भारत के सेमीकंडक्टर मिशन को बढ़ावा, सरकार ने DLI स्कीम के तहत 23 चिप-डिजाइन प्रोजेक्ट्स को दी मंजूरी
भारत सरकार के DLI स्कीम और C2S प्रोग्राम के तहत स्वदेशी सेमीकंडक्टर डिजाइन को बढ़ावा मिल रहा है. इस पहल के बीच Vervesemi Microelectronics सहित कई कंपनियां हैं जो अपने नए एडवांस इंटीग्रेटेड सर्किट्स (ICs) और ASICs का रोडमैप पेश किया है.

Semiconductor and DLI Scheme: भारत सरकार ने देश में सेमीकंडक्टर आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए डिजाइन लिंक्ड इंसेंटिव (DLI) स्कीम के तहत अब तक 23 चिप-डिजाइन प्रोजेक्ट्स को मंजूरी दी है. इनमें से ज्यादातर घरेलू स्टार्टअप्स और MSMEs द्वारा संचालित हैं. इन प्रोजेक्ट्स को सर्विलांस कैमरा, एनर्जी मीटर, माइक्रोप्रोसेसर IPs और नेटवर्किंग एप्लिकेशन जैसे क्षेत्रों के लिए स्वदेशी चिप्स और सिस्टम-ऑन-चिप (SoCs) विकसित करने में सहयोग मिल रहा है. इस पहल से जुड़े 72 कंपनियों को इंडस्ट्री-स्टैंडर्ड इलेक्ट्रॉनिक डिजाइन ऑटोमेशन (EDA) टूल्स तक पहुंच भी उपलब्ध कराई गई है, जिससे भारत के चिप डिजाइन इकोसिस्टम को और गति मिलेगी.
क्या है DLI स्कीम?
DLI स्कीम भारत के सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम को मजबूत बनाने के लिए लाई गई है. इसका उद्देश्य घरेलू स्टार्टअप्स, MSMEs और कंपनियों को स्वदेशी चिप्स व सिस्टम-ऑन-चिप (SoC) समाधान विकसित करने के लिए प्रोत्साहन देना है. इस योजना के अंतर्गत सरकार डिजाइन से जुड़ी गतिविधियों को वित्तीय सहयोग प्रदान कर रही है. इसमें शामिल कंपनियों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस्तेमाल होने वाले इलेक्ट्रॉनिक डिजाइन ऑटोमेशन (EDA) टूल्स तक पहुंच दी गई है, जिससे वे वैश्विक मानकों के अनुरूप काम कर सकें.
किन क्षेत्रों के लिए होंगे ये प्रोजेक्ट?
DLI स्कीम के तहत स्वीकृत प्रोजेक्ट्स विभिन्न रणनीतिक और व्यावसायिक क्षेत्रों को कवर करते हैं, जिनमें शामिल हैं:
- सर्विलांस कैमरे
- स्मार्ट एनर्जी मीटर
- माइक्रोप्रोसेसर IPs
- नेटवर्किंग एप्लिकेशन
ये सभी प्रोजेक्ट्स भारत की आयात पर निर्भरता कम करने, स्वदेशी नवाचार को बढ़ावा देने और भविष्य की टेक्नोलॉजी में नेतृत्व हासिल करने की दिशा में महत्वपूर्ण माने जा रहे हैं.
72 कंपनियों को मिला EDA टूल्स का लाभ
सरकार ने 23 प्रोजेक्ट्स की मंजूरी के साथ-साथ कुल 72 कंपनियों को EDA टूल्स तक एक्सेस प्रदान किया है. इससे इन कंपनियों को डिजाइन, प्रोटोटाइप और चिप विकास की प्रक्रिया में मदद मिलेगी.
रणनीतिक महत्व
- स्थानीय नवाचार को बल- वित्तीय सहयोग से भारतीय स्टार्टअप्स और MSMEs को R&D में निवेश करने की प्रेरणा मिलेगी.
- वैश्विक निवेश आकर्षित करना- भारत का यह कदम विदेशी चिप डिजाइन कंपनियों को भी देश में केंद्र स्थापित करने के लिए आकर्षित कर सकता है.
- रोज़गार सृजन- नए डिजाइन सेंटर और प्रोजेक्ट्स से इंजीनियरिंग और तकनीकी क्षेत्र में बड़ी संख्या में नौकरियां बनेंगी.
- आत्मनिर्भर भारत को मजबूती- चिप डिजाइन में स्वदेशी क्षमताओं के विकास से आयात पर निर्भरता कम होगी और देश की तकनीकी सुरक्षा मजबूत होगी.
उद्योग पर संभावित प्रभाव
विशेषज्ञों का मानना है कि इन प्रोजेक्ट्स के लागू होने से भारत का सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम अगले कुछ वर्षों में नई ऊंचाइयों तक पहुंच सकता है. इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटोमोबाइल, दूरसंचार और रक्षा जैसे क्षेत्रों में भारत को प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त मिलेगी. 5G, AI, EVs और स्मार्ट डिवाइसेज जैसे भविष्य की तकनीकों के लिए मजबूत आधार तैयार होगा. फिलहाल DLI स्कीम के विस्तृत इंसेंटिव स्ट्रक्चर और पात्रता मानदंड को लेकर और जानकारी आना बाकी है. उद्योग जगत और निवेशक इस पर करीबी नजर बनाए हुए हैं.
Vervesemi का बड़ा ऐलान
इनमें से एक प्रमुख कंपनी Vervesemi Microelectronics ने आज अपने आने वाले एडवांस इंटीग्रेटेड सर्किट्स (ICs) पोर्टफोलियो का अनावरण किया. इसका उद्देश्य भारत की सेमीकंडक्टर आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देना और वैश्विक स्तर पर नवाचार को नई दिशा देना है. 2017 में स्थापित Vervesemi, उन शुरुआती भारतीय कंपनियों में से है जिसने दुनिया को सेमीकंडक्टर इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी (IPs) एक्सपोर्ट किए हैं. कंपनी के मशीन लर्निंग आधारित एनालॉग चेन IPs पहले से ही कई अंतरराष्ट्रीय मैन्युफैक्चरर्स के प्रोडक्ट्स में इस्तेमाल हो रहे हैं. आज Vervesemi के पास-
- 110+ IPs का पोर्टफोलियो
- 25 IC SKUs
- 10 पेटेंट्स और 5 ट्रेड सीक्रेट्स
कंपनी अंतरिक्ष, रक्षा, औद्योगिक और स्मार्ट एनर्जी जैसे क्षेत्रों में सक्रिय है. कई ICs फिलहाल ग्लोबल कस्टमर द्वारा मूल्यांकन के चरण में हैं.
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