Gold vs Silver: सोना करेगा मालामाल या चांदी भरेगी झोली? जानें- इस दिवाली किसका रहेगा जलवा
Gold vs Silver: सोने की कीमतों को नरम अमेरिकी आर्थिक आंकड़ों, केंद्रीय बैंक की नरम उम्मीदों और लगातार जियो-पॉलिटिकल तनावों के मिश्रण से समर्थन मिला है. चांदी की कीमतें भी हाई लेवल पर बनी रही हैं. एनालिस्ट मिडियम से लॉन्ग टर्म में चांदी को लेकर आशावादी बने हुए हैं.
Gold vs Silver: सोने और चांदी की कीमतों में तेजी का रुख लगातार जारी है. जियो-पॉलिटिकल तनाव और केंद्रीय बैंक की मांग से सर्राफा को समर्थन मिल रहा है, जिससे सोने की कीमतें महंगाई दर-एडजस्टेड पीक को पार कर गई हैं. औद्योगिक उपयोग और ईटीएफ फ्लो के कारण चांदी में भी सोने की तेजी देखी गई. हालांकि, साल-दर-साल आधार पर देखें, तो चांदी की कीमतों को लेकर एक्सपर्ट लगातार पॉजिटिव बने हुए हैं. कुछ दिनों पहले मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड (MOFSL) ने अपने नोट में कहा था कि चांदी की कीमतें 1,50,000 रुपये प्रति किलोग्राम के आंकड़े को छू सकती हैं.
कितनी बढ़ी हैं सोने-चांदी की कीमतें
मंगलवार 16 सितंबर को सोना मल्टी कोमडिटी एक्सचेंज (MCX) पर 1,10,355.00 रुपये पर नजर आया. वहीं, चांदी 1,29,429.00 रुपये पर थी. अगर साल दर साल आधार (YTD) पर देखें, तो सोने की कीमतों में करीब 43 फीसदी की तेजी आई है. वहीं, दूसरी तरफ चांदी की कीमत में करीब 48 फीसदी का उछाल आया है. यानी चांदी का भाव सोने के मुकाबले अधिक बढ़ा है. ऐसा क्यों इसे समझने की कोशिश करते हैं.
चांदी में तेजी और डिमांड
मंगलावर को चांदी 41 डॉलर प्रति औंस तक पहुंच गई है, जो 2010 के बाद से इसका उच्चतम स्तर है. लेकिन यह कोई साधारण कमोडिटी की तेजी नहीं है. सोना मुख्य रूप से सुरक्षित निवेश की मांग पर निर्भर है. इसके ठीक उलट चांदी फाइनेंस, इंडस्ट्रीज और जियो-पॉलिटिकल के चौराहे पर नजर आ रही है. चांदी को सिर्फ तिजोरियों में ही नहीं रखा जाता.
यह रूफटॉप, इलेक्ट्रिक वाहनों के अंदर, 5G टावरों में और रिन्यूएबल एनर्जी के सेंटर में भी मौजूद है. जब चांदी की कीमतों ऊपर-नीचे होती हैं, तो यह टेक्नोलॉजी, सप्लाई चेन और आर्थिक दृष्टिकोण के भविष्य के बारे में एक गहरी कहानी बयां करती है.
सोलर ऊर्जा, इलेक्ट्रिक वाहनों और 5G इंफ्रास्ट्रक्चर में भारी निवेश ने हाल ही में चांदी की वैश्विक औद्योगिक मांग को बढ़ावा दिया है. इस बीच, इंडोनेशिया और चिली में खदानों के बंद होने से सप्लाई स्थिर हो गई है, जिससे दबाव और बढ़ गया है.
सोने के प्रतिद्वंदी निवेशकों के पास अब चांदी के ईटीएफ ऑप्शन की बढ़ती संख्या है. हालांकि, सोना अभी भी बाजार पर हावी है.
सोने-चांदी का रेश्यो
सोने की कीमतों को नरम अमेरिकी आर्थिक आंकड़ों, केंद्रीय बैंक की नरम उम्मीदों और लगातार जियो-पॉलिटिकल तनावों के मिश्रण से समर्थन मिला है. चांदी की कीमतें भी हाई बनी रही हैं, सोने-चांदी का रेश्यो अप्रैल के 104 के हाई लेवल से घटकर लगभग 85 हो गया है, जो चांदी के मजबूत रिलेटिव प्रदर्शन का संकेत है. चांदी इस साल अब तक लगभग 48 फीसदी बढ़ चुकी है, जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 42 डॉलर प्रति औंस के महत्वपूर्ण स्तर को पार कर गई है.
सिल्वर पर टारगेट
मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड (MOFSL) के एनालिस्ट मिडियम से लॉन्ग टर्म में चांदी को लेकर आशावादी बने हुए हैं. हाल ही में फर्म ने एक नोट में कहा- ‘उनका अनुमान है कि अमेरिकी डॉलर/रुपये के एक्सचेंज रेट 88.5 रहने पर घरेलू चांदी की कीमतें 1,35,000 रुपये और उसके बाद 1,50,000 प्रति किलोग्राम तक पहुंच जाएंगी.
इस दिवाली हो सकता है कि चांदी की कीमतें एक नए रिकॉर्ड प्राइस को हिट करें. क्योंकि एक्सपर्ट तो बुलिश हैं ही, साथ ही तेजी से बढ़ती मांग भी कीमतों को सपोर्ट दे रही है. अमेरिकी जीडीपी और श्रम बाजार में फ्लेक्सिबल दिख रहा है, जिससे औद्योगिक क्षेत्र को समर्थन मिल रहा है. MOFSL के अनुसार, 2025 की पहली छमाही में घरेलू चांदी का आयात लगभग 3000 टन से अधिक हो जाएगा.