कसा तंज
लुटनिक ने खास तौर पर कृषि उत्पादों का जिक्र करते हुए कहा कि भारत 1.4 अरब की आबादी का दावा करता है, लेकिन अमेरिकी मकई (कॉर्न) का एक बुशल भी खरीदने को तैयार नहीं है. उन्होंने तंज कसते हुए कहा, “क्या यह आपको गलत नहीं लगता कि भारत हमें सब कुछ बेचता है, लेकिन हमारे मकई को खरीदने से इनकार कर देता है? हर चीज पर ऊंचे टैरिफ लगाता है.”
“फेयर एंड रिकिप्रोकल ट्रेड” की दुहाई
अमेरिकी मंत्री ने कहा कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का संदेश साफ है- भारत और दूसरे देशों को वैसे ही टैरिफ लगाने चाहिए जैसे अमेरिका उनके लिए करता है. उन्होंने चेतावनी भरे लहजे में कहा, “टैरिफ घटाइए और हमें वैसा ट्रीट कीजिए जैसा हम आपको करते हैं. वरना दुनिया के सबसे बड़े उपभोक्ता बाजार में कारोबार करना आपके लिए मुश्किल हो जाएगा.” लुटनिक ने आरोप लगाया कि अमेरिका अपने सहयोगी देशों जिसमें भारत, कनाडा और ब्राजील आते हैं, के साथ भी व्यापार में “नाइंसाफी” झेल रहा है. उनके मुताबिक, “रिश्ता पूरी तरह एकतरफा है. वे हमें सामान बेचते हैं, लेकिन हमारे सामान को रोक देते हैं. हम उनके लिए पूरी तरह खुले हैं, लेकिन वे हमारे लिए दीवार खड़ी करते हैं.”
भारत पर बढ़ते अमेरिकी दबाव
लुटनिक ने कहा कि अमेरिका बीते कई सालों से गलतियों को सुधारने की कोशिश कर रहा है और अब जरूरत है कि “टैरिफ का पलड़ा उलटा” किया जाए. यानी अमेरिका अब भारत जैसे देशों पर सख्ती करेगा ताकि उन्हें मजबूर किया जा सके. ट्रंप प्रशासन ने पहले ही भारत पर 50 फीसदी तक टैरिफ लगा रखे हैं. इसमें रूस से तेल खरीदने पर 25 फीसदी का टैरिफ भी शामिल है. अमेरिका ने इसे अब तक किसी भी देश पर लगाए गए सबसे कड़े दंडात्मक कदमों में गिना है.
भारत का जवाब- “अनुचित और अन्यायपूर्ण कदम”
भारत ने अमेरिकी कदमों को “अनुचित, अन्यायपूर्ण और बेबुनियाद” करार दिया है. नई दिल्ली का कहना है कि उसकी एनर्जी खरीद राष्ट्रीय हित और बाजार की जरूरतों के हिसाब से तय होती है. रूस से कच्चा तेल खरीदने के फैसले का भी यही आधार है. भारत लगातार यह रुख अपनाए हुए है कि उसका व्यापार और ऊर्जा आयात पूरी तरह से खुद के हित और वैश्विक संतुलन पर आधारित है, न कि किसी और देश की शर्तों पर.
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