बैंक मर्जर का आ गया प्लान! जानें सरकार कब करेगी ऐलान, 12 बैंकों की ऐसी होगी टाइमलाइन
बैंक मर्जर का नया प्लान तैयार! वित्त मंत्रालय 12 सरकारी बैंकों को घटाकर सिर्फ 6-7 बड़े और मजबूत बैंक बनाने की योजना बना रहे है. घोषणा अप्रैल-मई 2026 में हो सकती है साथ ही विलय 2-3 चरणों में FY27 से शुरू होगा. छोटे बैंक एसबीआई-पीएनबी जैसे बड़े बैंकों में मिलेंगे. बीते वित्त वर्षों में बैंकों का मुनाफा बढ़ा है.
PSU Bank Merger Roadmap: सरकार पब्लिक सेक्टर के बैंकों के मर्जर का रोडमैप तैयार कर रही है. अभी देश में 12 सरकारी बैंक हैं, जिन्हें घटाकर सिर्फ 6-7 बड़े बैंक बनाने का लक्ष्य रखा गया है. मर्जर की आधिकारिक घोषणा अप्रैल-मई 2026 में हो सकती है. यह विलय एक साथ नहीं बल्कि 2-3 चरणों में होगा और सबसे पहले छोटे बैंकों को SBI या PNB जैसे बड़े बैंकों में मिलाया जाएगा.
आने वाले समय में सरकारी बैंकिंग सेक्टर की यह सबसे बड़ी कवायद होगी जिससे बैंक न सिर्फ बड़े होंगे बल्कि वैश्विक स्तर पर भी मजबूत और प्रतिस्पर्धी बनेंगे. आखिर कब-कब और कैसे-कैसे होगा यह विलय, 12 बैंकों का क्या होगा भविष्य यह तो आधिकारिक घोषणआ के बाद ही पता चलेगा.
12 नहीं, अब देश में होंगे 6-7 बैंक
अभी देश में पब्लिक सेक्टर के 12 बैंक हैं. सरकार का प्लान है कि इन्हें घटाकर अधिकतम 6-7 नेशनल बैंक कर दिए जाएं लेकिन ये मौजूदा बैंकों से कहीं ज्यादा बड़े होंगे. इंफोर्मिस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, मर्जर की आधिकारिक घोषणा अप्रैल-मई 2026 में हो सकती है. पहले 1-2 छोटे बैंकों का आपस में विलय किया जा सकता है फिर उन्हें एसबीआई या पीएनबी में मर्ज दिया जाएगा या फिर सीधे बड़े बैंकों में मर्ज कर दिया जाएगा. अंतिम फैसला लेने से पहले सरकार बैंकों के अगले दो तिमाही यानी दिसंबर 2025 और मार्च 2026 के नतीजों का इंतजार करेगी.
ऐलान 2026 में, विलय FY27 से शुरू
इंफोर्मिस्ट को वित्त मंत्रालय के अधिकारी ने बताया कि प्लान अभी अंतिम रूप ले रहा है लेकिन घोषणा अप्रैल या मई 2026 में होने की पूरी संभावना है. विलय की प्रक्रिया वित्त वर्ष 2026-27 से शुरू होगी और यह कई वित्त वर्षों तक चलेगी. यह विलय 2-3 चरणों में होगा ताकि अचानक बड़ा झटका न लगे और सभी तकनीकी-कानूनी प्रक्रियाएं आसानी से पूरी हो सकें.
पहले भी हो चुके हैं बड़े-बड़े मर्जर
मोदी सरकार ने पिछले कुछ सालों में कई बड़े विलय किए हैं. 2020 में एक साथ 10 बैंकों का मेगा मर्जर हुआ था जिसमें ओरिएंटल बैंक और यूनाइटेड बैंक को पीएनबी में, आंध्रा बैंक और कॉर्पोरेशन बैंक को यूनियन बैंक में, सिंडिकेट बैंक को केनरा बैंक में और इलाहाबाद बैंक को इंडियन बैंक में मिलाया गया था. इससे बैंक 20 से घटकर 12 रह गए थे. उससे पहले 2017 में एसबीआई के 5 सहायक बैंक (बीकानेर-जयपुर, मैसूर, त्रावणकोर, हैदराबाद, पटियाला) और भारतीय महिला बैंक को एसबीआई में मर्ज किया गया था.
ये छोटे बैंक सबसे पहले मर्ज होंगे
बैंक ऑफ बड़ौदा, बैंक ऑफ इंडिया, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, इंडियन ओवरसीज बैंक, बैंक ऑफ महाराष्ट्र, यूको बैंक और पंजाब एंड सिंध बैंक के विलय होने की संभावना पहले है. इनमें से ज्यादातर छोटे बैंक हैं जिनकी साइज एसबीआई, पीएनबी, केनरा बैंक, यूनियन बैंक जैसे बड़े बैंकों से काफी कम है. एसबीआई देश का सबसे बड़ा बैंक है जिसके पास सितंबर 2025 अंत तक 55.92 लाख करोड़ रुपये की जमा राशि और 43.62 लाख करोड़ रुपये के कर्ज थे. पीएनबी के पास 16.17 लाख करोड़ जमा और 11.34 लाख करोड़ कर्ज थे.
मर्जर के पीछे क्या है वजह?
पिछले तीन साल में सरकारी बैंकों का मुनाफा काफी बढ़ा है. सितंबर 2025 तिमाही में 12 बैंकों ने मिलकर 495 अरब रुपये का शुद्ध मुनाफा कमाया था, जो पिछले साल से 12 फीसदी ज्यादा है. पहले सरकार को बैंकों में पूंजी डालनी पड़ती थी लेकिन अब बैंक खुद मजबूत हो गए हैं. कई छोटे बैंकों में पब्लिक शेयरहोल्डिंग 25 फीसदी से कम है, जो बाजार नियामक SEBI के नियम के खिलाफ है. मर्जर से यह समस्या अपने आप हल हो जाएगी. साथ ही जिन बैंकों का कोर बैंकिंग सॉफ्टवेयर एक ही है (जैसे ज्यादातर बैंक फिनाकल इस्तेमाल करते हैं) उन्हें मिलाना आसान होगा. सरकार का मकसद वैश्विक स्तर के बड़े बैंक बनाना है जो न सिर्फ साइज में बल्कि कैपिटल, मार्केट कैप और रिटर्न ऑन एसेट्स के मामले में भी दमदार हों.