कोयले की मांग में कमी के बावजूद प्रोडक्शन बढ़ाने की तैयारी, CIL ने 16,000 करोड़ रुपये का कैपेक्स किया तय
कोल इंडिया लिमिटेड ने कोयले की मांग में कमी के बावजूद अपनी प्रोडक्शन और परिवहन योजनाओं को तेजी से आगे बढ़ाने का फैसला किया है. कंपनी ने वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए 16,000 करोड़ रुपये का कैपेक्स तय किया है. CIL का टारगेट है कि वह अपनी Mechanized कोयला निकासी क्षमता को मौजूदा 151 मिलियन टन प्रति वर्ष (MTPA) से बढ़ाकर 2028-29 तक 994 मिलियन टन प्रति वर्ष कर ले.
CIL: कोल इंडिया लिमिटेड ने कोयले की मांग में कमी के बावजूद अपनी प्रोडक्शन और परिवहन योजनाओं को तेजी से आगे बढ़ाने का फैसला किया है. कंपनी ने वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए 16,000 करोड़ रुपये का कैपेक्स तय किया है. इसमें से सबसे बड़ा हिस्सा 5,622 करोड़ रुपये (लगभग 35%) कोयले के परिवहन और निकासी के लिए रखा गया है. इसमें रेल साइडिंग, कॉरिडोर, कोयला हैंडलिंग प्लांट, साइलो और सड़कों का निर्माण शामिल है.
जून तिमाही में प्रोडक्शन 3 फीसदी की गिरावट
CIL का टारगेट है कि वह अपनी Mechanized कोयला निकासी क्षमता को मौजूदा 151 मिलियन टन प्रति वर्ष (MTPA) से बढ़ाकर 2028-29 तक 994 मिलियन टन प्रति वर्ष कर ले. PTI के हवाले से एक अधिकारी ने बताया कि ये निवेश बहुत जरूरी हैं ताकि कोयले को तेजी से और आसानी से पहुंचाया जा सके. CIL भारत में 75 फीसदी से ज्यादा कोयला प्रोडक्शन करती है. लेकिन जून तिमाही में इसका प्रदर्शन कमजोर रहा. इस दौरान प्रोडक्शन 3 फीसदी घटकर 183.32 मिलियन टन और आपूर्ति 4 फीसदी कम होकर 191 मिलियन टन रही. फिर भी, कंपनी का कहना है कि कोयला उपभोक्ताओं के लिए कई सुधारों के बाद मांग में सुधार के संकेत दिख रहे हैं.
इन चीजों में भी इस्तेमाल होगा पैसा
CIL 2028-29 तक 1 बिलियन टन कोयला प्रोडक्शन का टारगेट हासिल करने का है. कोयला परिवहन के अलावा, कंपनी जमीन खरीदने, भारी मशीनरी, वाशरी और रिन्यूएबल एनर्जी प्रोजेक्ट में भी निवेश कर रही है. इससे कोयले की आपूर्ति को और भरोसेमंद बनाने के साथ-साथ कंपनी अपने कारोबार को विविधता देने की कोशिश कर रही है.
क्या है टारगेट
CIL ने रिन्यूएबल एनर्जी के क्षेत्र में भी कदम बढ़ाए हैं. वित्तीय वर्ष 2024-25 में कंपनी ने 114 मेगावाट सौर ऊर्जा क्षमता शुरू की. मार्च 2025 तक इसकी कुल सौर ऊर्जा क्षमता 209.08 मेगावाट हो गई. कंपनी का टारगेट 2027-28 तक 3 गीगावाट सोलर एनर्जी क्षमता हासिल करना है, ताकि वह अपने डी-कार्बनाइजेशन के रोडमैप को पूरा कर सके.
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