विदेशी मुद्रा भंडार में हुआ 1.48 अरब डॉलर का इजाफा, लगातार दूसरे सप्ताह हुई बढ़ोतरी, रिकॉर्ड हाई के पास
ट्रंप टैरिफ के बावजूद भारत का विदेशी मुद्रा भंडार लगातार मजबूत बना हुआ है. रिजर्व बैंक की तरफ से जारी आंकड़ों के मुताबिक 15 अगस्त को खत्म हुए सप्ताह में फॉरेक्स रिवर्ज में पिछले सप्ताह की तुलना में 1.48 अरब डॉलर का इजाफा हुआ है. यह लगातार दूसरा सप्ताह है, जब फॉरेक्स रिजर्व बढ़ा है.

रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को विदशी मुद्रा भंडार की स्थिति के साप्ताहिक आंकड़े जारी किए हैं. यह लगातार दूसरा सप्ताह है, जब फॉरेक्स रिजर्व में इजाफा हुआ है. रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक 15 अगस्त को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार में 1.48 अरब डॉलर का इजाफा हुआ है. RBI के ताजा आंकड़ों के मुताबिक देश का कुल विदेशी मुद्रा भंडार बढ़कर 695.11 अरब डॉलर पर पहुंच गया है. वहीं, उससे पहले 8 अगस्त को यह 693.62 अरब डॉलर रहा था. इस तरह इस तरह एक सप्ताह में रिजर्व में करीब 1.48 अरब डॉलर की बढ़ोतरी हुई है.

लगातार बढ़त जारी
पिछले कुछ महीनों में भारतीय फॉरेक्स रिजर्व ने एक मजबूत रिकवरी दिखाई है. जुलाई और अगस्त के शुरुआती हफ्तों में भंडार लगातार ऊपर गया. हालांकि, बीच में दो-तीन सप्ताह लगातार गिरावट के चलते यह 700 अरब डॉलर के ऐतिहासिक स्तर से नीचे आ गया. अब फिर से 700 अरब डॉलर के रिकॉर्ड लेवल की तरफ बढ़ रहा है. पिछले वर्ष 27 सितंबर को रिजर्व ने 704.89 अरब डॉलर के सर्वकालिक उच्च स्तर पह पहुंचा था.
रिवर्ज के किस सेगमेंट क्या बदला?
15 अगस्त 2025 तक भारत का कुल विदेशी मुद्रा भंडार बढ़कर 695.11 अरब डॉलर पर पहुंच गया, जो पिछले हफ्ते के 693.62 अरब डॉलर से करीब 1.49 अरब डॉलर ज्यादा है. इसमें सबसे बड़ा योगदान Foreign Currency Assets (FCA) का रहा, जो बढ़कर 585.90 अरब डॉलर हो गया है. इसमें पिछले सप्ताह की तुलना में 1.92 अरब डॉलर की बढ़ोतरी हुई है. हालांकि, गोल्ड रिजर्व में गिरावट आई है और यह घटकर 85.67 अरब डॉलर पर आ गया. एक सप्तह में इसमें 0.49 अरब डॉलर की कमी आई है. वहीं, SDRs भी थोड़ा बढ़कर 18.78 अरब डॉलर और IMF में भारत की रिजर्व पोजिशन बढ़कर 4.75 अरब डॉलर पर पहुंच गई है. कुल मिलाकर, डॉलर एसेट्स की मजबूती और SDRs-IMF पोजिशन में बढ़ोतरी ने गिरते सोने के भंडार की भरपाई की, जिससे रिजर्व हफ्तावार आधार पर बढ़ गया.
क्यों बढ़ रहा है रिजर्व?
विशेषज्ञ मानते हैं कि हाल के महीनों में विदेशी निवेश प्रवाह (FPI inflows) में तेजी, रुपये की अपेक्षाकृत स्थिरता और निर्यात से जुड़ी रफ्तार ने फॉरेक्स रिजर्व को सहारा दिया है. इसके अलावा, कच्चे तेल के दामों में नरमी और भारतीय कंपनियों के बॉन्ड मार्केट से मिले विदेशी फंड भी रिजर्व को बढ़ाने में मदद कर रहे हैं.
वैश्विक परिप्रेक्ष्य
फॉरेक्स रिजर्व किसी भी देश की आर्थिक स्थिरता का महत्वपूर्ण पैमाना होता है. अधिक भंडार होने का मतलब है कि देश आयात भुगतान, बाहरी कर्ज अदायगी और मुद्रा स्थिरता के लिए बेहतर स्थिति में है. भारत का रिजर्व अब दुनिया के शीर्ष 5 सबसे बड़े फॉरेक्स रिजर्व वाले देशों में शामिल है.
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