FII के वापसी से इन 11 सेक्टर में आएगी तेजी, टैरिफ का नहीं होगा असर; ब्रोकरेज फर्म का दावा

HSBC ने भारत की शेयर मार्केट को ‘Overweight’ रेटिंग दी है और FII की वापसी की संभावना जताई है. पिछले 12 महीनों में FII ने भारत से निकासी की थी लेकिन अब घरेलू नीतियों, आकर्षक वैल्यूएशंस और बढ़ती मांग के कारण निवेशकों का रुझान वापस भारत की ओर है. ब्रोकरेज ने 11 टॉप स्टॉक्स की पहचान की है.

FII की वापसी का संकेत HSBC ने किया भारत की इक्विटी अपग्रेड. Image Credit: CANVA

FII Comeback India: HSBC ने भारत की शेयर मार्केट पर भरोसा जताते हुए अपने रेटिंग को Neutral से Overweight किया है. ब्रोकरेज का मानना है कि विदेशी संस्थागत निवेशक यानी FII अब भारत में दोबारा निवेश करने की दिशा में कदम बढ़ा सकते हैं. पिछले 12 महीनों में FII ने भारत से निकासी की थी, लेकिन अब घरेलू नीतियों और आकर्षक वैल्यूएशंस के कारण यह वापसी संभव नजर आ रही है. यह कदम भारतीय शेयर मार्केट को मजबूत और स्थिर बनाने में मदद करेगा.

HSBC की टॉप स्टॉक्स लिस्ट

इकोनॉमिक्स की रिपोर्ट के मुताबिक, HSBC ने FII निवेश को आकर्षक बनाने के लिए 11 टॉप स्टॉक्स की पहचान की है. इसमें ऑटो, बैंकिंग, आईटी, फार्मा, सीमेंट और कंज्यूमर स्टेपल्स के स्टॉक्स शामिल हैं. ब्रोकरेज का मानना है कि इन सेक्टर्स में मजबूत मांग और नीतिगत समर्थन निवेशकों के लिए फायदेमंद रहेगा. निवेशक इन स्टॉक्स को देखकर लंबी टर्म में प्रॉफिट कमा सकते हैं और बाजार में लिक्विडिटी बढ़ सकती है.

ग्लोबल इंवेस्टमेंट फ्लो से बनेगा मौका

विदेशी निवेशक अब तक कोरिया और ताइवान जैसे बाजारों में निवेश कर रहे थे. डॉलर की नरमी और अमेरिकी इंटरेस्ट में संभावित कटौती भारत की ओर निवेश को बढ़ावा दे सकती है. जानकार मानते हैं कि यह बदलाव भारतीय इक्विटी को ग्लोबल इंवेस्टर के लिए और आकर्षक बनाएगा.

घरेलू नीतियों का सपोर्ट

भारत की आर्थिक नीतियां और कैपेक्स-लेड ग्रोथ FII निवेशकों के लिए अनुकूल माहौल तैयार कर रही हैं. सरकार की निवेश, इंफ्रास्ट्रक्चर और मैन्युफैक्चिरिंग प्रोजेक्ट से निवेशकों का भरोसा बढ़ रहा है. इसके अलावा घरेलू मांग में सुधार और नीतिगत समर्थन शेयर मार्केट को मजबूत बनाएंगे.

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शॉर्ट टर्म वोलैटिलिटी

हालांकि ट्रंप द्वारा 100 फीसदी टैरिफ की घोषणा से बाजार में गिरावट देखने को मिली, लेकिन जानकारों का मानना है कि लंबी अवधि में इसका असर सीमित रहेगा. भारतीय इक्विटी की मजबूती और निवेशकों का भरोसा बाजार को बैलेंस बनाए रखेगा.