सहारा ग्रुप ने सिक्रेट कैश डील के जरिये बेची जनता के पैसों से खरीदी संपत्तियां, ED का बड़ा आरोप
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सहारा ग्रुप पर जनता की जमा राशि से अर्जित संपत्तियों को सिक्रेट कैश डील के माध्यम से अवैध रूप से बेचने का आरोप लगाया है. इस मामले में अनिल वी. अब्राहम और जितेंद्र प्रसाद वर्मा पर आरोप लगाए गए हैं. ईडी का आरोप है कि यह एक पोंजी योजना है, जिसमें धन का कुप्रबंधन और देनदारियों का स्थानांतरण किया गया, जिससे जमाकर्ताओं को भारी नुकसान हुआ.
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सोमवार को आरोप लगाया कि सहारा समूह की कई संपत्तियों को, जो जनता से एकत्रित जमा राशि से खरीदी गई थीं उसे नकद लेनदेन के माध्यम से “गुप्त” तरीके से बेचा जा रहा है. जांच एजेंसी ने 6 सितंबर को कोलकाता स्थित प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्डरिंग ऐक्ट (पीएमएलए) की एक विशेष अदालत में इस मामले में आरोपपत्र दायर किया. इसमें अनिल वी. अब्राहम और जितेंद्र प्रसाद वर्मा को आरोपी बनाया गया है, जिन्हें ईडी ने इस मामले में गिरफ्तार किया था और वर्तमान में दोनों न्यायिक हिरासत में जेल में बंद हैं.
प्रवर्तन निदेशालय को जांच में क्या मिला
ईडी ने आरोप लगाया, “जांच में इसकी पुष्टि हुई कि अब्राहम और वर्मा ने अन्य लोगों के साथ मिलीभगत करके ऐसी संपत्तियों के निपटान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.” ईडी ने कहा कि दोनों सहारा समूह की संपत्तियों के हस्तांतरण से संबंधित लेनदेन को सुगम बनाने, कोऑर्डिनेट करने और ट्रॉन्जेक्सन करने में सक्रिय रूप से शामिल थे. यह मामला सहारा समूह की संस्थाओं के खिलाफ पुलिस द्वारा दर्ज 500 एफआईआर से उपजा है, जिसमें हमारा इंडिया क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड (एचआईसीसीएसएल) नामक एक कंपनी भी शामिल है.
ऐसे खर्च किया गया पैसा
एजेंसी ने कहा कि एकत्रित धनराशि को जमाकर्ताओं की निगरानी के बिना “अनियमित” तरीके से मैनेज किया गया. मैच्योर अमांउट का भुगतान नहीं किया गया बल्कि उसे दोबारा निवेशित कर दिया गया. इस तरह के भुगतान न करने को छिपाने के लिए खातों में “हेरफेर” किया गया. फाइनेंसियल क्षमता न होने के बाद भी जमाकर्ताओं से राशि जुटाना जारी रखा गया. इस तरह एकत्रित राशि का इस्तेमाल बेनामी संपत्तियां बनाने, कर्ज देने और निजी इस्तेमाल के लिए किया गया. जिससे जमाकर्ताओं को उनका बकाया पैसा नहीं मिल पाया.