बोरिया-बिस्तर समेट रहा है ये बैंक! खरीदने की रेस में ये दिग्गज, बिकेगा रिटेल और वेल्थ मैनेजमेंट बिजनेस

जर्मनी की दिग्गज ड्यूश बैंक भारत में अपना रिटेल और वेल्थ मैनेजमेंट कारोबार बेचने की तैयारी कर रही है. कोटक महिंद्रा और फेडरल बैंक इसे खरीदने की दौड़ में आगे हैं. विदेशी बैंकों के लिए बढ़ती लागत और देसी बैंकों से कड़ी प्रतिस्पर्धा के बीच यह कदम बैंक की ग्लोबल री-स्ट्रक्चरिंग रणनीति का हिस्सा है.

Deutshe Bank Acquisition Image Credit: @AI/Money9live

Deutshe Bank Acquisition: जर्मनी की बड़ी बैंक Deutshe Bank भारत में अपना रिटेल और वेल्थ मैनेजमेंट कारोबार बेचने की तैयारी कर रही है. Kotak Mahindra और Faderal Bank इस कारोबार को खरीदने की दौड़ में सबसे आगे हैं. यह दूसरी बार है जब ड्यूश बैंक भारत में यह बिजनेस बेचने की कोशिश कर रही है. पहले 2017 में कोशिश की थी लेकिन बात नहीं बनी थी. बैंक के CEO अपने रिस्ट्रक्चरिंग प्लान के तहत यह हिस्सा बेच रहे हैं. इसके पीछे की वजह भारत में विदेशी बैंक बड़े देसी बैंकों से मुकाबला नहीं कर पा रहे हैं. उनका खर्च ज्यादा है और लोन सस्ते नहीं दे पाते हैं.

क्या-क्या बिक रहा है?

ET की रिपोर्ट के अनुसार, ड्यूश बैंक इस सौदे में पर्सनल लोन, होम लोन और वेल्थ मैनेजमेंट बिजनेस बेच रहा है. वेल्थ मैनेजमेंट सेगमेंट में बैंक के पास करीब 25,000 करोड़ रुपये की संपत्ति है. मार्च 2025 तक रिटेल बिजनेस में कुल 25,038 करोड़ रुपये की संपत्ति थी. पिछले वित्त वर्ष में रिटेल से 2,455 करोड़ रुपये की कमाई हुई जो एक साल पहले से 4 फीसदी ज्यादा है.

क्यों बेच रही है ड्यूश बैंक?

ड्यूश बैंक दुनिया भर में अपना रिटेल कारोबार कम करना चाहती है ताकि ज्यादा मुनाफा कमा सके. भारत के अलावा यूरोप के बाहर कहीं और उसका रिटेल बिजनेस नहीं है. बैंक के CEO Christian Sewing नई योजना बना रहे हैं जिसमें 2028 तक ज्यादा मुनाफा और कम खर्च का लक्ष्य रखा गया है. भारत में 17 ब्रांच हैं जिनमें से ज्यादातर बंद हो सकती हैं. बैंक के CEO अपने रिस्ट्रक्चरिंग प्लान के तहत ये कर रहे हैं.

भारत में विदेशी बैंक बड़े देसी बैंकों से मुकाबला नहीं कर पा रहे हैं. उनका खर्च ज्यादा है और लोन सस्ते नहीं दे पाते हैं. हाल ही में सिटी बैंक ने अपना रिटेल बिजनेस एक्सिस बैंक को बेच दिया. पहले ड्यूश बैंक ने अपना क्रेडिट कार्ड बिजनेस इंडसइंड को बेचा था. कई विदेशी बैंक अब सिर्फ कॉर्पोरेट और इन्वेस्टमेंट बैंकिंग पर ध्यान दे रहे हैं.

कोटक और फेडरल को क्या फायदा?

दोनों भारतीय बैंक अपना लोन बिजनेस और वेल्थ मैनेजमेंट बढ़ाना चाहते हैं. ड्यूश बैंक के अमीर क्लाइंट और कॉर्पोरेट लिंक वाले डेट निवेश उनके लिए अच्छा मौका है. पहले भी कोटक महिंद्रा बैंक ने 3,330 करोड़ रुपये में स्टैंडर्ड चार्टर्ड से पर्सनल लोन खरीदा था. फेडरल बैंक भी ऐसे सौदों में रुचि रखता है.

कैसी है कंपनी की वित्तीय सेहत?

भारत में बैंक का मुनाफा मार्च 2025 को खत्म हुए वित्त वर्ष में 55 फीसदी बढ़कर 3,070 करोड़ रुपये हो गया जो एक साल पहले 1,977 करोड़ रुपये था. कुल आय 11 फीसदी बढ़कर 12,415 करोड़ रुपये हो गई जो पिछले साल 11,234 करोड़ रुपये थी. जर्मन बैंक ने भारत में अपना कारोबार मुख्य रूप से इन्वेस्टमेंट बैंकिंग, कॉर्पोरेट और ट्रांजेक्शन बैंकिंग, ट्रेजरी और डेरिवेटिव्स के साथ प्राइवेट वेल्थ पर फोकस करके बनाया है. उसने अपने भारतीय ऑपरेशंस को लगातार इक्विटी इन्फ्यूजन से सपोर्ट दिया है. 2018 से 2021 के बीच 3,946 करोड़ रुपये डाले गए और उसके बाद 2024 में ग्रोथ के लिए 5,113 करोड़ रुपये और निवेश किए गए.

बैंक के CEO ड्यूश बैंक की आय को 2025 के करीब 32 अरब यूरो से बढ़ाकर 2028 में करीब 37 अरब यूरो (42.91 अरब डॉलर) करना चाहते हैं. बैंक 2028 तक कॉस्ट-टू-इनकम रेशियो को 60 फीसदी से नीचे लाना चाहता है जबकि अभी का टारगेट 65 फीसदी से नीचे है. 2025 की तीसरी तिमाही में कॉस्ट-टू-इनकम रेशियो 63 फीसदी था. ड्यूश बैंक का भारत में वेल्थ मैनेजमेंट बिजनेस कॉर्पोरेट फ्रैंचाइजी से जुड़े डेट निवेश शामिल करता है.