PM मोदी के ऐलान के बाद GST रिफॉर्म की तैयारी तेज, इस हफ्ते होगी GoM की बैठक, जानें कब तक होंगी नई लागू दरें

20-21 अगस्त को जीएसटी काउंसिल के मंत्रियों के समूह (GoM) की बैठक हो सकती है, जिसमें केंद्र द्वारा प्रस्तावित नई जीएसटी संरचना पर चर्चा होगी. राज्यों की सहमति के बाद दिवाली तक नई दरें लागू हो सकती हैं. प्रस्तावित स्लैब में 5%, 18% और 40% शामिल हैं, जबकि पेट्रोल-डीजल जीएसटी से बाहर रहेंगे.

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GST Reform: 20 और 21 अगस्त को सरकार की ओर से प्रस्तावित GST रिफॉर्म को लेकर जीएसटी काउंसिल द्वारा बनाए गए तीन सदस्यीय ग्रुप ऑफ मिनिस्टर (GoMs) की बैठक हो सकती है. इस बैठक में केंद्र सरकार की ओर से सुझाए गए न्यू जीएसटी स्ट्रक्चर की समीक्षा की जाएगी. इस बैठक के बाद GoMs की सिफारिशों को जीएसटी काउंसिल के पास भेजा जाएगा. ध्यान हो कि प्रधानमंत्री मोदी ने 15 अगस्त को लाल किले की प्राचीर से जीएसटी में रिफॉर्म की बात कही थी.

राज्य सरकार की सहमति जरूरी

जीएसटी परिषद में 33 सदस्य हैं, जिनमें केंद्रीय वित्त मंत्री, वित्त राज्य मंत्री और सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के वित्त मंत्री शामिल हैं. जीएसटी पर किसी भी प्रकार के बदलाव के लिए राज्य सरकार की सहमति जरूरी है क्योंकि इसका असर राज्यों के रेवेन्यू कलेक्शन पर पड़ेगा. सरकार को उम्मीद है कि इस वर्ष दिवाली तक यानी अक्टूबर के अंत तक जीएसटी की नई दरें लागू हो जाएगी.

घरेलू मांग में आएगी तेजी

भारत पर ट्रंप टैरिफ के असर को कम करने में जीएसटी रिफॉर्म कारगर साबित हो सकता है. मनी कंट्रोल की एक रिपोर्ट के अनुसार सरकार पिछले ढाई साल से जीएसटी रिफॉर्म पर काम कर रही है. एक ओर जहां टैरिफ की वजह से इंडस्ट्री के प्रोडक्शन में कमी आने की संभावना है, तो वहीं दूसरी ओर जीएसटी की दरें कम होने से घरेलू मांग में तेजी आएगी.

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GST की प्रस्तावित दर

वित्त मंत्रालय ने 79वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर कहा कि देश में अब ‘सिंपल टैक्स’ की ओर बढ़ा जाएगा. इसके तहत:

पेट्रोल-डीजल पर क्या असर?

पेट्रोलियम प्रोडक्ट अभी भी GST के दायरे में नहीं आते हैं और इसकी स्थिति यह बरकरार रहेगी. यानी उन पर पुराना टैक्स सिस्टम ही जारी रहेगा. इस पर मौजूदा वक्त में VAT (हर राज्य में अलग-अलग होता है), सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी और डीलर चार्ज लगता है. यही वजह है कि हर राज्य में पेट्रोल-डीजल के दामों में अंतर होता है. सरकार का मानना है कि अगर टैक्स स्ट्रक्चर आसान हो जाएगा, तो लोगों की खरीदारी बढ़ेगी. ज्यादा खपत से अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा. इससे टैक्स दर घटाने से होने वाला राजस्व नुकसान भी पूरा हो जाएगा. सिगरेट और तंबाकू उत्पादों पर कुल टैक्स दर (GST + अन्य टैक्स मिलाकर) अब भी लगभग 88 फीसदी बनी रहेगी.

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